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प्याज के बाद लहसुन की महंगाई ने निकाले राजस्थान के आंसू, 100-150 से सीधे 500 रुपये Kg तक पहुंची कीमत

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चित्तौड़गढ़ न्यूज़ डेस्क, राजस्थान में खाद्य पदार्थों की महंगाई के चलते रसोई का बजट बिगड़ गया है.अभी तक खाने की थाली का स्वाद सिर्फ प्याज के कारण बिगड़ता नजर आ रहा था, अब इसमें लहसुन का नाम भी जुड़ गया है. तीन-चार महीने पहले जो लहसुन (Garlic Price Hike) 100 से 150 रुपए किलो बिक रहा था, वो अब 500 रुपए किलो तक पहुंच गया है. बेकाबू होते दामों के चलते लहसुन के रेट ( Price Hike)  में और भी इजाफा होने के आसार नजर आ रहे हैं. जिसके चलते किसान अनाज मंडियों में इसकी बिक्री कम कर रहे हैं.

500 रुपए किलो बिक रहा लहसुन
हालात ये हैं कि अभी दो दिन पहले चित्तौड़गढ़ जिले के निम्बाहेड़ा कृषि उपज मंडी समिति में सीधी खरीद में लहसुन की सबसे ऊंची बोली 91 हजार 101 रुपए प्रति क्विंटल लगी थी.जो अब तक की सबसे महंगी बोली है. लगातार बढ़ रहे दामों के चलते किसानों ने आने वाले दिनों में लहसुन के दामों में और बढ़ोतरी की आशंका जताई है.जिसके चलते उन्होंने मंडी में इसकी बिक्री कम कर दी है.

कीमतों में अभी ओर दिखेगी तेजी
सर्दियों में लहसुन की मांग बढ़ जाती है. पुराने लहसुन की बुवाई के बाद उसके बीज बन जाने से बाजार में पुराने लहसुन की आवक कम होने लगी है.  इस कारण फिलहाल दाम कम नहीं हो रहे हैं.  किसानों ने बताया कि जब तक नया लहसुन बाजार में नहीं आएगा, आम लोगों की रसोई का बजट बिगड़ता रहेगा. पिछले दो साल से लहसुन के दाम ऊंचे बने हुए हैं. इस कारण लहसुन की बुवाई के बाद जब बाजार में भारी आवक हुई, तब भी 200-300 रुपए किलो बिकने वाला लहसुन 20-30 रुपए किलो भी नहीं बिक पाया.

कीमतों में कमी के लिए फरवरी का करें इंतजार
फिलहाल लहसुन के दाम में कमी आने के लिए फरवरी तक का इंतजार करना होगा. माना जा रहा है कि इस महीने जब लहसुन की नई खेप बाजार में आएगी, तभी दाम में कमी आने की संभावना है. प्याज की तरह लहसुन की खेती भी खरीफ और रबी दोनों मौसम में की जाती है. लहसुन खरीफ फसलों की श्रेणी में आता है. इसकी बुवाई जून-जुलाई में होती है और अक्टूबर-नवंबर में इसकी कटाई होती है, जबकि रबी की फसल सितंबर-नवंबर से मार्च-अप्रैल तक होती है.

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