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Tonk महाभारत काल के ऐतिहासिक स्थल मौजूद लेकिन पर्यटक अभी भी दूर

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टोंक न्यूज़ डेस्क, जिले में प्राचीन स्थलों की भरमार है। कई स्थल तो महाभारत काल से जुड़े हुए हैं। इसके बावजूद वहां तक पर्यटक नहीं पहुंच रहे हैं। इसका कारण है कि पर्यटन विभाग सही तरीके से उनका प्रचार-प्रसार नहीं कर पा रहा है। जबकि टोंक जिला जयपुर, अजमेर, बूंदी-कोटा तथा सवाईमाधोपुर के बीच में है। इस सर्कल में हमेशा विदेशी पर्यटकों की भरमार रहती है। लेकिन यह पर्यटक टोंक नहीं पहुंचते हैं। दरअसल उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं है कि यहां हजारों वर्ष पुराने स्थल भी है।

बॉलीवुड तक बन चुकी पहचान: टोंक शहर में सुनहरी कोठी सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यह एक महल है जो अपनी सुंदरता की वजह से जाना जाता है। इसके अंदर की दीवारों को सोने के पॉलिश से सजाया गया है। मौलाना अरबी फारसी शोध अनुसंधान संस्थान में अरबी में पुस्तकों और पांडुलिपियों के कुछ सबसे पुराने का संग्रह देखे जा सकते हैं। इसके अलावा टोंक में रसिया की छतरी व अन्नपूर्णा गणेश मंदिर भी प्राचीन व रमणीय स्थल है। टोडारायसिंह की बावड़िय़ां बॉलीवुड तक पहचान बना चुकी है। पर्यटन स्थल हाथी भाटा टोंक-सवाईमाधोपुर हाइवे से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक ही पत्थर से निर्मित एक हाथी है। जो महाभारत काल का माना जाता है। नगरफोर्ट के दूर-दूर तक फैले टीलों के मैदान के नीचे दस से बीस फीट नीचे एक पूरा नगर शांत वातावरण में सो रहा है। यहां बाइस सौ साल पहले एक ऐसा नगर आबाद था, जिसमें हजारों लोग निवास करते थे। तत्कालीन मालवा की संभावित राजधानी में हर वो सुविधा थी जो एक समृद्ध नगर में होनी चाहिए। करीब 850 सालों तक आबाद रहने के बाद यह शहर एकाएक नष्ट हो गया। वहीं बीसलपुर बांध के समीप मंदिर भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। बीसलदेव मंदिर प्राचीन है।

यह हो सकता है

अरावली शृंखला की यहां स्थित पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी पर बनी रसिया की छतरी पर पर्यटन विभाग माउंटेन क्लाइंबिग की व्यवस्था कर दें तो ना केवल टोंक के लोग बल्कि पर्यटक भी इसका लुत्फ उठा सकते हैं। हाथीभाटा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। निवाई और चांदसेन में भृंगोंजी की गुफा, बनेठा की पुरातात्विक महत्व की छत्रियां कई दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटन मानचित्र पर अपनी जगह बना सकते हैं। ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी इतिहासकारों से लेकर उनके बोर्ड बनवाकर उन स्थानों पर लगाए जाए। जिले के विभिन्न प्रकार के पर्यटन स्थलों की जानकारी मय फोटोग्राफ की एक पुस्तक प्रकाशित की जाए।

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