Sharda Sinha Death: छठ पूजा के गीतों को लोकल से ग्लोबल मंच तक पहुँचाने वाली स्वर कोकिला शारदा सिन्हा का मंगलवार रात निधन हो गया। 72 वर्षीय शारदा सिन्हा को कुछ दिन पहले तबीयत बिगड़ने पर दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था, और सोमवार को उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। उनके निधन की सूचना उनके बेटे अंशुमन सिन्हा ने फेसबुक पर साझा की। उन्होंने लिखा, "आप सबकी प्रार्थना और प्यार हमेशा माँ के साथ रहेंगे। माँ को छठी मइया ने अपने पास बुला लिया है।"
भोजपुरी-मैथिली की अमर आवाज़, लोक संगीत का बड़ा नुकसानपद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा छठ पूजा और विवाह के गीतों के लिए जानी जाती थीं। उनकी आवाज़ ने लोक गीतों को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया। "विवाह गीत" और "छठ गीत" जैसे उनके गाने घर-घर में गूंजते रहे हैं। शारदा सिन्हा को उनके संगीत योगदान के लिए पद्मश्री और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। बिहार के समस्तीपुर में जन्मीं शारदा ने 1980 में ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन से करियर की शुरुआत की थी। उनकी भावनात्मक आवाज़ और सादगी भरी शैली ने उन्हें खास पहचान दिलाई।
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अंशुमन सिन्हा ने कुछ दिनों पहले ही अपनी माँ की हालत पर चिंता जताते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा किया था। उन्होंने बताया था कि शारदा जी वेंटिलेटर पर हैं और उनकी हालत गंभीर है। फैंस और शुभचिंतकों ने उनके लिए दुआएँ मांगी थीं। उनकी आवाज़ में "दुखवा मिटायिन छठी मइया" जैसे छठ गीत आज भी हर घर में बजते हैं।
शारदा सिन्हा की आवाज़ ने छठ महापर्व को एक वैश्विक पहचान दी थी, और उनके निधन से लोक संगीत जगत में एक गहरा खालीपन आ गया है।
शारदा सिन्हा का जीवन, गायिकी और परिवार1 अक्टूबर, 1952 को बिहार के हुलास में जन्मीं शारदा सिन्हा एक लोक और शास्त्रीय गायिका हैं, जो अपने क्षेत्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर ले जाने के लिए जानी जाती थीं। उन्हें बिहार कोकिला (बिहार की कोयल) के नाम से जाना जाता था और वे मुख्य रूप से मैथिली और भोजपुरी में गाती हैं। उन्हें सबसे पहले 1991 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था, उसके बाद 2018 में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर उन्हें भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
शारदा सिन्हा छठ पूजा गीत संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता शारदा सिन्हा छठ पूजा गीतों का पर्याय बन गई हैं। सिन्हा ने कई बॉलीवुड गाने भी गाए हैं जैसे मैंने प्यार किया (1989) में कहे तो से सजना, गैंग्स ऑफ वासेपुर 2 में तार बिजली और चारफुटिया छोकरे में कौन सी नगरिया। इतना ही नहीं, संगीत में पीएचडी करने वाली शारदा जी ने बिहार के कई कॉलेजों में संगीत भी पढ़ाया है।
शारदा सिन्हा के पिता सुखदेव ठाकुर शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। उनके बड़े भाई चिदानंद शर्मा कटिहार के गेड़ाबाड़ी में मुसापुर शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए और शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने बहुत योगदान दिया।
शिक्षा और संगीत प्रशिक्षणशारदा सिन्हा की शिक्षा उनकी संगीत यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। उन्होंने बैचलर ऑफ एजुकेशन (बी.एड.) की डिग्री हासिल करके शुरुआत की, जिससे उन्हें दूसरों को संगीत सिखाने और उनके साथ अपने प्यार को साझा करने का तरीका सीखने में मदद मिली।
बी.एड. पूरा करने के बाद, उन्होंने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से संगीत में पीएचडी करने का फैसला किया। इस उन्नत डिग्री ने उन्हें संगीत का गहराई से अध्ययन करने, इसके सिद्धांत, इतिहास और सांस्कृतिक महत्व की खोज करने का मौका दिया। विश्वविद्यालय में, शारदा ने लोक और शास्त्रीय संगीत दोनों के बारे में सीखा, जिससे उन्हें एक संगीतकार और शोधकर्ता के रूप में विकसित होने में मदद मिली। अपनी डिग्री के अलावा, शारदा ने मगध महिला कॉलेज और प्रयाग संगीत समिति से भी प्रशिक्षण लिया था।
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