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Supreme Court ने एक हफ्ते में आयुष डॉक्टरों का बकाया वेतन जारी करने के दिए निर्देश

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जयपुर न्यूज़ डेस्क,  सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को उन सेवानिवृत्त सरकारी आयुष चिकित्सकों का लंबित वेतन एक सप्ताह के भीतर जारी करने का शुक्रवार को निर्देश दिया जिन्हें उच्च न्यायालय के फैसले के बाद बहाल किया गया था. न्यायालय ने पूछा कि आयुष चिकित्सकों के साथ ‘‘सौतेला'' व्यवहार क्यों किया गया. 

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी सरकार

इससे पहले राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था. सरकार ने अपनी अपील में कहा था कि एलोपैथिक चिकित्सकों और चिकित्सा की वैकल्पिक प्रणालियों से जुड़े चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की आयु अलग-अलग नहीं हो सकती.

2016 में बढ़ा दी गई थी रिटायरमेंट की उम्रसीमा

एलोपैथिक चिकित्सकों की कमी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने 31 मार्च, 2016 से उनकी सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी थी जिसके कारण सरकारी आयुष (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) चिकित्सकों की ओर से याचिकाएं दायर की गई थीं.

हाईकोर्ट ने आयुष चिकित्सकों का कार्यकाल बढ़ाया

लेकिन सरकार द्वारा नियुक्त आयुष चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष ही रही. राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य के सभी सरकारी चिकित्सकों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु समान होनी चाहिए. आयुष चिकित्सकों की शिकायतों पर विचार करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि यदि वे 31 मार्च, 2016 के बाद सेवानिवृत्त हुए तो उन्हें 62 वर्ष की आयु तक सेवा में माना जायेगा.

वेतन भुगतान में हुई 5 महीने की देरी

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपीलों पर गौर किया. पीठ ने तब अप्रसन्नता जाहिर की जब आयुष चिकित्सकों के वकील ने कहा कि हालांकि उन्हें सेवा में वापस ले लिया गया है, लेकिन उनके वेतन के भुगतान में पांच महीने की देरी हुई है.

अदालत ने पूछा- आयुर्वेद का साथ सौतेला व्यवहार क्यों

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘वे सभी चिकित्सक के रूप में काम कर रहे हैं. आयुर्वेद के साथ यह सौतेला व्यवहार क्यों...आपने वेतन जारी क्यों नहीं किया?'' पीठ ने सरकार से एक सप्ताह के भीतर वेतन जारी करने को कहा.पीठ ने वकील से राज्य में चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की आयु से संबंधित मुद्दे से उत्पन्न मामलों का एक चार्ट तैयार करने को कहा.

उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था, “जो लोग 60 वर्ष की आयु तक पहुंचने पर सेवानिवृत्त हो गए हैं, लेकिन 62 वर्ष की आयु पूरी नहीं की है, उन्हें तुरंत सेवा में बहाल किया जाए.”उच्चतम न्यायालय 19 जुलाई को उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली राजस्थान सरकार की अपील पर विचार करने के लिए सहमत हो गया था जिसमें कहा गया था कि एलोपैथिक चिकित्सकों और चिकित्सा की वैकल्पिक प्रणालियों से जुड़े चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की आयु अलग-अलग नहीं हो सकती. इसने राज्य सरकार की अपील पर आयुष चिकित्सकों को नोटिस जारी किया था. उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय में अवमानना का सामना कर रहे अधिकारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के सॉलिसिटर जनरल के अनुरोध को भी स्वीकार कर लिया था.
 

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