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पीरियड्स में आखिर क्यों नहीं जाती महिलाएं मंदिर? जानें इससे जुड़े झूठ और तर्क

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जब लड़की यौवन अवस्था की ओर आगे बढ़ती है तो उसे मासिक धर्म यानी पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। वैसे तो यह एक जैविक प्रक्रिया है जिसे मेडिकल भाषा में बायोलॉजिकल प्रोसेस कहते हैं लेकिन इसपर लगे सामाजिक प्रतिबंधों ने इसे बहस का विषय बना दिया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं महिलाओं के पीरियड्स के दौरान प्रवेश पर रोक की। आज हम इससे जुड़ी मिथ्या और तथ्य दोनों पर बात करने वाले हैं। 

पीरियड्स में मंदिर न जाने से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं

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1. हिंदू धर्म में महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ करने और मंदिर जाने पर सख्त मनाही है क्योंकि पीरियड्स के खून को अपवित्र माना जाता है। महिलाओं को पीरियड्स के पहले दिन चाण्डाली, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी और तीसरे दिन रजकी की भी संज्ञा दी गई है। 

2. इससे जुड़ी दूसरी मान्यता यह भी है कि पहले महिलाओं को काम से फुरसत नहीं मिलती थी लेकिन पीरियड्स के समय उन्हें 4 से 5 दिन पूरा आराम मिल जाए इसके लिए वे काम से छुट्टी लेती थीं। धीरे-धीरे ये मान्यता में फेरबदल होते-होते पहले रीति और फिर एक रूढ़ी बन गई। 

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3. तीसरी कहानी कुछ इस तरह है कि पहले के समय सुबह उठकर जब लोग मंदिर जाते थे तो रजस्वला महिलाओं को अपने साथ नहीं ले जाते थे। इसके पीछे कारण था खून की गंध से जानवरों का जल्दी आकर्षित होना। 

4. वहीं चौथी मान्यता मंदिर की फ्रीक्वेंसी से जुड़ी है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिरों की फ्रीक्वेंसी अधिक होती है और महिलाओं की मासिक धर्म के समय ये फ्रीक्वेंसी एकदम कम होती है। इस तरह कई स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं जिस वजह से उनका प्रवेश वर्जित है। 

पीरियड्स में मंदिर न जाने से जुड़े वैज्ञानिक तर्क 

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1. पीरियड्स के दौरान मंदिर न जाने और पूजा न करने के पीछे वैज्ञानिक तर्क यह दिया जाता है कि उस दौरान औरतें कई सारे हार्मोनल बदलावों से गुजरती है जिससे मन स्थिर नहीं रहता। जबकि पूजा करने की अनिवार्य शर्त है ध्यान लगाना। 

2. वैज्ञानिक तर्क एक यह भी है कि मासिक धर्म में ऐंठन और दर्द महिलाओं को पीड़ा देता है। इस पीड़ा में वे कैसे ईश्वर के समक्ष  ध्यान लगा सकती हैं? 

3. पीरियड्स में हम साफ सफाई भी उस तरह से मेंटेन नहीं कर पाते हैं और यह भी कारण है कि पूजा करना या मंदिर जाना मना है। 

क्या है निष्कर्ष? 

इन सभी बातों को जानने के बाद निष्कर्ष यही निकलता है कि  अगर आपके पीरियड्स के दिन हैं तो मंदिर जाना न जाना आपकी सोच और विचारधारा पर निर्भर करता है यानी ये झुकाव धार्मिक मान्यताओं की तरफ ज्यादा है या वैज्ञानिक तर्क।

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