भरतपुर न्यूज़ डेस्क, कार्तिक मास में आदि वृंदावन कामवन के तीर्थराज विमल कुंड समेत कस्बे के मंदिरों में ब्रजयात्रियों की भारी भीड़ उमड़ रही है। इन दिनों हजारों की संख्या में दर्शनार्थी भगवान कृष्ण की करीब साढ़े पांच हजार साल पुरानी क्रीड़ास्थलियों के दर्शन करने यहां पहुंच रहे हैं और पूरी श्रद्धा व आस्था के साथ परिक्रमा व दर्शन कर रहे हैं। रविवार को अंतरराष्ट्रीय गौड़ीय वेदांत ट्रस्ट के तत्वावधान में ब्रज मंडल की परिक्रमा कर रहे हजारों बंगाली व विदेशी दर्शनार्थियों ने तीर्थराज विमल कुंड की परिक्रमा की और मंदिरों व देवालयों के दर्शन कर महाप्रसाद ग्रहण किया।
मंदिर विमल बिहारी के सेवा अधिकारी संजय लवानिया ने सभी को कामवन के महात्म्य का श्रवण कराते हुए बताया कि भगवान कृष्ण का अधिकांश बचपन नंदगांव में बीता। वे प्रतिदिन गाय चराने के लिए कामवन आते थे जहां उन्होंने अनेक लीलाएं कीं। उन लीलाओं के चिन्ह आज भी यहां मौजूद हैं। भगवान श्री कृष्ण के इस कीड़ा स्थल को आदिवृंदावन कामवन के नाम से जाना जाता है। ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा का महत्व पुराणों में बताया गया है। कहा जाता है कि ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा करने से हर कदम पर कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह भी कहा जाता है कि ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा करने से 84 लाख योनियों के कष्ट दूर होते हैं।
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