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'मेरा स्त्री होना ही क्या अपराधी...', बच्ची के दुष्कर्मी को सजा सुनाते-सुनाते भावुक हुए जज

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उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर में एक बच्ची से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को सजा सुनाते-सुनाते जज खुद भावुक हो गए। जज ने सजा सुनाने के बाद एक कविता भी लिखी। दरअसल, मावली में डेढ़ साल पहले नाबालिग बच्ची की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। अब मामले में पॉक्सो-2 कोर्ट ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई।
बच्ची की हत्या के बाद शव के 10 टुकड़े किए गए थे। मामले में जज संजय भटनागर ने फैसला सुनाते हुए दोषी और उसके परिजनों को फांसी और कैद की सजा दी।


दोषी को फांसी, परिजनों को कैद की सजा
दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में दोषी कमलेश राजपूत को जज ने फांसी की सजा सुनाई और उसके परिजनों को 4 साल की सजा सुनाई। फैसला सुनाते हुए पोक्सो कोर्ट के जज संजय भटनागर इतने भावुक हो गए। उन्होंने फैसले के बीच में ही एक कविता लिख दी। इस कविता में महिला अत्याचार और समाज में लड़कियों की स्थिति पर लिखा। 
 

जज इस तरह व्यक्त की अपनी भावनाएं
मैं अपने उपवन की नन्हीं कली थी


इठलाती, नाचती परी थी,
पापा, मम्मी की लाडली,

नाजों से पली थी, पर
मैं तो भूल गई कि 
मैं एक लड़की थी, क्रूर वासना की शिकार बनी,
मेरी आत्मा चित्कार रही थी,
क्या मैं भी इंसान नहीं थी,
अपराध बोध हुआ जब मेरे टुकड़े किए,
मेरा स्त्री होना ही? क्या मैं खुद अपराधी थी?
 

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