- पिछले साल 3 मई से शुरू हुआ हिंसा का दौर
- राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहे कई राजनीतिक दल
इंफाल। मणिपुर में फैले तनाव के बीच राज्य सरकार ने सात जिलों में मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध को तीन दिन के लिए बढ़ा दिया है। सरकार ने कानून-व्यवस्था की समीक्षा करने के बाद मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध बढ़ाने का फैसला किया है। निर्देश के मुताबिक इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, काकचिंग, बिष्नुपुर, थूओबाल, चूराचांदपुर और कांगपोकपी में अगले तीन दिन तक मोबइल इंटरनेट बंद रहेगा। मणिपुर सरकार ने राज्य में अशांति के चलते बंद की गई ब्रॉडबैंड सेवाओं को मंगलवार को तीन दिन बाद बहाल कर दिया था। गृह आयुक्त एन अशोक कुमार ने कहा था कि मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहेंगी।
आदेश में कहा गया कि इंटरनेट प्रतिबंध ने महत्वपूर्ण कार्यालयों, संस्थानों और घर से काम करने वाले लोगों के कामकाज को प्रभावित किया है। लोगों की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने ब्रॉडबैंड सेवाओं के मामले में सशर्त निलंबन हटाने का विचार किया है। वहीं मोबाइल इंटरनेट डाटा पर प्रतिबंध जारी रखने का फैसला किया है। मणिपुर में हालात लगातार नाजुक बने हुए हैं। सैन्य बलों के अभियान में कुकी-जो समुदाय के 10 विद्रोहियों के मारे जाने के बाद जिरिबाम में मैतेई समुदाय के छह लोगों की लाशें मिलने से पूरे राज्य में जबरदस्त तनाव है। बताया गया है कि आतंकियों की तरफ से मैतेई समुदाय की तीन महिलाओं और तीन बच्चों का एक कैंप से कथित तौर पर अपहरण करने के बाद इन्हें मौत के घाट उतार दिया गया था। इसके बाद से ही पूरे क्षेत्र में हिंसा भड़क उठी और मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के दामाद समेत कई विधायकों और नेताओं के घरों को निशाना बनाया गया। जिरिबाम में शनिवार को दो महिलाओं और एक बच्चे का शव बराक नदी से मिला था। वहीं, एक महिला और दो बच्चों की लाश इससे पहले शुक्रवार रात को बरामद की गई थी। इसके बाद भड़की हिंसा के चलते फिलहाल इंफाल घाटी क्षेत्र में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू है और इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं।
बता दें कि मणिपुर में पिछले साल 3 मई से शुरू हुआ हिंसा का दौर, थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। एक अंतराल के बाद दोबारा से हिंसा की वारदात शुरू हो जाती हैं। सुरक्षा बलों के हथियार लूटने से लेकर आम लोगों की हत्या हो रही है। मणिपुर में तीन चार सप्ताह के दौरान बीस लोग मारे जा चुके हैं। इनमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेता मणिपुर में सीएम बीरेन सिंह को बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर चुके हैं। पूर्व सेना अध्यक्ष जन. वीपी मलिक कह रहे हैं कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगे।
बीएसएफ के पूर्व एडीजी और सुरक्षा मामलों के जानकार एसके सूद ने कहा है, मुख्यमंत्री बीरेन सिंह पर किसी भी समुदाय, मैतेई और कूकी, दोनों का ही विश्वास नहीं है। राज्य में शांति बहाली के लिए राष्ट्रपति शासन लगना जरूरी है। अप्रैल 1992 को मणिपुर में हिंसा हुई तो कांग्रेस पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री राजकुमार दोरेंद्र सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था। लेकिन मुख्यमंत्री बीरेन सिंह अभी भी राज्य के मुख्यमंत्री बने हुए हैं।
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