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क्या बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बना डोटासरा का 'गमछा डांस' ? क्या राजस्थान में सियासी तस्वीर बदल पायेगी कांग्रेस

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दौसा न्यूज़ डेस्क, तारीख थी 12 जुलाई 2020, जब तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार के अल्पमत में आ जाने का ऐलान कर दिया. सरकार को गिराने के संकेत देने लगे. वह 19 करीबी विधायकों के साथ मानेसर के रिसॉर्ट में जा बैठे. सरकार पर संकट आया और संगठन में भी खलबली मच गई. तब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पायलट ही थे, बगावत के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया. नए अध्यक्ष के तौर पर तत्कालीन शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh dotasara) को 14 जुलाई 2020 को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का मुखिया नियुक्त किया गया. अंदरखाने कहा गया कि करीबी को मुखिया बनाकर गहलोत संगठन और सरकार, दोनों में हावी रहेंगे. हालांकि कुछ ही समय में डोटासरा ने एक्सपर्ट्स को गलत साबित किया. 

अब एक बार फिर उनके सामने चुनौती है. सवाल यह भी है कि क्या जिस तरह लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया, वह कमाल एक बार फिर होगा? चर्चा डोटासरा के 'गमछा डांस' को लेकर भी है, जिसे वह चुनाव प्रचार के दौरान सभाओं में जमकर घूमा रहे हैं. दरअसल, 7 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में सलूंबर सीट ही ऐसी ही है, जो बीजेपी के खाते में थी. जबकि खींवसर (RLP) और चौरासी (बीएपी) के अलावा झुंझुनू, दौसा, देवली-उनियारा और राजगढ़ में कांग्रेस के सामने सीट बचाने की चुनौती है. जाहिर तौर पर इस चुनाव में बीजेपी के लिए खोने को कुछ भी नहीं है, जिसकी बात खुद प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ भी कह चुके हैं. दूसरी ओर, अगर कांग्रेस बड़ी जीत हासिल करती है तो इसका असर डोटासरा के कद पर जरूर पड़ेगा. 

लोकसभा चुनाव में खूब काम आई डांस पॉलिटिक्स!
बीते 10 वर्षों से कांग्रेस का लोकसभा में खाता भी नहीं खुला था, लेकिन इस बार पार्टी का प्रदर्शन अप्रत्याशित रहा. शायद ही राजनीतिक विश्लेषक इसकी उम्मीद कर रहे थे. कुल 25 में से 14 सीटों पर बीजेपी और 11 सीटों पर कांग्रेस और सहयोगी दलों के प्रत्याशी विजयी रहे. जिसमें कांग्रेस के खाते में 8 और सहयोगी दलों के खाते में 3 सीटें आईं. कांग्रेस के सहयोगी दलों के उम्मीदवार नागौर से आरएलपी के हनुमान बेनीवाल, बांसवाड़ा से बीएपी के राजकुमार रोत और सीकर से माकपा के कॉमरेड अमराराम ने कांग्रेस समर्थन के बाद जीत दर्ज की.

साल 2009 को छोड़ दें तो पिछले 20 वर्षों के दौरान लोकसभा चुनाव में अब तक कांग्रेस का श्रेष्ठ प्रदर्शन था. इससे पहले साल 2009 में कांग्रेस को 20 सीटें मिली थी. जबकि बीजेपी को महज 4 और 1 निर्दलीय के खाते में गई. लेकिन साल 2004 में बीजेपी को 21 और कांग्रेस को 4 सीटें मिली. 

सतीश पूनिया ने कहा डोटासरा को कहा आइटम बॉय 
पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि राजस्थान में अब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी के एक संयोजक के रूप में रह गए हैं. वहीं राजस्थान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर कहा, ''वो गमछा हिलाकर सिर्फ मात्र मनोरंजन कर रहे हैं. डोटासरा जी अब आइटम बॉय की भूमिका निभा रहे हैं. उनके गमछा घूमाने और ठुमके लगाने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है''.

पीसीसी चीफ के डांस पर बयानबाजी भी कम नहीं
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ भी चुटकी लेते हुए कह चुके हैं कि डोटासरा के मन में क्या जची की, वो मंच पर गमछा घुमा-घुमाकर डांस कर रहे हैं, यह कोई अच्छी बात नहीं है. वो एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष है, प्रदेश अध्यक्ष की एक अपनी गरिमा होती है. जबकि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने बिना नाम लिए डोटासरा पर निशाना साधा था कि खाली तेजल सुपर डुपर गाने पर गमछा हिलाकर नाचने वाले नेता कोई आपकी मदद कर सकते हैं. हाथ में गमछा हिलाकर नाचने से क्या हो जाएगा? लड़ाई लड़नी पड़ती है. 

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