कोटा न्यूज़ डेस्क, 2 साल से कोटा में इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (JEE) की तैयारी कर रहे 18 साल के स्टूडेंट की हार्ट अटैक से मौत हो गई। मां उसे खाना खाने के लिए उठाने गई तो मुंह से झाग निकल रहा था।स्टूडेंट को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मौत का कारण साइलेंट अटैक बताया। घटना कोटा के जवाहर नगर थाना इलाके की है।सोमवार को छात्र के चाचा कोटा पहुंचे। परिजनों ने पोस्टमॉर्टम नहीं करवाने की बात लिखित में दी और शव को अपने साथ ले गए। स्टूडेंट को सिर दर्द की शिकायत थी, जिसका इलाज चल रहा था।
परिजनों ने पोस्टमॉर्टम से किया इनकार
हेड कॉन्स्टेबल राजूलाल ने बताया- बिहार के पटना का रहने वाला अथर्व रंजन (18) पिछले 2 साल से कोटा के तलवंडी इलाके में पीजी में रह रहा था। उसकी मां भी उसके साथ रहती थी। उसके पिता दुबई में काम करते हैं। अथर्व रविवार को सुबह नाश्ते के बाद सिर दर्द की दवाई लेकर सोया था। करीब 2 बजे उसकी मां ने उसके मुंह से झाग निकलते देखा तो उसे प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए। जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।राजूलाल ने बताया- पुलिस ने शव को एमबीएस हॉस्पिटल की मॉर्च्युरी में शिफ्ट करवाया। सोमवार सुबह मृतक के चाचा आयुष रंजन जयपुर से कोटा आए। परिजनों ने पोस्टमॉर्टम करवाने से इनकार कर दिया और दाह संस्कार के लिए शव को पटना ले गए।
सिर दर्द की रहती थी शिकायत
पीजी मालिक संजय ने बताया- अथर्व रातभर पढ़ाई कर रहा था। सुबह मां से भूख लगने की बात कही और 8 बजे नाश्ता किया था। उसे सिर दर्द की शिकायत थी, जिसका इलाज चल रहा था। उसने सिर दर्द की दवाई ली और सो गया था। दोपहर 2 बजे करीब उसकी मां खाना खाने के लिए जगाने गई तो मुंह से झाग निकल रहा थे। इसके बाद उन्होंने फोन कर मुझे बुलाया और अथर्व को प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए। डॉक्टरों ने 2 घंटे पहले साइलेंट अटैक से मौत होने की बात कही। अथर्व अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था।
मुंह से झाग आने के तीन कारण
कोटा मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजी विभाग में सहायक आचार्य डॉ. हंसराज ने बताया- छात्र की वास्तविक मौत का कारण तो पोस्टमॉर्टम होने पर ही सामने आएगा। मुंह से झाग निकलने के 3 कारण हो सकते हैं। पहला उसे कोई दौरा (सीजर) आया हो। सीजर के दौरान रेसप्रेट कर गया हो। दूसरा उसे धड़कन की प्रॉब्लम हुई हो। तीसरा सस्पेक्टेड पॉइजन का मैटर हो।
राजस्थान में 50 हजार से ज्यादा मौतें हो रहीं
ICMR की ताजा स्टडी रिपोर्ट बताती है कि भारत में 4 करोड़ मरीज दिल की बीमारी के हैं। हर साल 7 लाख लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो जाती है। राजस्थान में यह आंकड़ा सालाना 50 हजार है।डॉक्टर इसका सबसे बड़ा कारण डायबिटीज को मानते हैं। इंग्लैंड की जनसंख्या के बराबर देश में 8 करोड़ डायबिटीज के मरीज हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि अगर हार्ट अटैक से बचना है तो डायबिटीज को कंट्रोल रखना होगा।
कम उम्र में क्यों आ रहे हार्ट अटैक
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर साल करीब 6 करोड़ लोगों की मौत होती है। इनमें से लगभग 32% मौतों की वजह कार्डियोवस्कुलर डिजीज है। यह बीमारी दुनिया में सबसे अधिक मौतों की वजह बनती है। हर साल लगभग पौने दो करोड़ लोग किसी-न-किसी हार्ट डिजीज के कारण जान गंवा रहे हैं।
पहले हार्ट डिजीज के ज्यादातर पेशेंट 60 साल से अधिक उम्र के होते थे। अब नई समस्या ये है कि बीते कुछ सालों में 30 साल से कम उम्र के लोग भी इसका शिकार बन रहे हैं। कोविड के बाद से तो जैसे हार्ट अटैक के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।
कम उम्र में हार्ट अटैक के क्या हैं रिस्क फैक्टर्स?
