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पैनोरमा एडिशन : ऐतिहासिक ग्वालियर दुर्ग पर हुआ पूरब और पश्चिम की तहजीबों का मिलन

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15 से अधिक राजनयिक दूतावासों और सांस्कृतिक केन्द्रों की रही भागीदारी
ग्वालियर। "सिटी ऑफ म्यूजिक" ग्वालियर का ऐतिहासिक दुर्ग शनिवार की शाम पूरब और पश्चिम की तहजीबों के अद्भुत संगम का साक्षी बना। पश्चिमी देशों से आए कलाकारों और समृद्ध कला संस्कृति को समेटे स्वदेशी यानी भारत के कलाकारों की साझा प्रस्तुतियों से झरे पाश्चात्य एवं ठेठ देशी लोकरंगों से संपूर्ण दुर्ग सराबोर हो गया। मौका था किले के उत्तरी छोर पर स्थित राजपूती आन-बान और शान के प्रतीक जौहर कुंड के समीप सतरंगी रोशनी के साए में सजी अंतरराष्ट्रीय कला उत्सव “पैनोरमा एडिशन” संध्या का। पैनोरमा एडिशन के माध्यम से ग्वालियर-चंबल अंचल की ऐतिहासिक धरोहरों को भी विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों ने देखा। मध्य प्रदेश पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से आयोजित हुए कला उत्सव “ए स्ट्रीट कार्ट नेम्ड डिजायर” में अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों ने एक नॉन स्टॉप ऑपेरा में पिरोकर एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियाँ दीं। इन सबके बीच भारतीय शास्त्रीय संगीत और लोक रंगों ने कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए। पैनोरमा एडिशन में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों ने ओपेरा, शास्त्रीय संगीत, पाश्चात्य व देशी लोक नृत्य सहित अन्य कलात्मक अभिव्यक्तियों की एक विविध श्रृंखला को साकार कर दिया। ग्वालियर में आयोजित हुआ पैनोरमा एडिशन का यह चौथा संस्करण था। इस एडीशन की रचना फिल्म निर्माता सारा सिंह ने की थी। ग्वालियर के इस “पैनोरमा एडिशन” में विश्व के 15 से अधिक देशों के राजनयिक दूतावासों और सांस्कृतिक केन्द्रों की साझेदारी रही। जिसमें जर्मनी, पॉलैंड, स्पेन, इटली, ग्रीस, हंगरी, स्विटजरलैंड, पुर्तगाल, बैल्जियम, ऑस्ट्रिया, स्वीडन, नीदरलैंड, डैनमार्क, यूक्रेन, ग्वाटेमाला और लिथुआनिया देश शामिल है।

कलाकारों ने बिना कुछ कहे अपनी भाव भंगिमाओं से सबकुछ बयां कर दिया
ग्वालियर किले पर “पैनोरमा एडिशन” की प्रस्तुति की शुरुआत शनिवार की शाम हूलाला नृत्य व भारतीय शास्त्रीय संगीत की सुमधुर प्रस्तुति के साथ हुई। इसके बाद फ्लेमेंगो डांस व सेक्सोफोनिस्ट सहित अन्य पाश्चात्य व हिन्दुस्तानी प्रस्तुतियों के फ्युजन ने समा बांध दिया। मूलत: एक सायलेंट प्ले के रूप में अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने नॉन स्टॉप ओपेरा के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी। जिसमें कलाकारों ने बिना कुछ कहे अपनी भाव भंगिमाओं से सबकुछ बयां कर दिया।


ग्वालियर दुर्ग पर भीमसेन राणा की छत्री, जौहर कुण्ड, जहांगीर महल व कर्ण महल सहित अन्य ऐतिहासिक धरोहरों के बीच सजी “पैनोरमा एडिशन” की इस संध्या में एक बारगी ऐसा महसूस हुआ, जैसे किले पर किसी मध्यकालीन राजदरबार में संगीत महफिल सजी है। फ्रांस व स्पेन सहित अन्य देशों के राजनयिक व प्रतिनिधिगण इस लाइव प्रदर्शन के प्रत्यक्ष साक्षी बने। ज्ञात हो कि पैनोरमा एडिशन के पिछले संस्करणों का आयोजन पटियाला, जोधपुर और जैसलमेर के विरासत स्थलों पर किया गया था। यह आयोजन पर्यटन एवं संस्कृति विभाग, ग्वालियर जिला प्रशासन, यूनेस्को, जयविलास पैलेस, राजदूत मोनिका कपिल मोहता और सोपान के सिद्धांत के सहयोग से किया गया।

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