Top News
Next Story
NewsPoint

1984 सिख दंगा मामले को लेकर कनाडा की ये पार्टी क्या कर रही है तैयारी, इसका असर क्या होगा?

Send Push
Getty Images एनडीपी सिख विरोधी दंगों को लेकर एक प्रस्ताव पेश करेगी. इस पार्टी के प्रमुख नेता जगमीत सिंह हैं. (फाइल फोटो)

नवंबर 1984 में हुए सिख विरोधी हिंसा की 40वीं वर्षगांठ के मौके पर कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के जारी बयान में कहा गया कि उनकी पार्टी इसे 'नरसंहार' के रूप में मान्यता देने के लिए एक प्रस्ताव पेश करेगी.

एनडीपी का ये बयान ऐसे समय में आया है जब भारत-कनाडा के बीच राजनयिक रिश्ते बेहद नाज़ुक दौर से गुज़र रहे हैं.

एनडीपी पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, "कनाडा की धरती पर सिखों के ख़िलाफ़ भारत सरकार के हिंसक अभियान ने 1984 के दौरान सिख नरसंहार में मारे गए लोगों की यादों को फिर से ताज़ा कर दिया है."

हालांकि, कई बार भारत सरकार ने कनाडा की धरती पर हिंसा के मामलों में शामिल होने के आरोपों को 'निराधार' बताया है.

image BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए

इससे पहले साल 2017 में कनाडा के ओंटारियो प्रांत की विधानसभा ने नवंबर 1984 में हुई सिख विरोधी हिंसा को नरसंहार के रूप में मान्यता देने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था.

भारत सरकार ने इस प्रस्ताव को ख़ारिज करते हुए कनाडा सरकार के साथ अपनी आपत्ति साझा की थी.

एनडीपी नेता जगमीत सिंह पहले भी अलग-अलग मौकों पर कनाडा में 'सिख नरसंहार' को मान्यता देने की बात कर चुके हैं. लेकिन भारत और कनाडा के मौजूदा तनाव के बीच उनके इस कदम का क्या असर होने वाला है?

हमने कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी (ओकानागन) में राजनीति विज्ञान के प्रोफ़ेसर एडम जोन्स से बात की. उन्होंने 'नरसंहार' विषय पर कई किताबें भी लिखी हैं.

ये भी पढ़ें-
कनाडा में 'सिख नरसंहार' प्रस्ताव पारित होने से क्या होगा? image Getty Images एनडीपी के नेता जगमीत सिंह का पक्ष जानने के लिए उन्हें आधिकारिक ईमेल किया गया, लेकिन उनकी तरफ़ से अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है.

एडम जोन्स बताते हैं कि हाउस ऑफ कॉमन्स में 'नरसंहार' के लिए प्रस्ताव पारित करना महज़ एक 'प्रतीकात्मक' कदम है.

"हाल ही में ऐसी मान्यता का एक उदाहरण संसद में सर्वसम्मति से लिया गया वो फ़ैसला है, जिसमें रेज़िडेंशियल स्कूल सिस्टम से जुड़े मामलों में कनाडा के मूल निवासियों के ख़िलाफ़ नरसंहार को मंज़ूर किया गया था."

वो कहते हैं, "बेशक, पिछले नरसंहारों को मानने का मतलब मौजूदा या भविष्य के नरसंहारों को रोकने की कोशिश नहीं है."

कानूनी पक्ष पर वे बताते हैं, "कनाडा में नरसंहार से इनकार करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ कोई कानून नहीं है, लेकिन अगर नरसंहार को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी जाती है तो नरसंहार को नहीं मानने वाले लोगों पर मुकदमा चलाया जा सकता है."

उनका कहना है, "ऐसी मांग का मकसद लोगों को उस समय के हालात के बारे में जागरूक करना भी हो सकता है."

बीबीसी ने जगमीत सिंह का पक्ष जानने के लिए उन्हें आधिकारिक ईमेल किया, लेकिन उनकी तरफ़ से अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है.

'नरसंहार' की अंतरराष्ट्रीय व्याख्या क्या कहती है? image Getty Images प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली और देश के दूसरे कुछ हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे.

1984 की सिख विरोधी हिंसा को 'नरसंहार' कहे जाने के सवाल पर एडम जोन्स ने 'नरसंहार' की अंतरराष्ट्रीय व्याख्या में शामिल पहलुओं की जानकारी दी.

