डोनाल्ड ट्रंप फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं.
ट्रंप की यह जीत ऐतिहासिक है क्योंकि अमेरिका के इतिहास में ऐसा सिर्फ़ दूसरी बार हुआ, जब कोई राष्ट्रपति एक चुनाव हारने के बाद फिर से व्हाइट हाउस में लौटा है.
अमेरिका में अभी कोई भी महिला राष्ट्रपति नहीं बन सकी है और कमला हैरिस भी इस परंपरा को तोड़ने में नाकाम रहीं.
साल 2020 में जब डोनाल्ड ट्रंप जो बाइडन से चुनाव हार गए थे तो ऐसा लगा था कि उनका सियासी करियर समाप्त हो गया है.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ करेंराष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप का पहला कार्यकाल अराजकता और आलोचना के साथ ख़त्म हुआ था. यहां तक कि उनकी अपनी रिपब्लिकन पार्टी के भी कई नेताओं ने ट्रंप की आलोचना की थी.
ब्रायन लांज़ा उस वक़्त से डोनाल्ड ट्रंप के सियासी सलाहकार हैं, जब साल 2016 में उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने अभियान की शुरुआत की थी. ट्रंप के बारे में ब्रायन कहते हैं, "वो मात खाते हैं और दोबारा दोगुनी मज़बूत इच्छाशक्ति से उठ खड़े होते हैं. मुझे उनकी जीत पर हैरानी नहीं है."
78 साल के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप व्हाइट हाउस में एक ऐसे शख़्स के तौर पर वापसी करेंगे, जो राजनीतिक रूप से अभेद्य हो. इस बार उनके पास अपना विस्तारित एजेंडा होगा और वफ़ादारों की लंबी चौड़ी फौज भी साथ होगी.
चार साल पहले डोनाल्ड ट्रंप एक हारी हुई शख़्सियत नज़र आ रहे थे. डेमोक्रेटिक पार्टी के उनके प्रतिद्वंद्वी बाइडन ने साल 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें बड़े अंतर के साथ शिकस्त दी थी.
अदालतों ने उस चुनाव के नतीजों को चुनौती देने की ट्रंप की कोशिशों को ख़ारिज कर दिया था.
आख़िरी दांव के तौर पर उन्होंने अपने समर्थकों की एक रैली बुलाई, जिसमें उन्होंने समर्थकों से अमेरिकी संसद भवन पर उस वक़्त धावा बोलने के लिए कहा, जब वहाँ बैठे सांसद राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर प्रामाणिकता की मुहर लगा रहे थे.
ट्रंप समर्थकों की भीड़ ने देश के संसद भवन पर इतना भयानक और हिंसक हमला बोला कि इमारत के भीतर मौजूद लोगों को अपनी हिफ़ाज़त के लिए इधर-उधर भागने को मजबूर होना पड़ा.
ट्रंप समर्थक भीड़ के इस हमले में सैकड़ों सुरक्षाकर्मी घायल हो गए.
इसके विरोध में ट्रंप प्रशासन के कई अधिकारियों ने अपने पद और उनका साथ छोड़ दिया.
इनमें शिक्षा मंत्री बेट्सी डेवोस और परिवहन मंत्री इलेन चाओ शामिल थे. बेट्सी ने राष्ट्रपति को भेजे अपने इस्तीफ़े में लिखा कि, "इसमें कोई शक नहीं कि आपकी नाटकीय बयानबाज़ी से ही ये हालात बने हैं और ये मेरे लिए फ़ैसले की घड़ी है."
यहां तक कि साउथ कैरोलाइना से रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर और ट्रंप के क़रीबी साथी रहे लिंडसे ग्राहम ने भी तत्कालीन राष्ट्रपति का साथ छोड़ दिया था.
अमेरिकी सीनेट में लिंडसे ग्राहम ने कहा, "बस अब बहुत हो गया. मैं अब बस यही कह सकता हूं कि अपने समर्थकों की लिस्ट से मुझे माफ़ ही करें."
ट्रंप से दूरी बनाने की ये मुहिम अमेरिका के उद्योग जगत तक फैल गई.
अमेरिकन एक्सप्रेस, माइक्रोसॉफ्ट, नाइकी और वालग्रीन्स जैसी दर्जनों बड़ी कंपनियों ने एलान किया कि वो रिपब्लिकन पार्टी को अपना समर्थन रोक रहे हैं, क्योंकि पार्टी ने साल 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को चुनौती दी है.
जिस दिन बाइडन ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी, उस दिन ट्रंप ने अमेरिका के राजनीतिक इतिहास की 152 साल पुरानी परंपरा तोड़ते हुए, शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया और इसके बजाय सुबह-सुबह व्हाइट हाउस छोड़कर मार-ए-लागो में अपने प्राइवेट क्लब के लिए रवाना हो गए.
