झालावाड़ न्यूज़ डेस्क, झालरापाटन का चंद्रभागा मेला इन दिनों परवान पर है. मेले में चारों ओर कई तरह के रंग बिखरे हुए हैं. एक तरफ श्रद्धा का सैलाब है तो दूसरी तरफ ऊंट और घोड़ों का बाजार सजा हुआ है. साथ ही पशुओं के ब्यूटी पार्लर भी सजे हुए हैं. इन सभी को देखने के लिए मेले में विदेशी मेहमानों भी शिरकत कर रहे हैं. झालावाड़ का यह मेला अलग-अलग भागों में बांटा हुआ है. मेले की शुरुआत पशु मेले से होती है जिसे जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग के जरिए लगाया जाता है.
ऊंट और घोड़े खरीदने के दूर -दराज से आते हैं व्यापारी
तीन दिवसीय चंद्रभागा पशु मेले का लेखा-जोखा प्रशासन रखता है. व्यापारी अपने-अपने तरीके से यहां व्यापार करते हैं. ऊंट और घोड़े खरीदने के लिए दूर-दूर से व्यापारी यहां आते हैं, वहीं मेले के दौरान कार्तिक स्नान का भी विशेष महत्व होता है. यहां से बहने वाली पवित्र चंद्रभागा नदी में कार्तिक स्नान करने के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. मुख्य रूप से कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां पैर रखने की भी जगह नहीं होती.
चंद्रभागा मेले में लगता है 'पशुओं का ब्यूटी पार्लर
ऊंट और घोड़े के बाजार के अलावा चंद्रभागा मेले में एक और बाजार लगता है, जिसे 'पशु ब्यूटी पार्लर' कहते हैं. इन दुकानों पर ऊंटों और घोड़ों को सजाने का बहुत सारा सामान मिलता है. इसके अलावाइस बाजार में कुछ अन्य दुकानें गाय, बैल,ऊंट और घोड़ों को सजाने का सामान भी बेचती हैं. इन दुकानों पर पशुओं की सजावट का सस्ता से लेकर महंगा सामान तक मिलता है.उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान से पशुपालक यहां पशुओं की सजावट का सामान खरीदने आते हैं. यहां के ज्यादातर दुकानदार उत्तर प्रदेश के ही हैं, जो अपना सारा सामान यहीं बेचकर अच्छा मुनाफा कमाकर अपने घर लौट जाते हैं.
हजारों की संख्या में ऊंट और घोड़े बिक्री के लिए पहुंचे
तीन दिन के बाद यह मेला झालावाड़ नगर पालिका के हाथों में चला जाता है जहां कई तरह के मनोरंजन के साधन और तरह-तरह की दुकानें लगती हैं जो एक महीने से भी ज्यादा समय तक यहां रहती हैं. इस बार यहां हजारों की संख्या में ऊंट और घोड़े बिकने के लिए पहुंचे हैं. राजस्थान के विभिन्न हिस्सों के अलावा मध्य प्रदेश से भी ऊंट पालक यहां ऊंट खरीदने और बेचने के लिए आते हैं. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस मेले में पशुओं के दाम काफी अच्छे मिलते हैं, जिसके कारण लोग यहां से पशु खरीदना पसंद करते हैं। ऊंट और घोड़ों के अलावा यहां गाय, बैल और दूसरे पशु भी बिकने के लिए आते हैं.
50 हजार से लेकर 20 लाख रुपये तक मिलते हैं घोड़े
चंद्रभागा पशु मेले में भारतीय और विदेशी नस्लों के घोड़े खरीद-फरोख्त के लिए लाए जाते हैं. घोड़े खरीदने वाले और उनके शौकीन दोनों ही यहां आते हैं. यहां 50 हजार से लेकर 20 लाख रुपये तक के घोड़े मिलते हैं. शादियों के लिए भी यहां घोड़े सप्लाई किए जाते हैं. लोग यहां से काठियावाड़ी नस्ल के घोड़े खरीदते हैं और शादियों में निकासी और बिंदूरी के लिए घोड़े सप्लाई कर अपना मुनाफा कमाते हैं. माना जाता है कि घोड़ों के शौकीनों के लिए पैसा मायने नहीं रखता, अगर उन्हें अपनी पसंद का घोड़ा मिल जाए तो शौकीन लोग कितनी भी रकम खर्च करने को तैयार रहते हैं.
विदेशी मेहमान ने खूब उठाया लुत्फ
झालावाड़ में चंद्रभागा नदी के किनारे लगने वाले इस मेले का स्थानीय लोगों के साथ-साथ विदेशी मेहमानों ने भी लुत्फ उठाया है.उन्होंने यहां आकर पूरे मेले के दौरान विभिन्न गतिविधियों में भाग लेकर सभी कार्यक्रमों का लुत्फ उठाया. यहां आने वाले विदेशी मेहमान काफी खुश नजर आ रहे हैं, उनका कहना है कि उन्हें यहां खूब मजा आता है. हाल ही में मेले में भाग लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और हॉलैंड समेत विभिन्न देशों से पर्यटक यहां पहुंचे हैं, हमने उनसे खास बातचीत भी की, जहां पर्यटकों ने सभी गतिविधियों को लेकर काफी खुशी जताई और भारतीय संस्कृति और यहां बिखरे रंगों को अद्भुत बताया.
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