वो बताते हैं कि "जो लोग 'नरसंहार' की परिभाषा के इस्तेमाल पर सवाल उठाते हैं, वे तर्क दे सकते हैं कि ये हिंसा केंद्र के निर्देश पर नहीं हुई थी, या मृतकों की संख्या 'नरसंहार' के स्तर तक नहीं पहुंची थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के 'नरसंहार कन्वेंशन' के तहत, ये ज़रूरी नहीं है कि किसी समूह को पूरी तरह या बड़े पैमाने पर खत्म किया जाए."

"केवल ये दिखाना ज़रूरी है कि उस समूह के सदस्यों को उनकी राष्ट्रीय, जातीय, नस्लीय या धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया गया."

इसका कनाडा और भारत पर क्या असर पड़ेगा?

इस सवाल के जवाब में एडम कहते हैं कि अगर कनाडा आधिकारिक तौर पर नवंबर 1984 की सिख विरोधी हिंसा को 'नरसंहार' के रूप में मान्यता देता है, तो मोदी सरकार इसे अपने ख़िलाफ़ एक 'भड़काऊ' कदम के रूप में देखेगी.

एडम बताते हैं, "कनाडा ने पहले भी भारतीय एजेंटों पर कनाडा में सिखों के ख़िलाफ़ हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाया है."

वे कहते हैं, "न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता एक सिख हैं, और इसलिए उनकी पार्टी का ये कदम खालिस्तानी सिखों के कनाडा की सरकार को अपने हितों के लिए इस्तेमाल करने जैसा है."

वे यह भी कहते हैं, "इस बात का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है कि इस तरह के कदम को कनाडा के लोग किस तरह से देखेंगे."

"मेरा मानना है कि कनाडा में सिखों के प्रति सहानुभूति तो है, लेकिन सिखों के अलावा बहुत कम कनाडाई लोग 1984 की घटना के बारे में जानते हैं."

वे बताते हैं, "मान्यता के इस कदम को कुछ लोग सिखों के तुष्टीकरण के रूप में भी देख सकते हैं."

जब ओंटारियो में प्रस्ताव पारित किया गया

साल 2017 में, कनाडा की ओंटारियो असेंबली ने भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई सिख विरोधी हिंसा को 'नरसंहार' के रूप में मान्यता देते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था.

यह प्रस्ताव एक निजी विधेयक के रूप में पेश किया गया था.

सीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जगमीत सिंह ने इस प्रस्ताव को 2016 में विधानसभा में पेश किया था, लेकिन उस समय यह पारित नहीं हो सका था.

image FB/VIRSA SINGH VALTOHA हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत और कनाडा के संबंध ख़राब हो गए हैं

अप्रैल 2017 में, , जब ओंटारियो में ये प्रस्ताव पास हुआ था, तो इसके बाद दोनों देशों के प्रतिनिधियों की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी, जहां इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी.

सीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, केवल ओंटारियो में ही इस तरह का प्रस्ताव पारित नहीं हुआ. अप्रैल 2015 में इससे संबंधित एक प्रस्ताव अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य की विधानसभा में भी पारित किया गया था.

, अक्टूबर 2024 में अमेरिकी कांग्रेस के चार सदस्यों ने 1984 की सिख विरोधी हिंसा को 'सिख नरसंहार 1984' के रूप में मान्यता देने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसे अमेरिका के विभिन्न संगठनों से समर्थन भी मिला.

भारत और कनाडा के बीच मौजूदा तनाव image Getty Images कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि हमारे नागरिक की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ था

जून 2023 में कनाडा में सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

सितंबर 2023 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा की संसद में बोलते हुए ये आरोप लगाया था कि कनाडा की धरती पर एक नागरिक की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ था.

अक्टूबर 2024 में, कनाडा द्वारा भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा को इस मामले में 'पर्सन ऑफ इंटरेस्ट' घोषित करने के बाद मामला और गरमा गया.

इसके बाद, रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस और जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि उनके पास कथित सिख विरोधी हिंसा में भारत के शामिल होने के 'विश्वसनीय सबूत' हैं.

वहीं, भारत ने कनाडा की सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए किसी भी सबूत की बात से इनकार किया है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां कर सकते हैं. आप हमें , , और पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

image
Explore more on Newspoint
Loving Newspoint? Download the app now