ट्रंप के साथ उनके परिवार के सदस्य और कुछ मुट्ठी भर नज़दीकी सहयोगी भी थे.
व्हाइट हाउस छोड़ने के बाद ट्रंप के जीवन पर 'ट्रंप इन एग्ज़ाइल' नाम से किताब लिखने वाली मेरेडिथ मैकग्रॉ के मुताबिक़, व्हाइट हाउस को विदा कहते वक़्त ट्रंप बहुत चिड़चिड़े हो रहे थे.
मेरेडिथ ने कहा, "वो बहुत ग़ुस्सा थे. खीझ रहे थे. उनको नहीं पता था कि आगे अपना वक़्त कैसे बिताएंगे और उनके पास अपने राजनीतिक भविष्य के लिए भी कोई योजना नहीं थी."
उस दौरान अमेरिकी मीडिया में जो चर्चा चल रही थी उसमें भी ट्रंप के भविष्य को लेकर अनिश्चितता की झलक देखने को मिल रही थी.
चुनाव में साफ़ तौर पर मिली शिकस्त और उसके बाद अमेरिकी संसद में अराजकता के मंज़र के बाद मीडिया में कुछ लोगों ने तो पक्की राय ज़ाहिर करते हुए ये तक कह दिया था कि अब अमेरिका की राजनीति में ट्रंप की वापसी के दरवाज़े बंद हो चुके हैं.
न्यूयॉर्क टाइम्स में जनवरी 2021 में प्रकाशित एक लेख की सबहेडलाइन कुछ यूं थी: 'एक भयानक प्रयोग अब ख़त्म हो गया है.' इस लेख की हेडलाइन तो और भी स्पष्ट थी: 'राष्ट्रपति डोनल्ड जे ट्रंप: द एंड.'
लेकिन, बाइडन के शपथ ग्रहण के दिन फ्लोरिडा रवाना होने से पहले ही ट्रंप ने संकेत दे दिया था कि आगे क्या होने वाला है.
मैरीलैंड के एयरफोर्स बेस से रवाना होते हुए, ट्रंप ने अपने समर्थकों से कहा था. ''हम आपसे मोहब्बत करते हैं. हम किसी न किसी रूप में फिर वापसी करेंगे."
एक हफ़्ते बाद ही ये स्पष्ट हो गया था ट्रंप को अपना राजनीतिक दबदबा जताने के लिए ज़्यादा लंबे वक़्त तक इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा. ख़ुद रिपब्लिकन पार्टी दौड़कर उनके पास गई.
कैलिफोर्निया से सांसद और अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव्स में रिपब्लिकन पार्टी के नेता केविन मैक्कार्थी, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने 'मार-ए-लागो' पहुंचे. मैक्कार्थी ने दमकते ट्रंप के साथ खड़े होकर फोटो भी खिंचवाई.
छह जनवरी को अमेरिकी संसद पर हमले के तुरंत बाद मैक्कार्थी ने कहा था कि भीड़ की 'हिंसा के ज़िम्मेदार' ट्रंप हैं.
यही नहीं, उन्होंने ये सुझाव भी दिया था कि अमेरिकी संसद, ट्रंप के इस बर्ताव के लिए औपचारिक तौर पर उनकी निंदा भी करे. पर अब मैक्कार्थी पूर्व राष्ट्रपति के साथ मिलकर काम करने की बातें कर रहे थे, ताकि अगले साल होने वाले मध्यावधि चुनावों में कांग्रेस में रिपब्लिकन पार्टी को बहुमत दिला सकें.
जब डेमोक्रेटिक पार्टी के बहुमत वाली अमेरिकी सीनेट, ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग लाने की तैयारी कर रही थी, उसी दौरान मैक्कार्थी का ट्रंप से मिलने जाना ये जता रहा था कि रिपब्लिकन पार्टी का एक बेहद ताक़तवर नेता, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप को किंग-मेकर समझता है.
मेरेडिथ मैक्ग्रॉ कहती हैं, ''मैक्कार्थी के उस दौरे ने वास्तव में ट्रंप की राजनीतिक वापसी के दरवाज़े खोल दिए.''
बाद में सीनेट में ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग उनके छुटकारे के साथ ख़त्म हुआ, क्योंकि रिपब्लिकन पार्टी के ज़्यादातर सीनेटर ने ट्रंप को दोषी क़रार देने के ख़िलाफ़ वोट दिया.
BBC इसराइल के लिए डोनाल्ड ट्रंप की जीत काफ़ी महत्वपूर्ण मानी जाती हैइनमें रिपब्लिकन पार्टी के नेता ट्रंप की खुलकर आलोचना करने वाले मिच मैक्कॉनेल भी शामिल थे. अगर सीनेट से महाभियोग पारित हो जाता, तो ट्रंप दोबारा कोई चुनाव नहीं लड़ पाते.
