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Bikaner राज्य के 18000 खदान मालिकों को हर साल करवाना होगा ड्रोन सर्वे

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बीकानेर न्यूज़ डेस्क, बीकानेर प्रदेश में अब प्रधान खनिजों के तरह करीब 18000 अप्रधान खनिज (माइनर मिनरल) की खानों का भी हर साल ड्रोन सर्वे करवाना होगा। इसके लिए खान मालिकों के करोड़ों रुपए खर्च होंगे। राज्य सरकार ने ड्रोन सर्व करवाने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।अब तक केवल प्रधान खनिज की खान मालिकों से ही ड्रोन सर्वे करवाया जाता था। लेकिन, अब राज्य के खान एवं पेट्रोलियम विभाग ने प्रदेश के करीब 18000 अप्रधान खनिज मालिकों को भी हर साल अप्रैल-मई में ड्रोन सर्वे करवाने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। प्रत्येक खनन पट्टा धारी को अपने खान क्षेत्र के अलावा उससे बाहर 100 मीटर की परिधि का ड्रोन सर्वे करवाना होगा। इसके लिए निदेशालय ने प्रारूप निर्धारित किया है।

खान मालिकों को ड्रोन सर्वे डिजिटल एनिवेशन मॉडल (डीईएम) में आर्थोमेजेस इमेज में जिले के खनि अभियंता या सहायक खनि अभियंता को वार्षिक रिटर्न के साथ देना होगा। प्रदेश में 17000 से ज्यादा क्वारी लाइसेंस भी हैं। लेकिन, उनके मालिकों को ड्रोन सर्वे में शामिल नहीं किया गया है। सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी किए जाने के बाद से अप्रधान खनन पट्टेधारियों में हड़कंप मचा हुआ है। प्रति हेक्टेयर ड्रोन सर्वे करवाने में तीन से पांच हजार रुपए खर्चा आता है।ड्रोन सर्वे से हर साल अप्रधान खान मालिकों को कुल 20 से 25 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ेंगे। इससे खान मालिकों में हड़कंप मचा हुआ है। गौरतलब है कि प्रदेश में प्रधान खनिज के लगभग 175 खनन पट्टे ही हैं। केन्द्र सरकार ने 3 नवंबर, 21 को गजट नोटिफिकेशन जारी कर एसीडीआर 17 में बदलाव कर 5 हेक्टेयर या उससे ज्यादा के खनन पट्टे या फिर प्रतिवर्ष 10 लाख टन या उससे ज्यादा उत्पादन करने वाले खान मालिकों पर ही ड्रोन सर्वे अनिवार्य किया है।

प्रधान खनिज पर प्रतिवर्ष 10 लाख टन से कम उत्पादन होने पर सेटेलाइट इमेजरी से सर्वे करवाने की छूट दी है। राज्य सरकार ने उसी तर्ज पर अप्रधान खनन पट्टों पर भी इसे लागू कर दिया जिनकी संख्या 18000 के आसपास है। लेकिन, प्रदेश सरकार ने अप्रधान खान मालिकों को ड्रोन सर्वे में किसी भी तरह की रियायत नहीं दी है।

दोहरा मापदंडः 40 हेक्टेयर तक के क्वारी लाइसेंस ड्रोन सर्वे से फ्री

सरकार की ओर से छोटे रोजगारों को बढ़ावा देने के लिए क्वारी लाइसेंस जारी किए जाते हैं। लगभग 18000 क्वारी लाइसेंस हैं। ज्यादातर का साइज 50 गुणा 50 या 100 गुणा 100 फिट रहता है। लेकिन, प्रदेश में 40 हेक्टेयर के भी क्वारी लाइसेंस हैं जो 150 से 175 बीघा तक हैं। ये ड्रोन सर्वे और सेटेलाइट इमेजरी सर्वे से मुक्त रहेंगे। लेकिन, अप्रधान खनिज का पट्टा अगर एक हेक्टेयर का भी है तो उसे ड्रोन सर्वे करवाना होगा।"ड्रोन सर्वे से सभी माइन्स का रिकॉर्ड डिजिटलाइज्ड हो जाएगा। इससे असेसमेंट किया जा सकेगा और पिट का मेजमेंट होगा। अगर कहीं कोई गड़बड़ी है तो सामने आ जाएगी। लीज से बाहर माइनिंग का पता चलेगा। सही खनन करने वाले खान मालिकों को ड्रोन सर्वे से फायदा ही होगा।"

चहेती फर्मों को ड्रोन सर्वे का ठेका देने की तैयारी

खनन मामलों के जानकार देवेंद्रसिंह धमोरा का कहना है कि केन्द्र सरकार के खान मंत्रालय ने प्रधान खनिज के लिए जारी 50 हेक्टेयर से अधिक एवं प्रतिवर्ष 10 लाख टन और उससे अधिक उत्पादन होने पर ही ड्रोन सर्वे का प्रावधान रखा है ताे राजस्थान सरकार को 5 हेक्टेयर तक के खनन पट्टों को ड्रोन सर्वे से मुक्त रखना चाहिए। क्योंकि, जाे नियम जारी किए गए हैं वह प्रधान खनिजों की जारी एसओपी से ही लिए गए हैं। क्वारी लाइसेंस जो की 0.18 हेक्टेयर से लेकर खातेदारी भूमि में 4.9 हेक्टेयर तक के होने पर भी उन्हें ड्रोन सर्वे से मुक्त रखना एवं एक हेक्टेयर के अप्रधान खनन पट्टों का ड्रोन सर्वे करना विभाग के दोहरे मापदंड को दर्शाता है।

खान मलिक द्वारा प्रतिवर्ष अपने खर्चे पर खनन पट्टे का ड्रोन सर्वे करवाना अनुचित है। इससे छोटे खनन पट्टा धारकों को आर्थिक नुकसान होगा। यदि फिर भी विभाग को खनन पट्टों का ड्रोन सर्वे करवाना है तो सरकारी खर्चे पर करवाया जाना चाहिए। खान मालिकों पर बेवजह अतिरिक्त आर्थिक भार डाला जा रहा है। आशंका है कि भविष्य में अपनी चहेती फर्मों को ड्रोन सर्वे के लिए अधिकृत कर उन्हीं काे ड्रोन सर्वे का कार्य दे दिया जाएगा। ऐसा होने पर विभाग में भ्रष्टाचार फैलेगा। तय है कि सरकार की इस अधिसूचना के खिलाफ खान मालिक कोर्ट जाएंगे।

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