बीकानेर न्यूज़ डेस्क, शहर की सड़कों पर आवारा और पालतू पशुओं की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है। इससे जानें जा रही हैं। एक दिन पहले ही बीछवाल थाना क्षेत्र में 22 साल के एक युवक की मौत हो गई। अब तक करीब दो दर्जन मौतें हो चुकी हैं। हैरानी की बात है कि सरकार और प्रशासन शहर में डेयरियों को सिर्फ नोटिस देकर ही जिम्मेदारी पूरी कर रहा है।26 सितंबर को ही भूरपावा जामसर निवासी पूनम पुत्र पेमाराम, उम्र 22 साल की बडी ढाणी पूगल रोड के पास आवारा पशु से टकराकर मौत हो गई। वो रात नौ बजे पूगल रोड से आ रहा था तभी सांड सामने आ गया और दुघर्टना में उसकी मौत हो गई। बीछवाल थाने में भंवरलाल नायक ने मामला दर्ज कराया है।
आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए नगर निगम हर साल टेंडर करता है। उसमें नंदी या सांडों को पकड़ा जाता है फिर भी शहर में करीब 5000 से ज्यादा सांड सड़कों पर आवारा घूम रहे हैं। 18 हजार से ज्यादा वे गाय सड़कों पर आ जाती जो पालतू हैं। निगम ने पालतू गायों को भी आवारा छोड़ने पर जुर्माना लगाने के आदेश दिए हैं मगर हैरानी इस बात की रोज सुबह 18 हजार गोवंश सड़क पर आ जाते हैं। यही मौत की वजह बनती हैं। गुरुवार को ही निगम आयुक्त आईएएस मयंक मनीष ने डेयरी संचालकों को आखिरी चेतावनी जारी की है।कहा, अगर अब गाय सड़कों पर दिखी तो खैर नहीं। हनुमानहत्थे समेत मोहल्लों से कॉलोनियों में जितनी भी डेयरियां हैं। गोबर तक सीवर और नालियों में डाल दिया जाता है। ये हालात तब हैं जब शहर में डेयरियां संचालित करने पर पाबंदी है। बावजूद इसके पवनपुरी, पटेल नगर, व्यास कॉलोनी, गंगाशहर, भीनासर, बंगला नगर, नत्थूसर बास, गेट एरिया, मुक्ता प्रसाद, हनुमानहत्था, पुरानी गिन्नाणी सहित अन्य रिहायशी एरिया में धड़ल्ले से डेयरी संचालकों ने पशुओं के बाड़े खोल दिए हैं।
गोशाला की फाइल ठंडे बस्ते में
शहर में 24 हजार से अधिक आवारा पशु हैं। ये आवारा पशु शहर के प्रमुख बाजारों, गलियों और मोहल्ले में सड़कों पर घूमते रहते हैं। अक्सर इनके कारण राहगीरों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं। पार्षदों ने आवारा पशुओं के लिए शिव वैली, सुजानदेसर सहित बल्लभगार्डन क्षेत्र में गोशाला बनाने के प्रस्ताव दिए लेकिन निगम प्रशासन ने आज तक इस संबंध में कदम नहीं उठाया।
आवारा पशु का हमला दुर्घटना नहीं, लापरवाही है, जुर्माना निगम से लें
आवारा पशुओं का हमला कोई दुर्घटना नहीं, ये एक लापरवाही का मामला है। अगर आवारा पशु सड़क पर किसी पर हमला करते हैं या फिर उसकी जान ले लेते हैं, तो ये नगर निगम की गलती मानी जाएगी। इसके लिए सिस्टम ही जिम्मेदार है। आप कोर्ट में केस दर्ज कर सकते हैं और इसके लिए नगर निगम को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं।आप अपने नुकसान का हर्जाना भी मांग सकते हैं। गुजरात के राजकोट में भी ऐसा ही मामला देखा गया था जिसमें आवारा पशु के हमले से एक शख्स की मौत हो गई और कोर्ट ने नगर निगम को 13 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया था। आंकड़ों की अगर बात करें तो भारत में आवारा पशुओं की संख्या करीब 50 लाख से ज्यादा है। हर साल आवारा जानवरों के हमले में एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है।
पशुपालकों का तर्क शहर से बाहर जमीन दी जाए
शहर में करीब तीन साल पहले निगम प्रशासन ने दूध डेयरी संचालकों को नोटिस दिया था। नोटिस में देकर आवारा पशुओं को खुले में नहीं छोड़ने और डेयरियों को शहरी सीमा से बाहर ले जाने के निर्देश थे। निगम प्रशासन ने डेयरी संचालकों को नोटिस दिए जाने के बाद उन पर कोई अमल हुआ या नहीं यह जानने तक की कोशिश नहीं की।उधर गोपालकों का तर्क है कि निगम प्रशासन उन्हें शहर की बाहरी सीमा में जमीन उपलब्ध करवाए तो वे अपने पालतू पशुओं को निर्धारित स्थान पर शिफ्ट कर देंगे। बता दें जिले में आवारा पशुओं को पकड़ने का जिम्मा निगम प्रशासन का है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से आवारा पशुओं को पकड़ने और पालतू पशुओं को खुले में छोड़ने वाले गोपालकों के खिलाफ जुर्माना लगाने की कार्रवाई महज खानापूर्ति के रूप में हो रही है।
आवारा पशुओं के हमले में अब तक हो चुकीं दर्जनों मौतें
26 सितंबर को हुई जामसर निवासी पूनम पुत्र पेमाराम की मौत कोई अकेला नहीं है। इससे पहले एक गोसेवक को आवारा पशुओं ने घायल किया था। 4 महीने बाद उसकी मौत हो गई थी। गंगाशहर नई लाइन निवासी रतनी देवी पंचारिया पिछले आठ साल से बैसाखी के सहारे चल-फिर पाती हैं। वे पशुओं को गुड़ खिला रहीं थी तभी दो सांडों ने आपस में लड़ते हुए उन्हें गिरा दिया। जिससे उनके कूल्हे ही हड्डी टूट गई।उम्रदराज होने के कारण रतनी देवी का ऑपरेशन करने से डॉक्टरों ने इनकार कर दिया। वे पिछले आठ साल से बैसाखी के सहारे ही है। सुराणा मोहल्ले में रहने वाले सुंदरलाल पुत्र संपतलाल सुराणा (60) अपने मोहल्ले में खड़े थे। इस दौरान आवारा सांड ने उन्हें गिरा दिया। सांड की टक्कर से गंभीर रूप से घायल हुए सुराणा की मौत हो गई थी।आवारा सांड की चपेट में आ चुके सर्वोदय बस्ती में नृसिंह सागर तालाब के पास रहने वाले 75 वर्षीय बुजुर्ग हड़मानसिंह की मौत हो गई थी। 2009 में भी पाबूबारी क्षेत्र में लड़ रहे आवारा सांडों की चपेट में आने के कारण डाकपाल राजपाल यादव की मौत हो गई थी। आवारा पशुओं की चपेट में अब तक दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ये घटनाओं की बानगी भर है जो शहर में चर्चा में आए। इसके अलवा रोज आवारा पशुओं के हमले से लोग घालय हो रहे हैं।