मिच मैक्कॉनेल ने कहा था कि 6 जनवरी को ट्रंप का बर्ताव 'ज़िम्मेदारी से भागने की एक शर्मनाक मिसाल' था. फिर भी उन्होंने वो एक क़दम न उठाने का फ़ैसला किया, जिससे पूर्व राष्ट्रपति के राजनीतिक करियर का पूरी तरह से अंत हो सकता था.
ऐसा क़दम उठाने पर शायद मिच मैक्कॉनेल को अपना ही करियर ख़त्म हो जाने का डर था.
रिपब्लिकन पार्टी के नेता इस बात से भी डरे हुए थे कि कहीं ट्रंप ख़ुद अपनी तीसरी पार्टी न खड़ी कर लें, जिससे रिपब्लिकन समर्थक उनकी तरफ़ चले जाएं और ट्रंप के सबसे नज़दीकी सहयोगी, रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं की ये आशंका दूर करने के लिए भी कुछ नहीं कर रहे थे.
लंबे समय तक ट्रंप के संचार सलाहकार रहे जैसन मिलर ने फॉक्स न्यूज़ के साथ एक इंटरव्यू में कहा था, "अब ये तो रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं पर निर्भर है कि ट्रंप के तीसरी पार्टी बनाने का मसला गंभीर न हो जाए."
पद छोड़ने के बाद के एक महीने का ज़्यादातर समय ट्रंप ने अपने मार-ए-लागो क्लब के आरामदेह ठिकाने पर बिताया. वो कभी-कभार गॉल्फ खेलने या किसी प्राइवेट डिनर के लिए ही क्लब से बाहर निकला करते थे.
हालांकि, फ़रवरी का महीना ख़त्म होते होते, जब छह जनवरी की हिंसा का शोर कम हो गया, तो ट्रंप अपने पहले सार्वजनिक कार्यक्रम के लिए तैयार थे.
वो फ्लोरिडा के ऑरलैंडों में दक्षिणपंथी संगठन कंज़र्वेटिव पॉलिटिकल एक्शन कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए थे.
इस कॉन्फ्रेंस के कार्यक्रम आम तौर पर वॉशिंगटन डीसी के पास ही होते थे. लेकिन, कोविड संबंधी पाबंदियों की वजह से ये सम्मेलन ऑरलैंडो में हुआ था. इसमें डोनल्ड ट्रंप ने दिखाया कि रिपब्लिकन समर्थक अब भी उनके पीछे खड़े हैं.
होटल के विशाल कॉन्फ्रेंस सेंटर में शोर मचाते हज़ारों समर्थकों को संबोधित करते हुए ट्रंप, उनकी मोहब्बत की रोशनी में दमक रहे थे.
उन्होंने कहा था, ''मैं आज आपके सामने खड़ा होकर कह रहा हूँ हमने साथ मिलकर जिस शानदार सफ़र की शुरुआत की थी, वो अभी ख़त्म नहीं हुआ है."
ट्रंप ने नखरे भरे अंदाज़ में ये भी कहा कि हो सकता है कि साल 2024 में वो डेमोक्रेटिक पार्टी को शायद तीसरी बार शिकस्त दें.
सम्मेलन में शामिल हुए लोगों के बीच कराए गए एक सर्वे ने उसी बात पर मुहर लगाई, जो साफ़ दिख रही थी.
सर्वे में शामिल 68 प्रतिशत लोगों ने कहा कि ट्रंप को फिर से राष्ट्रपति चुनाव लड़ना चाहिए. वहीं, 55 फ़ीसदी ने कहा कि रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं के बीच राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी के लिए वोटिंग हुई, तो वो अपना वोट ट्रंप को देंगे.
इस सर्वे में दूसरे नंबर पर रहे रिपब्लिकन पार्टी के नेता और फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसांटिस को ट्रंप से आधे वोट ही मिले थे.
मेरेडिथ मैक्ग्रॉ ने बताया, "इस सम्मेलन से पहले ट्रंप और उनकी टीम काफ़ी नर्वस थी. जब ट्रंप को इतना ज़ोरदार समर्थन मिला, तो ये मनोवैज्ञानिक तौर पर ट्रंप और उनके सहयोगियों के लिए बेहद अहम लम्हा था."
कुछ वक़्त के अंतराल के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने फंड जुटाने के लिए अपने समर्थकों को ई-मेल भेजने शुरू कर दिए और इसके साथ ही उन्होंने मेले जैसी रैलियां करने की भी शुरुआत कर दी.