लंबे अरसे तक माना जाता रहा कि उम्र के साथ हमारा दिल भी बूढ़ा होता जाता है। इसलिए उम्र बढ़ने के साथ हार्ट डिजीज के मामले भी बढ़ जाते हैं। लेकिन बीते सालों में युवाओं को हो रहे हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स ने सबको चौंकाया है।
आइए ग्राफिक में देखते हैं, बड़े रिस्क फैक्टर्स:
अनहेल्दी लाइफ स्टाइल
आजकल ज्यादातर बीमारियों की जड़ अनहेल्दी लाइफस्टाइल है। देर रात तक जागना, सुबह देर से उठना, एक्सरसाइज न करना, खाने में फास्ट फूड और तली-भुनी चीजें खाना। इसके कारण डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, ओबिसिटी जैसी लाइफस्टाइल डिजीज होती हैं, जो आगे चलकर हार्ट अटैक का कारण बनती हैं।
हाई ब्लड प्रेशर
हाई ब्लड प्रेशर हार्ट अटैक के सबसे बड़े रिस्क फैक्टर्स में से एक है। असल में ब्लड प्रेशर हाई होने का मतलब है कि ब्लड फ्लो में कोई समस्या है तो हार्ट को इसका फ्लो बरकरार रखने के लिए पंपिंग तेज करनी पड़ रही है। इससे ब्लड वेसल्स डैमेज होती हैं, दिल थक रहा होता है। जो कभी भी हार्ट अटैक या अरेस्ट की वजह बन सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल
कोलेस्ट्रॉल हमारी ब्लड वेसल्स में जमा गाढ़े फैट की तरह है, जो खून की आवाजाही को बाधित करता है। इसके कारण ब्लड प्रेशर बढ़ता है। हार्ट को खून पंपिंग में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इसका लेवल जितना बढ़ता है, हार्ट अटैक के चांसेज भी उतने ही बढ़ते जाते हैं।
फैमिली हिस्ट्री
ब्रिटेन स्थित द हार्ट फाउंडेशन के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति के पेरेंट्स या भाई-बहन को 60 साल से कम उम्र में हार्ट अटैक हुआ है तो उसे दूसरों के मुकाबले कम उम्र में हार्ट अटैक की आशंका अधिक होती है।
स्मोकिंग
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश साल 2016 की एक स्टडी के मुताबिक, बच्चों और युवाओं में हार्ट अटैक के बड़े रिस्क फैक्टर्स में एक स्मोकिंग भी है। भारत सरकार के नेशनल सैंपल सर्वे के मुताबिक भारत में 10 से 14 साल के 2 करोड़ बच्चों को तंबाकू और सिगरेट के लत है। स्मोकिंग से हमारे फेफड़े और ब्लड वेसल्स कमजोर पड़ते हैं, जो हार्ट अटैक का बड़ा कारण हैं।
डायबिटीज
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक, जिन लोगों को डायबिटीज है, उनमें हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल का खतरा बढ़ जाता है। ये दोनों ही फैक्टर दिल की सेहत के लिए खतरनाक हैं। असल में डायबिटीज के कारण ब्लड वेसल्स कमजोर पड़ जाती हैं, हार्ट की मसल्स भी कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में दूसरे ट्रिगर पॉइंट्स मौत के मुंह तक ले जाते हैं।
ओबिसिटी
मोटापा ऐसी कॉम्प्लेक्स डिजीज है, जो कई लाइफ स्टाइल बीमारियों की वजह बनती है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, स्ट्रेस जैसी सभी लाइफस्टाइल डिजीज दिल की सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक हैं।
कोविड इंफेक्शन इफेक्ट्स
कोरोना वायरस ने हमारे फेफड़ों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है। इसने किडनी और ब्लड वेसल्स को भी कमजोर किया है। इसका सीधा असर हार्ट पर पड़ता है। यही कारण है कि कोविड इंफेक्शन के बाद बच्चों और युवाओं में कोरोना के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। कई स्टडीज ने तो यहां तक बताया है कि इन दिल के दौरों के पीछे जीवन दायिनी कोविड वैक्सीन भी बड़ी वजह है।
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