पाली न्यूज़ डेस्क, चार साल पहले केमिकल कारोबारी की कॉमर्स ग्रेजुएट बेटी ने सांसारिक मार्ग छोड़कर साध्वी बनने का फैसला किया। छोटी बेटी का यह फैसला सुनकर परिवार हैरान रह गया। चार साल तक उसे समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन जब वह नहीं मानी तो आखिरकार परिवार बेटी को दीक्षा दिलाने के लिए राजी हो गया। अब 23 नवंबर को पाली के सोजतिया बास में रहने वाली निकिता कटारिया (29) रायपुर (छत्तीसगढ़) में जैन संतों के सानिध्य में दीक्षा लेंगी। तीन दिवसीय दीक्षा से पहले शुक्रवार से पाली में संयम पथ कार्यक्रम शुरू हो गया है।
निकिता से जब बात की गई तो उसने कहा- मोक्ष प्राप्ति के लिए संयम का मार्ग जरूरी है। 14 साल की उम्र से ही मेरे अंदर वैराग्य के भाव आने लगे थे। इस बीच कई बार जैन संतों के सानिध्य में रही। जब मैंने यह बात अपने पिता को बताई तो उन्होंने कहा- संन्यास के मार्ग पर चलना कोई बच्चों का खेल नहीं है
निकिता कटारिया ने कहा- बचपन से ही मुझे उपासरा जाना, धार्मिक शिक्षा लेना अच्छा लगता था। मैं जैन संतों के प्रवचनों में भी जाती थी। जब मैं करीब 14 साल की थी, तब मेरे मन में यह विचार आया कि सांसारिक जीवन नश्वर है। आज नहीं तो कल मुझे मरना ही पड़ेगा। अगर मोक्ष पाना है, तो संन्यास का मार्ग ही सबसे अच्छा है।
उस समय मैं छोटी थी, इसलिए अपने पिता अभय कटारिया को यह बताने में डरती थी कि अपने मन की बात कैसे बताऊं। करीब चार साल पहले मैंने हिम्मत जुटाई और अपने पिता से कहा कि मैं शादी नहीं करना चाहती, क्योंकि मैं संन्यास को अपनाना चाहती हूं। जब मेरे पिता ने यह सुना, तो वे चौंक गए। उन्होंने कहा- संन्यास के मार्ग पर चलना कोई बच्चों का खेल नहीं है।
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