जून में ओहायो में अपनी एक रैली में ट्रंप ने पूछा, "क्या आपने मुझे याद किया?" इसपर भीड़ ने ज़बरदस्त प्रतिक्रिया दी, तो ट्रंप ने कहा कि, "ये लोग मुझे मिस कर रहे थे."
अगर साल 2021ने रिपब्लिकन पार्टी में ट्रंप का दबदबा बरक़रार रहने का इशारा दिया, तो साल 2022 के मध्यावधि चुनावों ने इस पर मुहर लगा दी.
तब तक अमेरिकी सेना अफ़रा-तफ़री में अफ़ग़ानिस्तान छोड़ चुकी थी और वहां की अमेरिका समर्थित सरकार का पतन हो चुका था.
गैस की क़ीमतें और महंगाई ऐसे ऊंचे स्तर पर पहुंच रही थीं, जैसी पिछले कई दशकों में नहीं देखी गई थीं. अमेरिका की आर्थिक वृद्धि, जो महामारी के दौर से उबर रही थी, वो भी लड़खड़ाने लगी थी.
जो बाइडन की लोकप्रियता लगातार गिरती जा रही थी. ऐसे में साल 2021 में जो राजनीतिक माहौल ट्रंप के बिल्कुल ख़िलाफ़ था, वो बदलता दिख रहा था.
ब्रायन लांज़ा कहते हैं कि, "जो बाइडन, मतदाताओं की बुनियादी चिंताओं को दूर करने में नाकाम रहे थे. इससे ट्रंप को वापसी का एक अच्छा मौक़ा मिल गया."
चुनाव से पहले रिपब्लिकन पार्टी के जिस नेता को टिकट चाहिए होता था, उसके लिए ट्रंप के दर पर माथा टेकना अनिवार्य हो गया था. ट्रंप की रज़ामंदी को रूढ़िवादी मतदाताओं का समर्थन हासिल करने और चुनाव लड़ने का फंड जुटाने की गारंटी माना जा रहा था.
दूसरे महाभियोग के दौरान, अमेरिकी संसद के जिन छह रिपब्लिकन सांसदों ने ट्रंप के ख़िलाफ़ वोट किया था, और जो दोबारा चुनाव लड़ रहे थे, उनको ट्रंप समर्थक उम्मीदवारों ने पार्टी के अंदरूनी चुनाव में शिकस्त दे दी थी.
वहीं, ओहायो में सीनेट के उम्मीदवार जेडी वैंस और जॉर्जिया में हर्शेल वॉकर, ट्रंप के समर्थन की मदद से पार्टी उम्मीदवारों की भीड़ में अपना टिकट पक्का कर पाने में कामयाब रहे थे.
BBC ट्रंप की जीत का क़रीब तीन साल से चले रहे रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी असर पड़ सकता हैसाल 2016 के चुनाव में एरिज़ोना राज्य में ट्रंप के चुनाव अभियान के प्रमुख और साल 2020 में पश्चिमी क्षेत्र के अभियान निदेशक रहे ब्रायन सेटचिक ने कहा, "ट्रंप के समर्थन का मतलब था, पार्टी के अंदरूनी चुनाव में उम्मीदवार की जीत पक्की थी."
लेकिन, अगर साल 2022 के पहले छह महीनों में ट्रंप के लिए अच्छी ख़बरें आईं, तो नवंबर के चुनाव के नतीजों से एकदम अलग ही तस्वीर बनकर उभरी.
सीनेट में ट्रंप के समर्थन वाले चार अहम प्रत्याशियों में से केवल एक- लेखक से राजनेता बनते जेडी वैंस ही अपने डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंदी को हरा पाने में सफल रहे थे.
उस वक़्त रिपब्लिकन पार्टी हाउस ऑफ रिप्रेंजेटेटिव्स में मामूली बहुमत हासिल कर सकी थी और केविन मैक्कार्थी हाउस स्पीकर बन गए थे. लेकिन, रिपब्लिकन पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक़ नहीं रहा था और सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी अपना बहुमत बचा पाने में सफल रही थी.
फ्लोरिडा में गवर्नर रॉन डेसांटिस, जो साल 2021 में राष्ट्रपति के उम्मीदवारी के लिए हुए सर्वेक्षण में ट्रंप से बहुत पीछे रहे थे, उन्होंने आश्चर्यजनक तरीक़े से दोहरे अंकों से दोबारा चुनाव जीत लिया था.
इससे ये अटकलें बढ़ गई थीं कि साल 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में शायद वो ही रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी बनें.
इस बीच ट्रंप ग़ुस्से से भड़के हुए थे. उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीद से ख़राब प्रदर्शन के लिए गर्भपात पर पाबंदी को समर्थन देने और उनके अपने रूढ़िवादी जनवाद के प्रति अपर्याप्त वफ़ादारी दिखाने को ज़िम्मेदार ठहराया था.
