जोधपुर न्यूज़ डेस्क, जोधपुर स्वच्छता सर्वेक्षण में खुले में शौच से मुक्त दिखाने के पैरामीटर पूरा कर नंबर जुटाने के लिए 7 साल पहले नगर निगम ने आनन-फानन में कई इलाकों में अस्थाई शौचालय स्थापित किए। देखरेख के अभाव में ये शौचालय अब कबाड़ हो गए हैं। इससे सफाई पर असर तो पड़ ही रहा है दूसरे विभाग भी परेशान हो रहे हैं। ऐसा ही एक मामला बासनी स्थित सरस्वती नगर में सेंट ऐंस स्कूल के सामने का है। यहां ऐसे 8 अस्थाई शौचालय रखे गए। पिछले 3-4 साल से पीएचईडी की मुख्य पाइप लाइन या एयर वाल्व में लीकेज होने के बाद कई दिनों तक पानी सड़कों पर बहता रहता है, जिसके कारण डामर की सड़क टूट जाती है। ये लीकेज इन शौचालय के नीचे से गुजर रही लाइन में है। नगर निगम दक्षिण इन्हें हटाए तब भी लीकेज ढूंढकर मरम्मत की जा सकती है।
इसके लिए पीएचईडी नगर निगम दक्षिण को लिख भी चुका है। पीएचईडी के अभियंताओं ने बताया कि निगम के अस्थाई शौचालय लाइन पर पड़े होने से लीकेज ढूंढ़ने में दिक्कत आ रही है। इसके पहले भी कई बार लीकेज हुए, तब विभाग की तरफ से इन अस्थाई शौचालय को मुख्य पाइप लाइन से हटाने का आग्रह किया गया, लेकिन निगम दक्षिण ने सुनवाई करना भी उचित नहीं समझा। इस मामले में आयुक्त दक्षिण डॉ. टी. शुभमंगला से संपर्क नहीं हो सका। स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान शहर को खुले में शौच से मुक्त दिखाने के लिए करीब 7 साल पूर्व झुग्गी-झोपड़ियों के इर्द-गिर्द ऐसे प्री कॉस्ट शौचालय लगाए थे।अंक जुटाने के लिए इन शौचालय की साइज 3.75×3.5×8 रखी गई थी। इसके ऊपर 300 लीटर की पानी की टंकी, अंदर कमोड, नल व फ्लश के साथ वॉश बेसन की सुविधाएं भी जुटाई गई। इसके रखरखाव का काम शौचालय लगाने वाली कंपनी को सौंपा गया, लेकिन शौचालय स्थापित होने के बाद एक भी बार इसकी सफाई या रखरखाव का काम उक्त कंपनी ने नहीं किया। छह माह के भीतर ही यह शौचालय कबाड़ में बदल गई।
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