हिज़्बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की शनिवार को इसराइली हमले में मौत की चर्चा दुनियाभर में है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसको प्रमुखता से अपने अख़बारों और चैनलों पर जगह दी है.
‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ अख़बार ने इस घटना पर विस्तार से ख़बर दी है. अख़बार लिखता है कि नसरल्लाह की मौत ने मध्य-पूर्व में जारी संघर्ष को नए क्षेत्र में पहुंचा दिया है.
अख़बार लिखता है कि ताक़तवर लड़ाकू संगठनों और ईरान के प्रतिनिधियों को हिज़्बुल्लाह नेता की मौत के बाद इस बात पर फ़ैसला लेना है कि वो इस पर कैसे और क्या जवाबी कार्रवाई करेगा.
हिज़्बुल्लाह ने शनिवार को अपने वरिष्ठ नेता हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की थी.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करेंअख़बार के मुताबिक़, "नसरल्लाह की मौत ने ईरान समर्थित ताक़तों के ख़िलाफ़ इसराइल के युद्ध को नए क्षेत्र में धकेल दिया है. ईरान लंबे समय से अपने ‘प्रॉक्सी’.. ग़ज़ा में हमास, लेबनान में हिज़्बुल्लाह और यमन में हूती को इसराइल के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई में अग्रिम पंक्ति के तौर पर इस्तेमाल करने की कोशिश में लगा है.
"नसरल्लाह पर हमले की कड़ी निंदा करते हुए ईरान के नेताओं ने जवाबी कार्रवाई को लेकर कोई सीधा क़दम नहीं उठाया है, न ही उन्होंने पिछले महीने तेहरान में हमास नेता इस्माइल हनिया की हत्या के लिए इसराइल के ख़िलाफ़ कोई कदम उठाया है."
न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि 'हिज़्बुल्लाह और इसराइल के बीच मौजूदा संघर्ष तब शुरू हुआ जब पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास के नेतृत्व वाले हमलों के बाद हिज़्बुल्लाह ने इसराइल पर मिसाइल और ड्रोन दागना शुरू किया और ग़ज़ा में जंग शुरू हो गई. इससे दोनों देशों में डेढ़ लाख़ से ज़्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं.'
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अख़बार के मुताबिक़ हसन नसरल्लाह एक शिया धर्मगुरु थे जिन्होंने साल 1992 से हिज़्बुल्लाह का नेतृत्व किया था. उन्होंने इसे एक प्रभावशाली राजनीतिक दल के रूप में विकसित होते देखा, जिसके पास लेबनानी संसद में सीटें थीं और एक शक्तिशाली लड़ाकू संगठन था, जिसके पास मिसाइलों, रॉकेटों और ड्रोनों का बड़ा भंडार था.
"उनकी मौत के बाद बेरूत शहर के बीचों-बीच एक बड़ी मस्जिद के बाहर महिलाओं और बच्चों समेत लोगों को रोते हुए देखा गया. महिलाएं कह रही थीं, 'वह चला गया! सैय्यद, वह चला गया!'"
वहीं द वॉशिंगटन पोस्ट अख़बार के मुताबिक़ लंबे समय से हिज़्बुल्लाह के नेता रहे हसन नसरल्लाह की हत्या ने लेबनान को हिलाकर रख दिया है. उनकी मौत के बाद उपजे खालीपन को भरने के लिए इस हथियारबंद गुट को संघर्ष करना पड़ सकता है.
अख़बार लिखता है कि इसराइल के साथ उसकी लड़ाई अनिश्चित और संभवतः अधिक हिंसक रास्ते पर है.
अख़बार के मुताबिक़ चैटम हाउस में मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका कार्यक्रम के निदेशक सनम वकील ने नसरल्लाह की हत्या के विश्लेषण में लिखा है, “लेबनान में तीव्र बमबारी के साथ-साथ हत्याएं, हिज़्बुल्लाह को ख़त्म करने के लिए एक संपूर्ण इसराइली कोशिश को दिखाती है."
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अख़बार के मुताबिक़ कैलिफोर्निया में नेवल पोस्ट ग्रेजुएट स्कूल में राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के प्रोफेसर अफशोन ओस्टोवर ने कहा है, “तथ्य यह है कि हिज़्बुल्लाह को उनकी हत्या से पहले ही काफी नुकसान हो चुका है. अगर आपको कोई ऐसी चीज़ विरासत में मिली है जो अभी-अभी नष्ट हुई है, तो आपको चीज़ों को वापस पटरी पर लाने के लिए अलग तरीके से काम करना होगा."
द वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी एक अन्य ख़बर में लिखा है, शनिवार को इसराइली हमले में हिज़्बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद अमेरिकी अधिकारी हाथ-पांव मार रहे थे, क्योंकि उन्हें ईरान की तरफ से संभावित जवाबी कार्रवाई का अनुमान था.
द वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि ताज़ा हमलों ने अमेरिका और उसके क़रीबी मित्र इसराइल के बीच संपर्क पर ज़्यादा सवाल खड़े कर दिए हैं क्योंकि अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक़ उन्हें नहीं पता था कि इसराइल नसरल्लाह को मारने की कोशिश करने के लिए हवाई हमला करने जा रहा है.
अख़बार ने वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि अमेरिकी अधिकारी अभी भी इसराइल को लेबनान पर ज़मीनी हमला न करने की सलाह दे रहे हैं और चेतावनी दे रहे हैं कि इससे देश के अंदर हिज़्बुल्लाह की स्थिति को कमज़ोर करना मुश्किल हो सकता है.
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पाकिस्तान के अंग्रेज़ी अख़बार 'डॉन' ने नसरल्लाह की हत्या पर विस्तार से ख़बर दी है.
अख़बार लिखता है, "लेबनान के सैय्यद हसन नसरल्लाह ने इसराइल के साथ दशकों तक चले संघर्ष में हिज़्बुल्लाह का नेतृत्व किया था, क्षेत्रीय प्रभाव वाले सैन्य बल में इसके बदलाव की देखरेख की थी और कथित तौर पर ईरानी समर्थन के साथ पीढ़ियों में सबसे प्रमुख अरब हस्तियों में से एक बन गए थे."
ईरान की आधिकारिक न्यूज़ एजेंसी 'इरना' के मुताबिक़, "ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा है कि हिज़्बुल्लाह नेता सैयद हसन नसरल्लाह की शहादत लेबनान, पश्चिम एशिया और पूरे इस्लामी जगत के लोगों के लिए एक बड़ा नुक़सान है, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि "इस महान व्यक्ति का खून" प्रतिरोध मोर्चे को और मज़बूत करेगा."
वहीं 'अरब न्यूज़' ने दुनियाभर के नेताओं और संगठनों की प्रतिक्रिया को अपनी ख़बर में जगह दी है.
अरब न्यूज़ लिखता है, रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि "हम इसराइल द्वारा की गई इस राजनीतिक हत्या की कड़ी निंदा करते हैं" और उससे लेबनान में "सैन्य कार्रवाई तुरंत बंद करने" की अपील करते हैं.
अख़बार ने लिखा है कि तुर्की का इसराइल के साथ राजनयिक संबंध है, लेकिन तुर्की ने ग़ज़ा में इसके आक्रमण की तीखी आलोचना की है. तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने एक्स पर कहा कि लेबनान में "नरसंहार" किया जा रहा है, हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर नसरल्लाह का ज़िक्र नहीं किया है.
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लंदन से प्रकाशित होने वाले अंग्रेज़ी अख़बार ‘द टेलिग्राफ़’ की एक ख़बर के मुताबिक़, सीरिया में कुछ लोगों ने हसन नसरल्लाह की मौत का जश्न मनाया है. अख़बार के मुताबिक़, शनिवार को उत्तर-पश्चिमी शहर इदलिब की सड़कों पर लोगों ने डांस किया.
"जैसे ही बेरूत में हिज़्बुल्लाह के मुख्यालय पर इसराइल के हमले की ख़बर विद्रोहियों के क़ब्ज़े वाले शहर में फैली, लोगों ने खुशी मनाई और तालियाँ बजाईं, जबकि वहां से गुज़रने वाले ड्राइवरों ने अपने हॉर्न बजाए."
सीरिया में साल 2011 में जंग शुरू होने के बाद से राष्ट्रपति बशर अल-असद के साथ संघर्ष में घिरे उत्तर-पश्चिमी इलाक़े में आसमान में आतिशबाज़ी की गई.
इस इलाक़े में नसरल्लाह को असद के एक प्रमुख सहयोगी के रूप में देखा जाता था. उन पर विरोधियों की क्रूर कार्रवाई में सहायता करने का आरोप था.
वहीं तुर्की के सरकारी मीडिया टीआरटी वर्ल्ड ने एक ख़बर प्रकाशित की है जिसका शीर्षक है- ‘हिज़्बुल्लाह पर इसराइली हमले का कुछ सीरियाई जश्न क्यों मना रहे हैं?’
टीआरटी अपनी ख़बर में लिखती है, “इदलिब क्षेत्र के कुछ सीरियाई लोगों ने सड़कों पर उतरकर हिज़्बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह के मारे जाने का जश्न मनाया. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में भीड़ सड़कों पर उतरी है.”
टीआरटी आगे लिखती है कि नसरल्लाह सीरिया में 2011 से शुरू हुए गृह युद्ध में सीरियाई शासन का मुख्य सहयोगी थे.
इस ख़बर में आगे है कि हिज़्बुल्लाह के दख़ल ने असद के सुरक्षाबलों को उन कई सीरियाई प्रांतों पर वापस क़ब्ज़ा करने में मदद की जिन पर विद्रोही गुटों का क़ब्ज़ा हो गया था.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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