मध्यावधि चुनावों के कुछ हफ़्तों बाद ही, जब राजनीति के जानकार अभी यही अटकलें लगा रहे थे कि क्या ट्रंप की लोकप्रियता का दौर ख़त्म हो चुका है, तब ट्रंप ने औपचारिक रूप से साल 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने अभियान का आग़ाज़ कर दिया.
उम्मीदवारी के लिए ट्रंप का सफ़र Getty Images ट्रंप पर चुनावी रैली के दौरान हमला भी हुआ थाराष्ट्रपति चुनाव के लिए ट्रंप के अभियान की शुरुआत ऐसी ख़राब रही कि लगा कि उन्होंने ग़लत वक़्त पर इसका आग़ाज़ किया था.
मध्यावधि चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के ख़राब प्रदर्शन के ठीक बाद ट्रंप ने जब राष्ट्रपति चुनाव अभियान की शुरुआत की तो बहुत से लोगों ने सवाल उठाया कि क्या पूर्व राष्ट्रपति की राजनीतिक समझदारी समाप्त हो चुकी है.
मार-ए-लागो के जिस आरामदेह माहौल में ट्रंप ने अपनी उम्मीदवारी का एलान किया, उससे ऐसा लगा कि उनका चुनाव अभियान मौजूदा राजनीतिक सच्चाइयों से बिल्कुल बेख़बर था. इसके बाद ट्रंप जब भी चर्चा में आए तो ग़लत वजहों से.
मार-ए-लागो में एक प्रमुख गोरे राष्ट्रवादी निक फुएंटेस के साथ डिनर करना हो या फिर सोशल मीडिया पर ये लिखना हो कि अमेरिका के संविधान के नियम ‘ख़त्म कर दिए’ जाने चाहिए, ताकि उन्हें फिर से राष्ट्रपति पद पर बिठाया जा सके.
मेरेडिथ मैक्ग्रॉ कहती हैं , ''नए साल के जश्न के बाद का दौर ट्रंप के अभियान के लिए बेहद स्याह रहा था." रिपब्लिकन पार्टी के नेता ट्रंप को लेकर आशंकित थे.
उस वक़्त के माहौल को बयां करते हुए मेरेडिथ कहतीं हैं, "ट्रंप ने एलान तो कर दिया कि वो राष्ट्रपति चुनाव लड़ने जा रहे हैं, लेकिन क्या हम सबको इसका यक़ीन है कि वो चुनाव जीत जाएंगे? क्या उनमें चुनाव जीतने के लिए ज़रूरी अनुशासन है?"
हालांकि, पर्दे के पीछे ट्रंप बड़ी ख़ामोशी से चुनाव अभियान के कर्मचारी बहाल कर रहे थे. साल 2016 और साल 2020 के उलट इस बार के चुनाव अभियान की कमान उन्होंने तजुर्बेकार राजनीतिक शख़्सियतों के हाथ में सौंपी थी.
क्रिस लासिविटा और सुशी वाइल्स भले ही घर-घर में जाना-माना नाम न हों. लेकिन, क्रिस लासिविटा रिपब्लिकन पार्टी की राजनीति के बेहद पुराने जानकार हैं, जिनके पास कई दशकों का अनुभव है.
वहीं, सुशी वाइल्स ने फ्लोरिडा को रूढ़िवादी पार्टी का मज़बूत गढ़ बनाने में काफ़ी मदद की थी.
इन दोनों ने ट्रंप के साथ मिलकर रिपब्लिकन पार्टी के भीतर राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी हासिल करने की रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी.
ब्रायन लांज़ा ने कहा कि जहां रॉन डेसांटिस फ्लोरिडा में अपनी आधिकारिक ज़िम्मेदारियों के चक्कर में फंसे हुए थे वहीं ट्रंप ने अपने अभियान की दशा और दिशा तय करनी भी शुरू कर दी थी.
उस समय रिपब्लिकन पार्टी के दूसरे नेता, गवर्नर डेसांटिस के प्रति सम्मान व्यक्त कर रहे थे, वहीं ट्रंप ने उन पर खुलकर हमले किए और नीचा दिखाने की कोशिश की.
ब्रायन लांज़ा कहते हैं, "सब ये सोच रहे थे कि रॉन डेसांटिस राजनीति के ऐसे शिखर पर हैं कि उन्हें नीचा नहीं दिखाया जा सकता. लेकिन, ट्रंप ने डेसांटिस को चीर-फाड़कर रख दिया."
ट्रंप की टीम को ऐसे ऐसे तबक़ों से सहारा मिला, जहां से उम्मीद ही नहीं थी. न्यूयॉर्क, जॉर्जिया और वॉशिंगटन डीसी के न्याय विभाग ने भी उन्हें सहारा दिया.
