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Chittorgarh अफीम पट्टा बहाल कराने के लिए भटक रहा बुजुर्ग, विभाग ने किसी और को दिया

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चित्तौरगढ़ न्यूज़ डेस्क, भारत सरकार की नई अफीम नीति के हिसाब से अफीम के दशकों पुराने खारिज पट्टों बहाल किया जाना है। केंद्र सरकार इस नीति के जरिए अफीम किसानों को बड़ी राहत देना चाहती है। लेकिन इससे उलट चित्तौड़गढ़ जिले के डूंगला उपखण्ड क्षेत्र के एक बुजुर्ग किसान को अपने ही पट्टे बहाल करने के लिए नारकोटिक्स विभाग के चक्कर लगाने पड़ रहे है।बुजुर्ग का बरसों पुराना खारिज पट्टा नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों ने किसी और व्यक्ति के नाम कर दिया। किसान ने अधिकारियों से बातचीत कर अपना पट्टा वापस लेना चाहा लेकिन अधिकारियों किसान की एक नहीं सुनी। बुजुर्ग ने आरोप लगाते हुए केंद्रीय स्तर पर निष्पक्ष जांच की मांग की है।

केंद्र से जारी सूची में है पीड़ित का नाम
चित्तौड़गढ़ जिला अफीम अधिकारी द्वितीय खण्ड के अंतर्गत आने वाले डूंगला उपखण्ड के सेठवाना गांव के रहने वाले किसान नारायण सुथार इन दिनों लगातार नारकोटिक्स विभाग में चक्कर काटते हुए नजर आए। उन्होंने बताया कि काफी साल पहले नारायण पुत्र देवा के नाम से उनके पास अफीम का पट्टा था। उस समय अफीम खेती के दौरान औसत से कम अफीम का उत्पादन होने पर विभाग की ओर से किसान का अफीम पट्टा खारिज कर दिया गया। भारत सरकार ने साल 2024-25 की नई अफीम नीति के तहत नारायण पुत्र देवा के नाम से खारिज पट्टे को फिर से बहाल कर दिया और यह लिस्ट भी आगे केंद्र से जारी की गई है।

पट्टे के मालिक के नाम से मिलते जुलते नाम वाले को दे दिया पट्टा
बुजुर्ग जब नारकोटिक्स ऑफिस पहुंचा तो अपना पट्टा किसी ओर के नाम से देखकर हैरान हो गया। नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों ने नारायण नाम से मिलते जुलते एक अन्य व्यक्ति नारायण पुत्र भैरू से सांठगाठ कर उसे अफीम का पट्टा जारी कर दिया। इधर, नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों की ओर से मामले को रफा दफा करने के उद्देश्य से अजीबोगरीब तर्क दिए जा रहा है। अफीम अधिकारी (सेकंड डिवीजन) अमर सिंह का कहना है कि जिस अफीम किसान को अफीम का पट्टा बहाल किया गया, बहाल पट्टे में किसान के पिता के नाम की जगह उसके दादा का नाम गलती से लिख दिया गया हैं। इतना ही नहीं, विभागीय अधिकारी किसान की बात छोड़ कर उनके सहयोगियों की डिटेल की बात करने लगे।

पीड़ित ने की जांच की मांग
अपनी गलतियों को छुपाने के लिए चित्तौड़गढ़ नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों के अजीबोगरीब तर्क कहीं न कहीं सरकार की सूची को ही गलत ठहरा रही है। केंद्र से जारी सूची उसी आधार पर है, जिस आधार पर पहले सालों पहले पट्टा मिला था और अफीम की खेती की गई। वहीं, पीड़ित बुजुर्ग किसान नारायण सुथार ने केंद्रीय स्तर पर मामले की निष्पक्ष जांच करवा कर आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस तरह से उनका हक छीन कर किसी और को दे दिया गया है।

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