Top News
Next Story
NewsPoint

Bikaner के सैनिक को 30 साल बाद शहीद का दर्जा मिला

Send Push

बीकानेर न्यूज़ डेस्क, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक जवान को शहीद का दर्जा पाने में 30 साल लग गए। इसके लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ी। शहीद के बेटे ने इसके लिए बीएसएफ को हाईकोर्ट तक घसीटा था। इसके बाद अधिकारियों को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने शहादत प्रमाण पत्र सौंप दिया। खास बात यह है कि जिस बेटे ने यह लड़ाई लड़ी, वह अपने पिता की शहादत के वक्त मां के गर्भ में था।

यह पूरा मामला बीकानेर से करीब 94 किलोमीटर दूर स्थित बज्जू तहसील के मिठड़ियां गांव का है। मिठड़ियां गांव निवासी जेठाराम बिश्नोई महज 20 साल की उम्र (17 सितंबर 1989) में बीएसएफ में भर्ती हुए थे। 1993 में वे भारत-बांग्लादेश सीमा से सटी इच्छामती नदी के पास नाव से गश्त कर रहे थे। इस दौरान वे नदी में गिर गए और डूबकर उनकी मौत हो गई। बीएसएफ अधिकारी लेकर आए थे अस्थियां


शहीद के बड़े भाई हरभजराम ने बताया- उस समय बीएसएफ अधिकारी जेठाराम की अस्थियां लेकर उनके घर आए थे। शहादत की सूचना के साथ ही उन्होंने स्मृति चिह्न के रूप में जेठाराम के कपड़े, कागजात, पत्र और डायरी सौंपी थी।
शहीद की मां ने डर के मारे बड़े बेटे की नौकरी छुड़वा दी थी
जब परिवार को जेठाराम की शहादत की खबर मिली तो उनकी मां झम्मू देवी को यकीन ही नहीं हुआ। बेटे को खोने के बाद उन्होंने अपने बड़े बेटे हरभजराम की होमगार्ड की नौकरी छुड़वा दी।

Explore more on Newspoint
Loving Newspoint? Download the app now