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Jaislamer सोनार दुर्ग में अलग मार्ग की दरकार, भीड़ में हादसे का डर

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जैसलमेर न्यूज़ डेस्क , जैसलमेर दुर्ग में किसी अप्रिय घटना, जैसे भगदड़ या किसी के स्वास्थ्य बिगड़ने पर तत्काल राहत व निकासी का कोई वैकल्पिक मार्ग न होना संभावित खतरे को बढ़ा रहा है। स्थानीय बाशिंदों का कहना है कि हर साल पर्यटकों की बढ़ती संया के बावजूद पुरातत्व विभाग की ओर से वैकल्पिक रास्ता निकालने पर कोई ठोस पहल नहीं की जा रही।

दुर्ग में वैकल्पिक रास्ते की दरकार

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और बॉबे आइआइटी के शोधकर्ताओं ने भी सोनार दुर्ग की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी। एनडीएमए ने दक्षिण-पूर्वी हिस्से में 99 सीढ़ियों का एक वैकल्पिक मार्ग बनाने की सिफारिश की थी, ताकि आपात स्थिति में भीड़ से बचने का मार्ग उपलब्ध हो सके। वहीं, बॉबे आईआईटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भूकप की दृष्टि से जैसलमेर का यह क्षेत्र संवेदनशील है। वर्ष 2001 में आए भूकप से दुर्ग की प्राचीन इमारतों को नुकसान पहुंचा था, और भविष्य में इस तरह की किसी आपदा के दौरान एकमात्र मार्ग के बंद होने पर राहत पहुंचाना बेहद मुश्किल हो सकता है।

भीड़ उमड़ते ही बढ़ने लगती है चिंता

दुर्ग में रहने वाले लगभग साढ़े तीन हजार निवासियों और हजारों पर्यटकों की सुरक्षा की चिंता लंबे समय से जताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक पुरातत्व विभाग ने दुर्ग के ऐतिहासिक स्वरूप के संरक्षण का हवाला देकर वैकल्पिक मार्ग की मांग को ठुकरा दिया है। स्थानीय प्रशासन ने भी इस मुद्दे को लेकर कई बार पत्राचार किया, लेकिन हर बार इसे अस्वीकार कर दिया गया। सोनार दुर्ग का मौजूदा एकमात्र संकरा मार्ग, बढ़ती संया में पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है।

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