डॉग रेस्क्यू टीम को इसकी सूचना मिलने पर टीम के दिनेश यादव सहित अमन चौहान, अब्बास खान, युवराज अरोडा, विक्रम मीना, लोकेश आदिवाल व अरविंद चांवरिया मौके पर पहुंचे। इस दौरान नगर पालिका प्रशासन को भी इसकी जानकारी देकर उसका रेस्क्यू करने का आग्रह किया। काफी समय तक पालिका कर्मियों के मौके पर नहीं पहुंचने और श्वान के ओर भी लोगों को काट लेने की आशंका के चलते रेस्क्यू टीम ने इसकी सूचना पशु चिकित्सालय के डॉ शिवलाल नोगिया को देते हुए संसाधनों के अभाव के बावजूद उसका रेस्क्यू करने का निर्णय लिया। काफी प्रयासों के बाद श्वान का सुरक्षित रेस्क्यू कर उसे पिंजरे में डाला गया। रविवार की सुबह डॉ नोगिया व पशु चिकित्सालय के नर्सिंगकर्मी विशाल मीना ने उसका उपचार प्रारम्भ किया। डॉ नोगिया ने बताया कि रेबिज की बीमारी से ग्रस्त श्वान ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहते हैं। उन्होंने बताया कि इस श्वान ने जिन अन्य डॉग को काटा है, उनके भी एंटी रेबिज वैक्सीन लगवानी आवश्यक है, अन्यथा उनके भी रेबिज होने की संभावना बढ जाती है।
पालिका प्रशासन के पास नहीं संसाधन
शहर में विचरण करने वाले डॉग यदि किसी बीमारी से ग्रसित हो जाए और उनका उपचार करवाना हो तो उन्हें पकडने के लिए नगर पालिका प्रशासन के पास केवल एक पिंजरे के अलावा और कोई संसाधन नहीं है। घटना के समय एक पिंजरा जो पालिका के पास उपलब्ध था, वह किसी उपचाराधीन डॉग को रखने के लिए लेकर गया हुआ था। ऐसी स्थित में रेस्क्यूअर को बडी मुश्किल से एक पिंजरा उपलब्ध हो सका। शहर में डॉग का रेस्क्यू करने वाले सेवाभावी युवाओं ने पालिका प्रशासन से संसाधन उपलब्ध करवाने का आग्रह किया है। ताकि इस प्रकार के श्वानों को समय रहते पकडकर उनका उपचार करवाया जा सके।
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