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Kota डेंगू से छात्र की मौत, जिले में अब तक 178 मामले

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कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा में डेंगू से पहली मौत का मामला सामने आया है। जिले में डेंगू अब जानलेवा होने लगा है। हालांकि पिछले साल की तुलना में इस बार केस कम आ रहे हैं, लेकिन सरकारी महकमें की लापरवाही, एक नर्सिंग छात्रा पर भारी पड़ गई। छात्रा नाजिया(21) इटावा की रहने वाली थी, जो कि कोटा के नयापुरा स्थित एएनएम ट्रेनिंग सेंटर की छात्रा थी। 22 सितंबर को उसकी तबीयत खराब हुई थी। उसे बुखार आया।  ट्रेनिंग सेंटर के कार्यवाहक प्रिसिंपल गजराज मीना ने बताया कि अस्पताल में ही डॉक्टर को नाजिया ने चैकअप करवाया था, उसकी टेस्ट करवाई गई जिसमें 23 सितंबर को उसकी डेंगू पॉजिटिव रिपोर्ट आई। जिसके बाद उसका इलाज चल रहा था। 25 सितंबर को ही वह कुछ ठीक थी तो अपने घर चली गई थी। वहां गुरूवार को उसको रूटीन ट्रीटमेंट के तहत ड्रीप लगाई गई थी। उसके कुछ देर बाद उसकी तबीयत खराब हो गई थी। जिसके बाद उसे कोटा मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल लाया गया था जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।

दो तीन छात्राओं में भी लक्षण

इधर, छात्रा की मौत के बाद चिकित्सा विभाग में हडकंप है। हॉस्टल में फॉगिग करवाई जा रही है। साफ सफाई का काम चल रहा है। जहां शहर के लोग इलाज करवाने जाते हैं, वहीं के ट्रेनिंग सेंटरों में गदंगी, पानी का जमाव हो रहा है। छात्रा के हॉस्टल के भी यही हाल थे। गजराज मीना ने बताया कि हॉस्टल की दो तीन और छात्राओं को भी बुखार आया है। ऐसे में हॉस्टल की छात्राओं को उनके घर भेजा गया है। वहीं हॉस्टल में चिकित्सा विभाग की टीमें भी पहुंची थी। साफ सफाई का काम करवाया जा रहा है। गजराज मीना के अनुसार बारिश के चलते यहां झाड़ियां उग गई थी, पानी का जमाव हो गया था। उनके साफ सफाई का काम चल रहा है।

मच्छरदानी के बीच हो रहा इलाज
एएनएम छात्रा की, उसके हॉस्टल और अस्पताल में काम के दौरान ही तबीयत खराब हो गई और डेंगू पॉजिटिव आ गई। केस इतना बिगड़ गया कि उसकी मौत हो गई। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पतालों में या इन सरकारी हॉस्टलों में सफाई को लेकर कितनी सतर्कता बरती जा रही है। एमबीएस अस्पताल, जेके लोन अस्पताल संभाग के सबसे बड़े अस्पताल है। यहां पर रोज दो हजार से ज्यादा ओपीडी रहता है। जेके लोन अस्पताल में महिला और शिशुओं का इलाज होता है। यहां पर स्थिति यह है कि भर्ती शिशुओं-महिलाओं के लिए मच्छरदानी लगानी पड़ रही है। मच्छरों के ड़र से मच्छरदानी लगाकर इलाज किया जाता है ताकि अस्पताल में डेंगू न फैलें। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मच्छरदानी सुरक्षा के लिहाज से ही दी जाती है। अगर कोई केस डेंगू पॉजिटिव होता है, तो मच्छर किसी और को न काट सके, इसलिए मच्छरदानी भर्ती मरीजों के लिए दी जाती है।

हर साल ट्रेंड बदलता है डेंगू

कोटा में हर साल डेंगू ट्रेंड बदलता है। इस साल जनवरी से लेकर अब तक 178 केस सामने आ चुके है। हर रोज करीब तीन चार मरीज डेंगू पॉजिटिव आ रहे है। हालांकि यह वह रिपोर्ट है जिन्हें चिकित्सा विभाग पॉजिटिव मानता है। कोटा में डेंगू एक साल छोड़कर कहर बरपाता है। कोटा में एक साल तेजी से केस बढ़ते हैं तो दूसरे साल काफी कम केस आते हैं। पिछले कई सालों के आंकडों को देखें तो यहीं ट्रेंड रहा है। पिछले साल भी केस हजार पार थे।
डेंगू फैलने का समय जुलाई से अक्टूबर तक का रहता है। सबसे ज्यादा सेंसेटिव एरिया नए कोटा क्षेत्र का रहता है। इसका बड़ा कारण है कि यहां पर पीजी, हॉस्टल होना है। हालांकि इस बार यहां से ज्यादा केस रिपोर्ट नहीं हुए हैं। डॉक्टर्स के अनुसार डेंगू के ट्रेंड बदलने के पीछे सबसे बड़ा कारण इम्यूनिटी है। एक साल ज्यादा केस सामने आते हैं तो लोगों में इस बीमारी को लेकर इम्यूनिटी मजबूत हो जाती है लेकिन बाद में फिर कमजोर होने लगती है। इसके अलावा दूसरा कारण मानवीय और प्राकृतिक है। बारिश ज्यादा होने पर सड़को पर पानी बहने लगता है इससे लार्वा का सॉर्स खत्म होता है। वहीं पानी का जमाव ज्यादा होता है तो लार्वा पनपते है।

हर साल इतने केस आ रहे सामने
साल 2016 में डेंगू के 738,2017 में 1863, साल 2018 में 759, साल 2019 में 1342,साल 2020 में 15,साल 2021 में 1811, साल 2022 में 258 केस सामने आए थे। पिछले साल यह आंकडा एक हजार करीब था, इस साल जनवरी से लेकर अब तक 178 केस सामने आए हैं। चिकित्सा विभाग एलाइजा टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने पर ही डेंगू पॉजिटव मानता है। जबकि रेपिड टैस्ट यानी कार्ड टेस्ट में भी कई रोगी सामने आ रहे हैं। सर्वे की बात की जाए तो शहर में चिकित्सा विभाग की टीमें बारिश के सीजन से ही सर्वे में जुट गई थी। इनमें नर्सिंगकर्मी, नर्सिंग स्टूडेंटस शामिल हैं। घर घर जाकर कूलर, टंकियां और अन्य जगह डेंगू मच्छर के सोर्स चेक कर टेमीफोस दवा डाली जा रही है। पायरेथ्रम का छिड़काव किया जा रहा है।

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