सहरसा। अंचल क्षेत्र के प्रसिद्ध शिव मंदिर नकुलेश्वर महादेव मंदिर नाकुच गेमरहो में रविवार को 30 वां वार्षिक शिव गुरु महोत्सव का आयोजन किया गया,जिसमें भगवान शिव की शिष्यता से मानवीय गुणों में बदलाव की बात कही गई। शिव के शिष्य एवं शिष्याओं को सम्बोधित करते शिव शिष्य भाई परमेश्वर ने कहा कि जब समष्टि से सिमटा हुआ आदमी मूल मानवीय गुणों से वंचित हो जाता है। तब समाज टुटने की स्थिति में आ जाता है। ऐसे स्थिति में भगवान शिव की शिष्यता के आश्रय में पुष्पित होने का सुअवसर प्राप्त होता है और मन का भैरव स्वार्थ जनित तटबंध को तोड़कर परहित, जनहित, राष्ट्रहित के वारे में सोचने लगता है।
उन्होंने कहा कि निवर्तमान काल में लोगों ने शिव को अपना गुरु मानकर अनुपम ख्याति प्राप्त किया। किन्तु अनजाने कारणों से दुसरों को शिव गुरु का शिष्य होने के लिए प्रेरित नहीं किया गया।उन्होंने कहा कि गुरु अपने शिष्य की व्यक्तित्व के सर्वोत्तम पक्ष को उजागर करते हैं।साथ ही परम चेतना से उसका ऐक्य सुनिश्चित करते हैं।उन्होंने कहा कि शिव से शिष्य के रुप में ज्ञानार्जन करने वालों की संख्या नही के बराबर है।उन्होंने कहा कि शिव शिष्य साहब श्री हरीन्द्रानन्द जी का यह संवाद कि शिव मेरे गुरु है आपके भी हो सकते हैं को लेकर वे बघवा के गुरु भाईओं के साथ 17 नवम्वर 1995 में नाकुच शिव मंदिर पर पहुंचे।जहां एक साथ 85 लोगों को भगवान शिव के गुरु सत्ता से जोड़कर यथार्थ में शिव शिष्यता को धारित कर दुसरों को भी शिव गुरु के दया की आश्रय में रहने के लिए पिछले 29 वर्षो से महोत्सव का अनवरत आयोजन करते आ रहे हैं।जो शिव शिष्यता को प्रत्यक्ष में प्रमाणित करता है।
उन्होंने साहब श्री हरीन्द्रानन्द के पंक्ति को याद दिलाते कहा कि आओ चलें शिव की ओर।यह ना तो उदधोष है,न जयधोष हैं और ना ही उपदेश हैं अपितु मानव का शिव की ओर उन्मुख होना है। उन्होंने कहा कि व्यष्टि का नकाब हटाकर समष्टि की ओर चलना है।उन्होंने कहा कि यह कोई क्रांति नही है।इस कार्यक्रम के माध्यम से लोगों से अवाहन हैं कि जिस शिव की पुजा हम औढरदानी के रुप में महाकाल मृत्युंजय के रुप में करते चले आ रहे हैं।उसी शिव को अपना शिष्य का भाव अर्पित कर अपने मन को शिव से जोड़ने का जरुरत है।शिव से जुड़ने का वही मार्ग होगा जिस मार्ग से आप शिव का शिष्य होंगे।
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