बीकानेर न्यूज़ डेस्क, बीकानेर दाऊजी मंदिर स्थित महालक्ष्मी मंदिरमें मां के दर्शन केलिए किसी भक्तको मंदिर में जानेकी जरूरत नहींहै। रोड पर खड़ेभक्त को भी मांके दर्शन होते हैं। महालक्ष्मीजन्मोत्सव पर सोमवार से ही मंदिरकी सजावट की गई। मंगलवारसुबह माता का पंचामृत से अभिषेककरने के बाद मां को फूलों सेविशेष शृंगार किया गया। मंगलवारको चार बार मां की आरती की गई।
151 दीपों से महाआरती
बेणीसर बारी के बाहर स्थितमहालक्ष्मी मंदिर मेंमंगलवार रात 12बजे 151 दीपों सेमहाआरती कीगई। मंदिर केपुजारी मुरलीमनोहर बताते हैं कि 125 सालपुराने इस मंदिर में मंगलवार कोपंचामृत से माता का अभिषेक कियागया। यहां पंडित रवि, पंडित नरेंद्र,पंडित मनोज और पंडित राहुल केआचार्यत्व में माता का अभिषेककिया गया।
पंचामृत से किया अभिषेक
सोने के वर्कों से शृंगार
शहर में मां लक्ष्मी के चार मंदिर है। मांलक्ष्मी के प्राकट् दिवस पर एक दिनपहले से शुरू हुए आयोजन मंगलवाररात को 12 बजे महाआरती के साथसंपन्न हुए। इन मंदिरों में सबसे पुरानामंदिर है घूमचक्कर स्थित महालक्ष्मीमंदिर। बताया जाता है कििरयासतकाल में घूमचक्कर पर शहरकी सबसे बड़ी अनाज मंडी होतीथी। मंडी के कोष कार्यालय मेंस्थापित इस मंिदर में टैक्स वसूलीके साथ सारा कोष रखा जाता था।महाराजा गंगासिंह के समय वे खुदयहां आकर कोष कार्यालय में दिनविशेष पर बैठा करते थे। धीरे-धीरेयहां से धान मंडी को बंद कर दियागया और यह मंदिर आमलोगों केलिए खोल दिया गया। इस मंदिर मेंमां लक्ष्मी के साथ गणेशजी का भीमंदिर है। कछुए पर बने कमल परमां लक्ष्मी विराजित हैं। मां के पासचार हाथी खड़े हैं। इस मंदिर कीिवशेषता यह हैं कि यहां स्वास्तिकपर श्रीयंत्र बना हुआ है, जो लालपत्थर से बनाया गया है। बीकानेर मेंस्वास्तिक पर श्रीयंत्र अकेले इसीमंदिर में है। इसके अलावा शहर मेंउस्ता बारी के अंदर, बेणीसर बारीके बाहर और दाऊजी मंदिर पर मांलक्ष्मी के मंदिर है।
घूमचक्कर के पास स्थित महालक्ष्मीमंदिर में सोने केवर्कों से शृंगारकिया गया। सुबहपंचामृत सेअभिषेक से शुरूहुआ पूजा कासिलसिला रात 12 बजे तक चला।इस मंदिर में सुबह से रात तकश्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते रहे।मंदिर के पुजारी नरेंद्र मिश्रा बताते हैंकि रियासतकाल में धान मंडी मेंटैक्स वसूली के लिए बने इस मंदिरको लोगों के लिए खोल दिया गया।उस्तों की बारी के अंदर स्थितमहालक्ष्मी मंदिर मेंमां लक्ष्मी केजन्मोत्सव के दोदिवसीय आयोजनकिया गया। मंदिरसे जुड़े सुरेंद्र बतातेहैं कि मां का 65 किलो पंचामृत सेअभिषेक करने के बाद चांदी के वर्कोंसे शृंगार किया गया। मंगलवार रातको जागरण हुआ। इसके बादमहाआरती की गई। इस मंदिर में दर्शनोंके लिए पूर्व महाराजा गंगासिंह आयाकरते थे।
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