पाली न्यूज़ डेस्क, हरी-ताजी सब्जियों व फलों के लिए पाली की मुय सब्जी मंडी सहित फुटकर मंडी हैं। यहां प्रतिदिन बड़े पैमाने पर कचरा निकलता है, जो दुकानों के सामने और पूरे मंडी परिसर में फैल जाता है। इससे मंडी के साथ शहर की तस्वीर बिगड़ती है। इसके बावजूद नगर निगम प्रशासन का ध्यान व्यवस्थाओं को सुधारने की ओर नहीं है। जबकि मध्यप्रदेश के इंदौर, जो स्वच्छता रैंकिंग में देश में श्रेष्ठ है। वहां निगम प्रशासन ने सब्जी दुकानों के सामने डस्टबिन रखने की व्यवस्था लागू कर रखी है। डस्टबिन में कचरा फेंकने के प्रावधान के कारण सब्जी मंडी के गलियारे गलियारे साफ-सुथरे रहते हैं। वहां कचरा डस्टबिन में डालना व्यापारियों की आदत में भी शामिल हो गया है। ऐसा ही हमारे पाली की कम से कम पुरानी व नई सब्जी मंडी सहित उन जगहों पर किया जा सकता है, जहां 1000 से अधिक सब्जी विक्रेता बैठते हैं।
पुरानी सब्जी मंडी में भी डस्टबिन नहीं
शहर की पुरानी सब्जी मंडी में भी डस्टबिन नहीं है। वहां हालांकि अब सब्जी व फल व्यापारी कम है, लेकिन डस्टबिन का उपयोग वे भी नहीं करते हैं। सब्जियों के साथ अन्य कचरा सड़क पर फेंक दिया जाता है। ज्यादा कचरा होने पर सामने ही बने खाली स्थान, जहां निगम के शौचालय भी है। वहां डाल दिया जाता है। उसके सामने ही एक धार्मिक स्थल भी है। वहां आने वाले श्रद्धालुओं को इससे परेशानी होती है।
स्थान तक आवंटित नहीं
पुरानी सब्जी मंडी में सभी सब्जी व फल वाले सड़क पर ही ठेले लगाते हैं या चबूतरियों से सड़क तक सब्जी सजाते है। इससे मार्ग बाधित होता है। जबकि वर्ष 2019 में इस जगह पर नगर निगम की ओर से सब्जी व फल विक्रेताओं के लिए 27 स्थल बनाए थे। उनके बारे में वहां के व्यापारियों का कहना था कि ये जगह आज तक आवंटित ही नहीं की है। उस परिसर में एक भी विक्रेता सब्जी नहीं बेचता नजर आया।
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