विधानसभा प्रत्याशियों के भाग्य के लिए निर्णायक भी 40 साल से कम आयु के मतदाता ही रहेंगे। कई जगह तो राजनीतिक दल और प्रत्याशियों को युवाओं की ताकत का अहसास भी है, जिसके चलते नई पीढ़ी को आकर्षित करने के प्रयास भी आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे। प्रत्याशी इस बार हर घर पर दस्तक भले न दे पाएं, लेकिन युवा पीढ़ी के खिलौने यानी मोबाइल तक हर किसी की पहुंच रहेगी।
ये है युवाओं के मुद्दे
1. खींवसर: इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 2,86,041 है। जिनमें से युवा मतदाता 1,50,977 है। यहां अब तक जिसको युवाओं का साथ मिला, उसी पार्टी की जीत हुई है। इस बार युवाओं के मुद्दे है कि नए उद्योग आएं, कॉलेजों में स्टाफ पूरा हो और रेल लाइन कनेक्टिविटी हो।
2. सलूम्बर: इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 2,97,645 है। जिनमें से युवा मतदाता करीब 50 प्रतिशत है। यहां युवा मतदाता भी जातिगत विचारधारा से प्रभावित। युवाओं के मुद्दे है कि रोजगार और उच्च शिक्षा के लिए सुविधाएं बढ़ें। हालांकि, युवा अपनी प्राथमिकताओं को लेकर खामोश है।
3. दौसा: इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 2,46,012 है। जिनमें से 1.27 लाख युवा मतदाता है। यहां भी सत्ता की चाबी युवा मतदाताओं के हाथ में रहेगी। क्षेत्र के युवा चाहते है कि रोजगार के अवसर बढ़ें और समय पर सरकारी भर्तियां हों।
4. देवली-उनियारा: इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 3,02,721 है। जिनमें से 2,01,412 युवा मतदाता है। इस सीट पर युवाओं की भूमिका सबसे अधिक निर्णायक रहेगी। यहां युवाओं को रोजगार और पीजी कॉलेज की दरकार है।
5. रामगढ़: इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 2,74,180 है। जिनमें से 1.40 लाख से ज्यादा युवा वोटर्स है। यहां युवा मतदाताओं में अपनी प्राथमिकता के प्रति जागरूकता कम है। युवा वर्ग चाहता है कि औद्योगिक एरिया विकसित होने के साथ ही उद्योगों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाएं।
6. चौरासी: इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 2,55,401 है। जिनमें से युवा मतदाता 1,31,263 है। यहां युवा मतदाता निर्णायक है, लेकिन वे भी स्थानीय समीकरणों से प्रभावित है। यहां युवाओं के मुद्दे है कि विद्यालयों में रिक्त पद जल्द भरे जाएं तथा औद्योगिक इकाइयों की स्थापना हो।
7. झुंझुनूं: इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 2,74,533 है। जिनमें से 1,38,081 युवा मतदाता है। यहां सेना भर्ती से जुड़े मुद्दों का असर हो सकता है। यहां युवाओं के मुद्दे है कि सेना भर्ती झुंझुनूं में फिर से शुरू हो। अग्निवीर भर्ती के लिए चयन भी खुद के जिले में हो। कर्मचारी चयन बोर्ड व आरपीएससी सेंटर नहीं होने से युवतियों व दिव्यांगों को ज्यादा परेशानी होती है।
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