न कोई ऑटो टिपर न कोई सफाई कर्मी : कॉलोनी में सफाई आमजन को करनी पड़ रही है। सफाई के लिए यहां कोई ऑटो टिपर नहीं आता है और न ही अब तक कोइ सफाई कर्मचारी लगाया है। इससे आए दिन कचरा इधर-उधर उड़ता रहता है। यहां सड़कें भी टूटी हुई हैं और पानी निकास के इंतजाम नहीं होने से सड़कों पर पानी जमा हो जाता है। रात होते ही पूरी कॉलोनी अंधेरे में डूब जाती है। बिजली के पोलों पर रोड़ लाइट नहीं है। कई जगहों पर लोगों ने ही अपने घरों के सामने लाइट लगा रखी है। कॉलोनी में सफाई के लिए कोई नहीं आता है। कचरा इधर-उधर उड़ता रहता है। बारिश के दौरान पानी भर जाता है । यहां नालियों का निर्माण नहीं किया गया है, जिससे आमजन को परेशानी हो रही है।यहां सड़कें उखड़ी हुई हैं। कॉलोनी में रोड लाइट नहीं है। इससे रात को अंधेरा रहता है। लूटपाट का भी डर बना हुआ है। कई बार अधिकारियों को समस्याओं से अवगत करवाया है, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
सरकारी स्कूल और आंगनबाड़ी में सुविधाओं का टोटा
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय और आंगनबाड़ी में सुविधाओं की दरकार है। यहां विद्यार्थियों के बैठने के लिए पर्याप्त मरे नहीं हैं। स्कूल कक्षा 1 लेकर कक्षा 12वीं तक हैं, लेकिन पांच कमरों में चल रही है। आधे बच्चों को बरामदा में बैठाया जा रहा है और आंगनबाडी के लिए केवल एक कमरा है। जिसमें छोटे बच्चे बैठते हैं और राशन भरा होता है। टीका लगाने के समय यहां भीड हो जाती है। वहीं, स्कूल में कार्यवाहक प्रधानाचार्य को पिछले तीन माह से सैलरी नहीं मिली है, ऐसा ही हाल आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का है। इनका भी दो-तीन माह का वेतन अटका हुआ है। स्कूल प्रधानाचार्य अंबाला सोनी ने बताया कि स्कूल की समस्याओं के लिए कई बार अधिकारियों को अवगत करवाया गया है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है।हमें पिछले कई माह से वेतन नहीं मिला है। छोटे बच्चों को बैठने और राशन के लिए अलग-अलग कमरे होने चाहिए। पानी के लिए भी कोई इंतजाम नहीं है। कमरा भी जर्जर हो गया है।
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