अगस्त 2022 में एफबीआई ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील दस्तावेज़ों की तलाश में मार-ए-लागो में छापा मारा था. वहीं, साल 2023 में ट्रंप को कई मामलों में अदालत ने आरोपी बनाया था.
ऐसे में जब रिपब्लिकन पार्टी के भीतर राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बनने की होड़ चल रही थी, तभी पूर्व राष्ट्रपति के आपराधिक कृत्य और उनको होने वाली सज़ा की चर्चा भी जज़ोर पकड़ रही थी.
अगस्त में अटलांटा की जेल में ली गई ट्रंप की फोटो को बहुत जल्दी ही उनके चुनाव अभियान की प्रचार सामग्री में लगाकर प्रचारित किया जाने लगा.
वामपंथी वर्ग के बहुत से लोगों के लिए ट्रंप का अभियुक्त बनना आख़िर में इंसाफ़ होना लग रहा था. लेकिन, अपनी पार्टी के राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार चुनने वाले रूढ़िवादी मतदाताओं के लिए ये मौक़ा मुसीबतों में घिरे अपने नेता के साथ खड़े होने का था.
रूढ़िवादी तबक़े के बीच सर्वे करने वाली सारा लॉन्गवेल ने न्यूज़ चैनल पीबीएस पर जून 2023 में आयोवा में रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों से उस वक़्त बात की, जब न्याय विभाग ने ट्रंप को संवेदनशील सरकारी दस्तावेज़ों के ग़लत रख-रखाव का आरोपी बनाया था.
उस वक़्त एक समर्थक ने कहा, 'मुझे लगता है कि ट्रंप को फंसाया जा रहा है.'
एक अन्य समर्थक ने कहा, "यह तो चुनाव में ऐसी दख़लंदाज़ी है, जैसी हमने पहले कभी नहीं देखी."
ब्रायन लांज़ा के मुताबिक़, ट्रंप को आरोपी बनाने के इन मामलों ने रिपब्लिकन पार्टी के भीतर दरारें डाल दीं और दो गुट बना दिए. इनमें एक तबक़ा वो था, जो ट्रंप को आरोपी बनाने को सत्ता का दुरुपयोग मानता था, वहीं दूसरा वर्ग ऐसा नहीं मानता था.
ब्रायन कहते हैं कि, "शुरुआत में रॉन डेसांटिस ने इसके प्रति सीधा रुख नहीं अपनाया और बाद में वो इसके शिकार बन गए."
मार्च 2023 में जब न्यूयॉर्क की अदालत ने ट्रंप को एक पोर्नस्टार को मुंह बंद रखने के एवज़ में पैसे देने का आरोपी बनाया था, तब रॉन डेसांटिस ने कहा कि "ये तो बनाया गया सर्कस है और ये कोई वास्तविक मुद्दा ही नहीं है."
साल 2023 के पतझड़ के दिन आते-आते, रिपब्लिकन पार्टी के अंदरूनी चुनाव में ट्रंप ने भारी बढ़त हासिल कर ली थी. वो अपने प्रतिद्वंदियों से काफ़ी आगे निकल गए थे और उन्होंने आख़िर तक ये बढ़त बनाए रखी.
ट्रंप ने रिपब्लिकन पार्टी में उम्मीदवारी तय करने की चर्चा से दूरी बना ली और अपने विरोधियों को सियासी ऑक्सीजन से महरूम कर दिया.
इसके बजाय ट्रंप ने अपनी पहचान बन चुकी रैलियों और ज़मीनी सभाओं के ज़रिए रिपब्लिकन पार्टी के आम समर्थकों और मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मज़बूत बनाने की मुहिम जारी रखी.
चुनाव अभियान के लिए क़रीब 20 करोड़ डॉलर का फंड जुटा लेने के बावजूद, जनवरी 2024 में आयोवा राज्य की प्राइमरी में रॉन डे सांटिस ट्रंप से बहुत पीछे रह गए और वो उम्मीदवार बनने की होड़ से बाहर हो गए.
जब ट्रंप ने न्यू हैंपशायर में साउथ कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर निकी हेले को आसानी से हरा दिया, तो रिपब्लिकन पार्टी के भीतर राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बनने की होड़ लगभग ख़त्म हो गई थी. ट्रंप लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार बन गए थे.
अदालतों में ट्रंप के ख़िलाफ़ जो कुछ हो रहा था, वो उनके लिए शायद वरदान साबित हुआ. हालांकि, इस वजह से उनके चुनाव लड़ने पर भी कई बार सवाल खड़े होते दिखे.
मई 2024 में मैनहट्टन की एक अदालत ने ट्रंप को 34 बड़े अपराधों का दोषी क़रार दिया. इनमें एडल्ट फिल्मों की स्टार, स्टॉर्मी डेनियल्स को उनका मुंह बंद रखने के एवज़ में दिए गए पैसे का मामला भी शामिल था.
