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Karoli छात्रों को बाल अपराध एवं संरक्षण के बारे में जानकारी दी गई

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करौली न्यूज़ डेस्क, करौली नेहरू युवा केंद्र एवं एक्शनएड-यूनिसेफ करौली के संयुक्त तत्वावधान में जिले में बाल संरक्षण सप्ताह मनाया जा रहा है। सप्ताह के तहत राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल ससेड़ी में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। छात्रों को बाल संरक्षण की जानकारी दी।एक्शनएड यूनिसेफ जिला समन्वयक दिनेश कुमार बैरवा ने बताया है कि बाल संरक्षण सप्ताह के अंतर्गत जागरूकता कार्यक्रमों में आमजन को बालश्रम, बाल विवाह, बाल तस्करी, बाल यौन शोषण, भिक्षावृति रोकथाम एवं बाल संरक्षण को प्रभावी बनाने के लिए बाल अधिकारों के संबंध में जानकारी देकर बल संरक्षण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। स्कूल में साइबर क्राइम, पोक्सो एक्ट, जेजे एक्ट के संबंध में जानकारी दी।

जिला समन्वयक ने बताया कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसके नियम, बच्चों को शारीरिक, भावनात्मक या यौन शोषण से बचाने के उद्देश्य से बनाए गए थे, साथ ही सभी चरणों में बच्चों के हितों की रक्षा भी की गई। 18 वर्ष से कम आयु के सभी व्यक्ति, पुरुष या महिला, पॉक्सो अधिनियम के तहत सुरक्षा के हकदारों की जानकारी दी।उन्होंने बताया कि साइबर अपराध, कंप्यूटर, नेटवर्क, या डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल कर की जाने वाली गैरकानूनी गतिविधियों को कहते हैं। साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या और इनसे होने वाले नुकसान को देखते हुए, इनसे बचने के लिए कदम उठाना जरूरी है। साइबर अपराध कई तरह के हो सकते हैं, जैसे कि हैकिंग, फ़िशिंग, पहचान की चोरी, रैनसमवेयर, और मैलवेयर हमले. साइबर अपराध से व्यक्तियों, कारोबारियों, और सरकारी संस्थाओं को वित्तीय नुकसान, प्रतिष्ठा को नुकसान, और रिकॉर्ड से समझौता हो सकता है।

उन्होंने बताया कि साइबर अपराधियों की तकनीक लगातार विकसित होती रहती है। साइबर अपराध से बचने के लिए, एंटीवायरस और फ़ायरवॉल जैसे सुरक्षा सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करें। अविश्वसनीय वेबसाइटों पर न जाएं और अज्ञात फ़ाइलें डाउनलोड न करें। ईमेल अनुलग्नकों पर भी सावधान रहें। मज़बूत पासवर्ड का इस्तेमाल करें। संवेदनशील जानकारी ऑनलाइन या सोशल मीडिया पर न शेयर करें। साइबर अपराध का शिकार होने पर तुरंत पुलिस को सूचित करने के लिए प्रेरित किया गया।

नेहरू युवा केंद्र के जिला युवा अधिकारी शरद त्रिपाठी ने बताया है कि किशोर न्याय ( बालकों की देखरेख एवं संरक्षण अधिनियम के तहत, सभी चाइल्ड केयर सुविधाओं के लिए पंजीकरण होना अनिवार्य है। यह अधिनियम कहता है कि गंभीर अपराधों के मामले में, 16 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों को वयस्कों के रूप में माना जाएगा। यह अधिनियम 'कानून के साथ संघर्ष' में बच्चों और 'देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों' के बीच स्पष्ट रूप से अंतर करता है। युवा अधिकारी ने माय भारत पोर्टल, युवा मंडल के संबंध में जानकारी देकर माय भारत पोर्टल पर पंजीकरण करने एवं युवा मंडल बनाने व उनके माध्यम से सामाजिक कार्यो में शामिल होने हेतु प्रेरित किया।

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