जयपुर न्यूज़ डेस्क, जल जीवन मिशन (जेजेएम) में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र से टेंडर देने और मामले की जानकारी होने के बाद भी जांच नहीं कराने के मामले में एसीबी ने 12 इंजीनियरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन जलदाय विभाग ने इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। जबकि हाल ही में एसीबी मामले में एक चीफ इंजीनियर को निलंबित किया गया था। लेकिन जेजेएम घोटाले में आरोपी इंजीनियरों को निलंबित करने की फाइल इधर-उधर घूम रही है। आरोप है कि 979 करोड़ रुपए के जेजेएम घोटाले को एक साल बीत चुका है।
इनमें से कई इंजीनियरों ने फर्जी दस्तावेजों पर मुहर लगाकर टेंडर दिए थे, लेकिन एक भी इंजीनियर को निलंबित नहीं किया गया है। घोटाले को एक साल बीत चुका है, लेकिन सिर्फ एक को निलंबित किया गया है। जल जीवन मिशन में हुए 979 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच एसीबी, ईडी और सीबीआई कर रही है। जलदाय विभाग की जांच रिपोर्ट में भी साबित हो चुका है कि करोड़ों के इस घोटाले में इरकॉन के नाम पर फर्जी प्रमाण पत्र बनाए गए थे। लेकिन करोड़ों के इस घोटाले में अब तक सिर्फ एक एक्सईएन को निलंबित किया गया है। बाकी दागी इंजीनियरों पर कार्रवाई करने की बजाय विभाग ने उनमें से कुछ को पदोन्नत कर दिया।
जेजेएम घोटाले में आरोपी दिनेश गोयल वर्तमान में मुख्य अभियंता प्रशासन हैं और उन्होंने जेजेएम में रहे मुख्य अभियंता आरके मीना को गुणवत्ता नियंत्रण की जिम्मेदारी दे रखी है। अन्य अधिकारियों को भी प्रमुख पद दिए गए हैं। जबकि मुख्यमंत्री इन अधिकारियों के खिलाफ एसीबी केस के लिए अभियोजन स्वीकृति पहले ही दे चुके हैं।
किस्तों में रिश्वत ने ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई रोकी
एसीबी एफआईआर के अनुसार आरोप है कि फर्मों के टेंडर हासिल करने के लिए किए जा रहे फर्जीवाड़े की जानकारी इंजीनियरों को पहले से थी। एक वकील ने तीन लीगल नोटिस भी भेजे, जिसके बाद शिकायत की गई। लेकिन अधिकारियों ने कार्रवाई को दबा दिया। आरोप है कि अधिकारियों को किस्तों में रिश्वत मिल रही थी। हर बिल को पास करने से पहले तय रिश्वत दी जाती थी।
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