हालांकि, ऐसा लग रहा था कि ट्रंप को जितनी बार अदालतों से झटका लगता था, उसके बाद उन्हें किसी न किसी रूप में बड़ी सफलता भी मिल जाती थी. उनको सज़ा सुनाने को चुनाव के बाद के लिए टाल दिया गया.
फ्लोरिडा में सरकारी दस्तावेज़ छुपाने का मामला ख़ारिज हो गया और अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला दिया कि राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप ने आधिकारिक तौर पर जो भी क़दम उठाए, उनको लेकर कोई मुक़दमा नहीं बनाया जा सकता.
वहीं, पार्टी में उम्मीदवारी की जंग जीतने के बाद अदालतों के बाहर ट्रंप का चुनाव अभियान तेज़ी से बढ़ता जा रहा था. जून में ट्रंप के साथ चुनावी डिबेट में बाइडेन ने जिस तरह अटक अटककर जवाब दिए, उससे डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर डर फैल गया.
ट्रंप की एप्रूवल रेटिंग लगातार नई ऊंचाइयां छू रही थीं और वो बाइडन पर बढ़त हासिल करते दिख रहे थे.
वहीं, जुलाई महीने में पेंसिल्वेनिया में एक शख़्स की गोली से बाल बाल बचने के एक दिन बाद, मिलवॉकी में रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में ट्रंप अपने समर्थकों के शोर के बीच एक विजेता के तौर पर पहुंचे.
मेरेडिथ मैक्ग्रॉ के मुताबिक़, "उस सम्मेलन में हमने देखा कि रिपब्लिकन पार्टी पूरी तरह से एकजुट थी. वो बहुत आत्मविश्वास से भरे हुए थे."
टेस्ला के प्रमुख और दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क ने सार्वजनिक रूप से ट्रंप का समर्थन करने का एलान किया और कांटे की टक्कर वाले राज्यों में ट्रंप के समर्थन में फंड जुटाने के एक व्यापक अभियान चलाना शुरू कर दिया.
उस समय ऐसा लग रहा था कि 6 जनवरी के रसातल से अमेरिकी सत्ता के शीर्ष पर ट्रंप की वापसी लगभग तय हो चुकी है.
ट्रंप के अभियान ने पहले रॉन डेसांटिस और रिपब्लिकन पार्टी के दूसरे उम्मीदवारों को शिकस्त दी और अब वो बाइडन और डेमोक्रेटिक पार्टी को पटखनी देने के लिए तैयार दिख रहे थे.
लेकिन, ट्रंप के औपचारिक रूप से रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी स्वीकार करने के तीन दिन बाद बाइडन राष्ट्रपति चुनाव के मैदान से हट गए और उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस को समर्थन देने का एलान कर दिया.
कुछ ही हफ़्तों के भीतर हैरिस ने अपनी पार्टी को अपने पीछे एकजुट कर लिया और डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थकों के भीतर एक नए उत्साह का संचार कर दिया.
यहां तक कि कांटे की टक्कर वाले कई राज्यों में वो ट्रंप से भी आगे निकलती दिखने लगीं. सितंबर में कमला हैरिस के साथ टीवी डिबेट में ट्रंप का प्रदर्शन निराशाजनक रहा.
इसके अलावा ट्रंप को अपने चुनाव अभियान को नए प्रतिद्वंदी के मुताबिक़ नई दिशा देने में भी मुश्किल हो रही थी. क्योंकि कमला हैरिस की ताक़त और कमज़ोरियां निश्चित रूप से बाइडन से बिल्कुल अलग हैं.
ब्रायन सेटचिक ने कहा, "जब तक कमला हैरिस मैदान में नहीं उतरी थीं, तब तक ट्रंप के लिए कोई ख़ास चुनौती नहीं दिख रही थी. उस वक़्त तक सब कुछ ऐसा लग रहा था कि ये तो ट्रंप के चुनाव अभियान की सफलता की झलक है."
चुनाव का दिन जैसे-जैसे क़रीब आता जा रहा था, वैसे-वैसे ट्रंप की बढ़त ख़त्म होती जा रही थी और ऐसा लग रहा था कि ट्रंप को सूझ ही नहीं रहा कि वो करें तो क्या करें.
राष्ट्रपति चुनाव की होड़ उसी मकाम पर फिर पहुंच गई थी, जहां साल की शुरुआत में थी जिसमें कोई भी उम्मीदवार जीत सकता था. ट्रंप का चुनाव अभियान जो बाइडेन की उम्र और कमज़ोरी का मज़ाक़ उड़ाने पर केंद्रित था.
