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Jaipur विधानसभा उपचुनाव के बाद बेड़े में शामिल होंगी 64 नई 108 एंबुलेंस

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जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर  सड़क दुर्घटना के दौरान घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाने के लिए भजनलाल सरकार 64 नई एम्बुलेंस और बेड़े में शामिल करने जा रही है। इसमें 25 एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) और 39 बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) एंबुलेंस होंगी। नई एम्बुलेंस के आने पर घायलों को अस्पताल में पहुंचाने का रिस्पाॅन्स टाइम घटने के साथ ही ज्यादा लोकेशन से 108 एम्बुलेंस की सुविधा मिलने पर जीवन को बचाना आसान होगा।7 जगहों पर हो रहे उपचुनावों के बाद आधुनिक एम्बुलेंस आमजन के लिए दौड़ने लगेंगी। अधिकारियों का कहना है कि हमने तैयारी कर ली है, जल्द नई लोकेशन्स पर एम्बुलेंस मिलने से आमजन को फायदा मिलेगा। किस जिले को कितनी मिलेगी, यह उपचुनाव के बाद ही तय होगा।

24,705 सड़क हादसों में 11,762 मौतें हुईं

हादसों में कमी लाने के लिए परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग ने सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ का गठन कर रखा है, इसके बावजूद हादसों में बढ़ोतरी हो रही है। प्रकोष्ठ के जरिए हर साल करीब 70 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। 4 साल में करीब 350 करोड़ खर्च हो चुके हैं। 2022 में 23614 सड़क हादसों में 11104 लोगों की मौत हुई थी। 2023 में आंकड़ा बढ़कर 24705 हादसों में 11762 लोगों की मौत पर पहुंच गया। यानी 658 लोगों की अधिक मौत हुई ।

वो सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं

दुर्घटना के बाद मरीज को अस्पताल पहुंचाने का पहला एक घंटा गोल्डन आवर माना जाता है। समय पर इलाज मिलने पर जान को खतरा नहीं रहता है। इमरजेन्सी के समय अस्पताल में सही समय और बेड मिलने के बाद ऑक्सीजन व ड्रीप लगने पर कुछ हद तक मृत्यु दर को रोका जा सकता है।

एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एम्बुलेंस में डिफीब्रीलेटर और वेंटिलेटर जैसे आधुनिक उपकरण की सुविधा होती है, जबकि बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) में ये दो उपकरणों के अलावा सारी सुविधा रहती है।एक लाख की जनसंख्या पर एक बीएलएस और पांच लाख की जनसंख्या पर एएलएस होती है।हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रॉक और मिर्गी के दौरे जैसी इमरजेन्सी में अस्पताल में 8 से 10 मिनट में अस्पताल पहुंचने पर ब्रेन स्ट्रॉक वाले मरीज को समय पर इलाज मिलने पर थ्रोम्बोलिसिस व हार्ट अटैक के प्राइमरी एंजियोप्लास्टी की सुविधा मिलने से जान को खतरा टाला जा सकता है।हार्ट अटैक वाले मरीज की समय पर एंजियोग्राफी कर एंजियोप्लास्टी करने से मौत होने से रोका जा सकता है। किसी तरह की सड़क दुर्घटना, झुलसे मरीज और आपदा के समय अस्पताल में पहुंचने पर इलाज कर मरीज को बचाया जा सकता है।

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