नागौर न्यूज़ डेस्क ,राज्य सरकार की ओर से मेड़ता रोड प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को बीस माह पहले बजट में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में क्रमोन्नत तो किया गया, लेकिन आवंटित जमीन पर नए भवन को लेकर निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है और ना ही स्टाफ बढ़ाया गया है। केवल नाम मात्र का सामुदायिक अस्पताल बनकर रह गया है। आज भी तीस गांवों के दो लाख ग्रामीण मात्र एक चिकित्सक के भरोसे है। स्वास्थ्य व चिकित्सा विभाग ने पीएसची के बोर्ड पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लिखकर कर्तव्य की इतिश्री कर ली। यह बोर्ड इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है।
मेड़ता रोड में चालीस वर्षो से संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को पूर्ववर्ती सरकार के मुयमंत्री अशोक गहलोत ने 10 फरवरी 2023 को बजट में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में क्रमोन्नत किया था। उस समय ग्रामीणों ने सपने संजोए थे कि अब शीघ्र ही यहां पर एक से अधिक चिकित्सक की नियुक्ति, एक्सरे व जांच की सुविधा मिलेगी। बीस माह गुजरने के बाद भी सुविधाएं नहीं बढ़ सकी है। पुरानी व्यवस्था ही चल रही है।चिकित्सालय में दो नर्सिगकर्मी है। स्थिति यह है कि दोपहर तीन बजे अस्पताल बंद होने के बाद कोई स्टाफ नहीं रहता है। रात को डेपूटेशन पर लगाए गए एक नर्सिगकर्मी के भरोसे अस्पताल रहता है। उसके अवकाश के समय रात को कोई स्टाफ नहीं रहता है।
मेड़ता रोड सिविल थाना क्षेत्र में 37 ग्राम, जीआरपी के 28 स्टेशन, आरपीएफ के 528 किमी क्षेत्र में होने वाले अपराध, मर्ग आदि एक ही चिकित्सक के भरोसे रहते हैं। आज तक दूसरा चिकित्सक नहीं लगाया। ग्रामीण सीएचसी भवन का शीघ्र निर्माण चालु करवाने की मांग कर रहे हैं।
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