यह भी फायदा होगा
अभी बड़ी संख्या में गायें सड़कों व गलियों में भटक रही हैं। अनुदान बढऩे से कई संगठन नई गोशाला खोलने का प्रयास करेंगे। इससे गोवंश को भी फायदा होगा। किसानों को भी फसल से सुरक्षा मिलेगी। वहीं शहरवासी अब बेसहारा घूम रहे गोवंश के लिए व्यवस्था की मांग उठा रहे हैं। इससे आमजन को गोवंश के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से राहत मिलेगी।
अनुदान से पहले होती है जांच: अनुदान देने से पहले गोशालाओं की जांच की जाती है। इसके लिए कमेटी भौतिक सत्यापन करती है। इसके बाद आवेदनों की जांच की जाती है। इसके बाद कलक्टर की अध्यक्षता में जिला गोपालन समिति की बैठक होती है। गोशालाओं से जुड़े पदाधिकारियों को भी इसमें बुलाया जाता है। इसके बाद अनुदान गोशाला के बैंक खाते में डाल दिया जाता है। गोशाला के पदाधिकारियों ने बताया कि महंगाई के बीच गोशालाओं का संचालन करना मुश्किल हो रहा है। चारा महंगा हो गया है। ऐसे में गोशाला संचालकों का कहना है कि अनुदान में बढ़ोतरी हर बार हो तो व्यवस्थाएं बेहतर हो सकेगी। हालांकि, यह बढोतरी अपर्याप्त है। गोसेवकों व गोशाला संचालकों की मांग है कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए राशि में और बढ़ोतरी करके सरकार को बड़े गोवंश के लिए 60 रुपए और छोटे 40 रुपए करने चाहिए।
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