डूंगरपुर न्यूज़ डेस्क, एसबीपी कॉलेज के प्रथम ईयर आर्टस, साइंस और कॉमर्स विषय के अलग- अलग सेक्शन में करीब 3 हजार से अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं। वहीं द्वितीय वर्ष आर्टस,साइंस और कॉमर्स के अलग- अलग सेक्शन में करीब 2350, तृतीय वर्ष के आर्टस, साइंस और कॉमर्स में करीब 2 हजार अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। पीजी में राजनीति शास्त्र में 30 तथा अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, हिंदी, भूगोल, इतिहास, राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र में 60-60 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। शिक्षकों की कमी के चलते बच्चे कम आते हैं और इसी के चलते तीन-तीन कक्षाओं के बच्चों को एक साथ बिठा दिया जाता है। कॉलेज में होने वाले कार्यक्रमों में आने वाले अतिथियों के समक्ष हर बार रिक्त पदों और आवश्यक संसाधनों को लेकर मांगें उठती है। हर बार आश्वासनों से आगे बात नहीं बढ़ रही है। यहां भूगोल में 9 पद में से सिर्फ दो पद ही भरे हुए है। हिंदी, राजनीति विज्ञान और समाज शास्त्र के सात- सात पद है और यह सभी पद रिक्त चल रहे हैं। इन विषय की पढ़ाई संविदा पर लगे शिक्षकों से कराई जा रही है। इसके अलावा इतिहास, संस्कृत, अर्थशास्त्र के पांच- पांच पद है ये सभी िरक्त चल रहे हैं।
भौतिक शास्त्र में एक, वनस्पति शास्त्र में 3,प्राणीशास्त्र में 5, भूर्गशास्त्र, लोक प्रशासन, ईएएफएम,एबीएसटी और व्यवसायिक प्रशासन में एक- एक पद स्वीकृत है। यह सभी पद भी लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। एसबीपी कॉलेज में शारीरिक शिक्षक, पुस्तकालयाध्यक्ष के एक- एक पद है लेकिन ये भी खाली है। प्रचार्य गणेश निनामा का कहना है कि रिक्त पदों को भरने के लिए कई बार पत्र लिखकर कॉलेज आयुक्तालय को अवगत कराया जा चुका है। नई भर्ती प्रकिया शुरू होने के बाद ही कॉलेज में व्याख्याता की व्यवस्था हो सकेगी। डूंगरपुर सरकार उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ब्लॉक स्तर पर कॉलेज तो खोल रही है पर, पढ़ाने वाले नहीं दे रही। भोगीलाल पण्ड्या महाविद्यालय में स्थिति काफी विकट है। इसका खामियाजा यहां पर पढ़ने वाले बच्चों को उठाना पड़ रहा है। इस कॉलेज में सात हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं। ऐसे में जानकारों के अनुसार कम से कम 300 व्याख्याता होने ही चाहिए। पर, यहां स्वीकृत पद ही 81 हैं। इसमें भी शर्मनाक स्थिति यह है कि इनमें से भी 65 पद रिक्त हैं। रिक्त पदों पर भर्ती के करने के बजाय यहां कार्यरत 16 व्याख्याताओं में से कम्प्यूटर साइंस के दो में से एक को प्रतिनियुक्ति में जयपुर भेज दिया। यही हाल गणित के भी है। गणित में दो में से एक को प्रतिनियुक्ति पर दूसरे जिले में भेजा। बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। लेकिन सुनवाई नहीं हो रही।
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