High-functioning Anxiety: हाई फंक्शन एंग्जाइटी (High-functioning Anxiety) एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति मानसिक दबाव, चिंता और तनाव का सामना करता है, लेकिन बाहरी दुनिया को इसकी पहचान नहीं हो पाती है। क्योंकि वह अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह से निभाता है, कामकाजी जीवन में समान्य रहता है, जिससे लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिल पाती है।
क्या होता है हाई फंक्शन एंग्जाइटीहाई फंक्शन एंग्जाइटी की समस्या झेलने वाला शख्स सामाजिक रूप से एक्टिव रहता है, लेकिन भीतर से वह मानसिक और भावनात्मक रूप से तनावपूर्ण स्थिति का सामना कर रहा होता है। यह एक प्रकार की अनकहा या छुपा हुआ तनाव हो सकता है, क्योंकि बाहरी रूप से व्यक्ति अपने कार्यों और व्यवहार में सफलता का प्रदर्शन करता है, जबकि भीतर से वह चिंतित होता है।
हाई फंक्शन एंग्जाइटी के होते हैं कई लक्षणहाई फंक्शन एंग्जाइटी के कई लक्षण होते हैं जिससे पता चल सकता है कि कोई व्यक्ति इसका शिकार है या नहीं? इन लक्षणों में व्यक्ति को छोटी-छोटी बातों को लेकर भी अत्यधिक चिंता होती है, जैसे कि कार्यों को पूरा करना, या किसी घटना के बारे में बार-बार सोचने का मन करना।
फोकस करने में आती है परेशानीfreepik.com
हर काम को पूर्णतया सही करने की कोशिश करना और यह डर होना कि कुछ गलत हो सकता है। इस वजह से व्यक्ति अधिक तनाव महसूस करता है। इस समस्या में आपको हर चीज में फोकस करने में परेशानी होगी। ऐसे में किसी भी चीज पर ध्यान लगा पाना काफी मुश्किल हो सकता है।
खुद का कॉन्फिडेंस खो देनाभले ही व्यक्ति बाहर से सफल दिखाई दे, लेकिन भीतर उसे अपनी क्षमताओं और निर्णयों पर संदेह होता है। वह खुद को हमेशा असंतुष्ट महसूस करता है। ऐसे में व्यक्ति अपना कॉन्फिडेंस खोने लगता है। उसे खुद पर शक होने लगता है साथ ही फैसले लेने में भी परेशानी होती है।
होती है नींद की समस्याएंfreepik.com
रात को सोते समय दिमाग में लगातार विचार चलते रहते हैं, जिससे नींद में खलल पड़ता है। कभी-कभी नींद की कमी या अत्यधिक थकावट भी हो सकती है। हालांकि व्यक्ति अपने कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा करता है, लेकिन उसे लगता है कि समय की कमी हो रही है, और वह हमेशा घबराया हुआ रहता है कि किसी चीज़ को मिस न कर दे।
हाई फंक्शन एंग्जाइटी का इलाजहाई फंक्शन एंग्जाइटी का इलाज समय पर पहचानने और उचित तरीके से समाधान ढूंढने से किया जा सकता है। इसमें कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT), मेडिटेशन, आत्म-देखभाल (self-care) और कभी-कभी दवाइयां शामिल हो सकती हैं। यह जरूरी है कि व्यक्ति अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखे और जब जरूरत हो तो किसी मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से मदद लें।
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