नागौर न्यूज़ डेस्क, नागौर ये तस्वीरें जिले के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल की है। मरीज यहां इलाज के लिए तो आते हैं, लेकिन यहां की लचर व्यवस्थाएं उनके साथ आने वाले परिजनों को ही बीमार कर देती है।टीम सोमवार को अस्पताल में घूमी। इस दौरान देखने में आया कि मरीजों के स्ट्रेचर और व्हीलचेयर को परिजन ही खींच रहे थे। उनसे पूछा गया तो बताया कि कर्मचारी को बुलाया लेकिन आया नहीं। मजबूरी थी कि उन्हें खुद ही स्ट्रेचर चलाना पड़ रहा है।
एक मरीज के परिजन ने बताया कि उन्हें हर हफ्ते अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने आना पड़ता है। ऐसे में उन्होंने फोटो लेने से भी मना कर दिया। मरीजों से बात करने के बाद बाद टीम ने एक घंटे तक ट्रॉलीमैन को तलाशा, लेकिन कोई नहीं मिला। जेएलएन अस्पताल में सोमवार को दोपहर साढ़े 12 बजे के आसपास टीम पहुंची तो एक स्ट्रेचर भंवरजी पुरी लेटे थे। बेटा कैलाशपुरी स्ट्रेचर खींच रहा था। उन्होंने बताया कि पिता को सांप ने काट लिया। इमरजेंसी में आए थे, वहां से वार्ड में जाने के लिए कहा। एक घंटे से भटक रहे हैं, लेकिन वार्ड नहीं मिला। स्ट्रेचर चलाने वाला कार्मिक तक नहीं मिला, खुद ही घसीटना पड़ रहा है। यहां सहायता करने के लिए कोई स्टाफ अब तक नहीं सामने नहीं आया है।
एक बार इधर-उधर ढूंढा था लेकिन कोई स्टाफ नहीं मिला। इसलिए भटकना पड़ा। जेएलएन में भर्ती दुर्ग सिंह को जांच के लिए वार्ड से लैब तक लाना था। उनका दोहिता नरपत सिंह ही स्ट्रेचर लेकर आया। नाना की जांच करवाने से लेकर वापस वार्ड में ले जाने तक स्ट्रेचर उसने खुद ही खींचा। पूछने पर बताया कि कर्मचारी को बोला था, लेकिन सुनते ही नहीं। कोई नहीं आया तो जांच तो करवानी ही थी। खुद ही को स्ट्रेचर चलाना पड़ रहा है।
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