उसको अब ट्रंप की अपनी बढ़ती उम्र पर सफाई देनी पड़ रही थी क्योंकि उनकी क्षमता और फुर्तीलेपन का बारीक़ी से निरीक्षण हो रहा था.
मेरेडिथ मैक्ग्रॉ ने कहा, "ट्रंप के इर्द गिर्द बेहद पेशेवर और सधा हुआ चुनाव अभियान चलाया जा सकता है. लेकिन आख़िर में वो वही करेंगे, जो उनको करना है और उसी तरीक़े से करना है, जैसा वो चाहते हैं."
इसमें ट्रंप का सार्वजनिक रूप से बार बार ये कहना भी शामिल है कि वो साल 2020 का चुनाव नहीं हारे थे. अपनी रैलियों में वो खोखली बयानबाज़ियों पर ज़्यादा ज़ोर देते थे. वहीं ट्रंप ने कई बार आख़िरी मौक़े पर मीडिया के साथ अपने कार्यक्रम रद्द कर दिए, जिसकी वजह कई लोगों ने ट्रंप का ''थक जाना'' बताया.
ट्रंप पिछले चार दशकों से भी ज़्यादा समय से सार्वजनिक जीवन में हैं. ऐसा लगता था कि वो थक ही नहीं सकते. लेकिन, राष्ट्रपति के तौर पर चार साल के कार्यकाल को सामने देखते हुए, सवाल ये भी उठे कि क्या ट्रंप थकने और कमज़ोर दिखने लगे हैं?
क्या ट्रंप के एजेंडे में बुनियादी बदलाव आएगा? Getty Imagesराजनीति में ट्रंप की यह ज़ोरदार वापसी उनकी एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. वो ऐसे राष्ट्रपति के तौर पर व्हाइट हाउस में दाख़िल होंगे, जिन्होंने क़ानूनी, सियासी और अपनी बनाई ऐसी तमाम बाधाओं को पार कर लिया होगा, जिनका सामना इसके पहले के गिने चुने राष्ट्रपतियों ने ही किया होगा.
सत्ता की बागडोर हाथ में होने और दोबारा मतदाताओं का सामना करने के ख़ौफ़ से आज़ाद होने पर ट्रंप बड़ी आसानी से उन क़ानूनी बाधाओं का सफाया कर सकेंगे.
अपने पहले कार्यकाल के उलट ट्रंप ऐसे सलाहकारों और पदाधिकारियों के साथ व्हाइट हाउस में दाख़िल होंगे, जो पूरी तरह से उनके प्रति वफ़ादार होंगे.
अगर केंद्रीय अफ़सरशाही को नाटकीय तरीक़े से पुनर्गठित करने का अपना इरादा लागू करते हैं, तो अमेरिका की सिविल सर्विस के बहुत से कर्मचारियों की जगह राजनीतिक समर्थक ले लेंगे.
अगर अमेरिकी संसद में रिपब्लिकन पार्टी का दबदबा नहीं भी होता है, तो वो राष्ट्रपति के पास मौजूदा शक्तियों का इस्तेमाल करके, अप्रवासियों पर नई पाबंदियां लगा सकते हैं और बिना दस्तावेज़ वाले हज़ारों अप्रवासियों को देश से बाहर निकाल सकते हैं.
इसके अलावा राष्ट्रपति बनने पर ट्रंप ऐसे व्यापारिक टैक्स लगा सकते हैं, जो अमेरिकी नागरिकों की नौकरी को तो सुरक्षित बनाएं. लेकिन, इससे आयातित सामान की क़ीमत बढ़ जाए.
डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता चेतावनी देते हैं कि ट्रंप दोबारा सत्ता में आने के बाद उनका कार्यकाल 'बेलगाम' होगा और ट्रंप को बहुत से ख़तरनाक प्रस्तावों को लागू करने से नहीं रोका जा सकेगा.
वहीं ट्रंप की छवि में रंग चुकी रिपब्लिकन पार्टी को ये उम्मीद है कि इस बार ट्रंप ऐसे अंदरूनी प्रतिरोध के बग़ैर अपना एजेंडा ज़्यादा प्रभावी तरीक़े से लागू कर पाएंगे, जिसका सामना उन्हें पहले कार्यकाल में करना पड़ा था.
ब्रायन सेटचिक कहते हैं कि, ''डोनाल्ड ट्रंप ने रिपब्लिकन पार्टी को वित्तीय और सामाजिक मसलों से हटाकर अपने नाम वाले जनवाद की ताक़तवर सियासी संस्था में तब्दील कर दिया है. ये रिपब्लिकन पार्टी के भीतर आया एक बुनियादी बदलाव है.''
इस बार राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप अमेरिकी सरकार को बुनियादी तौर पर इस तरह से बदल डालेंगे, जिसका असर अमेरिका की आने वाली कई पीढ़ियों पर पड़ सकता है.
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