आज अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव है. जो भी सर्वे सामने आए हैं, उनके मुताबिक़ ये चुनाव इतना क़रीबी है कि एक चूक से डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस में से किसी को भी दो या तीन पॉइंट का फ़ायदा हो सकता है.
ये ट्रंप या हैरिस के आराम से चुनाव में जीत हासिल करने के लिए काफ़ी है.
अगर डोनाल्ड ट्रंप फिर से राष्ट्रपति चुनाव जीत जाते हैं तो अमेरिका के 130 साल के इतिहास में पहली बार होगा कि पिछली बार चुनाव में हारने वाला तत्कालीन राष्ट्रपति फिर से राष्ट्रपति बनेगा.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए ये भी पढ़ें-अर्थव्यवस्था अमेरिका के वोटरों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है. अमेरिका के लोगों का कहना है कि उन्हें हर रोज़ महंगाई का सामना करना पड़ रहा है.
1970 के दशक के बाद महंगाई इस स्तर पर पहुंच गई है कि ट्रंप को यह कहने का मौक़ा देती है, "क्या आप चार साल पहले की तुलना में अब बेहतर स्थिति में हैं?"
साल 2024 में दुनियाभर में वोटरों ने कई सत्ताधारी दल को सत्ता से बाहर किया है.
मतदाताओं ने ऐसा कोरोना काल के बाद रहने के लिए ख़र्च बढ़ने जैसे कारणों से किया है. ऐसा लग रहा है कि अमेरिकी मतदाता भी बदलाव चाहते हैं.
सिर्फ़ 26 प्रतिशत अमेरिकी ही देश जिस तरीके से आगे बढ़ रहा है, उससे संतुष्ट हैं.
हैरिस ने अपने आपको बदलाव के एक चेहरे के तौर पर पेश किया है लेकिन उन्हें उपराष्ट्रपति होने के कारण ऐसा करने में मुश्किल हो रही है.
2. डोनाल्ड ट्रंप पर कोई असर नहीं हुआतीन साल पहले यानी छह जनवरी 2021 को वॉशिंगटन के कैपिटल हिल में दंगा होना और आपराधिक मामलों में कटघरे में होने के बाद भी डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन इन सभी सालों में 40 प्रतिशत या इससे अधिक बना हुआ है.
डेमोक्रेट्स कहते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनने के लिए सही नहीं हैं. वहीं अधिकतर रिपब्लिकन ट्रंप की इस बात से सहमत हैं कि वो राजनीतिक बदले की भावना का शिकार हुए हैं.
ट्रंप को बस उन मतदाताओं के एक छोटे से हिस्से के वोट हासिल करने हैं जो कि अभी तक तय नहीं कर पाए हैं कि वो किसके साथ हैं.
3. डोनाल्ड ट्रंप की अवैध प्रवासियों पर सख़्तीअर्थव्यवस्था की स्थिति से परे चुनाव में जीत अक्सर भावनात्मक मुद्दे भी तय करते हैं.
जहाँ एक तरफ़ डेमोक्रेट्स को उम्मीद है कि ये भावनात्मक मुद्दा उसके लिए गर्भपात होगा तो वहीं ट्रंप ने इमिग्रेशन के मामले पर दांव लगाया है.
जो बाइडन के शासन में सीमा क्षेत्रों पर मुठभेड़ रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद सर्वेक्षणों में सामने आया है कि इमिग्रेशन के मुद्दे पर लोग अधिक विश्वास ट्रंप पर करते हैं.
4. डोनाल्ड ट्रंप की अपीलडोनाल्ड ट्रंप ने उन वोटरों से अपील की है जो कि भूला दिए गए हैं या अपने आप को पीछे छूटा हुआ महसूस कर रहे हैं.
ट्रंप 'स्विंग स्टेट्स' के ग्रामीण और सबअर्बन हिस्से में मत हासिल करते हैं तो ये कॉलेज से पढ़े हुए लोगों के वोट नहीं मिलने के नुकसान की संभावना की वो भरपाई कर सकते हैं.
अमेरिका में 'स्विंग स्टेट्स' वे राज्य हैं, जहाँ मतदाताओं की प्राथमिकता स्पष्ट नहीं होती और ये चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं.
Photo by Joe Raedle/Getty Images डोनाल्ड ट्रंप कहते हैं कि मेरे राष्ट्रपति रहते हुए दुनिया में कोई बड़ा युद्ध शुरू नहीं हुआ 5. डोनाल्ड ट्रंप का मज़बूत पक्ष क्या है?डोनाल्ड ट्रंप कब क्या कर देंगे किसी को नहीं पता. ट्रंप इसे अपना मज़बूत पक्ष मानते हैं. वो कहते हैं कि मेरे राष्ट्रपति रहते हुए दुनिया में कोई बड़ा युद्ध शुरू नहीं हुआ.
कई अमेरिकी अलग-अलग कारणों से ग़ुस्से में हैं. इसका कारण यूक्रेन और इसराइल को अरबों की मदद भेजना है. कई अमेरिकी सोचते हैं कि देश बाइडन की सरकार में कमज़ोर हुआ है.
अधिकतर मतदाता ख़ासकर पुरुष वोटर कमला हैरिस की तुलना में मज़बूत नेता मानते हैं.
1. कमला हैरिस डोनाल्ड ट्रंप नहीं हैं Kent Nishimura/Getty Images कमला हैरिस चुनाव प्रचार करते हुएडोनाल्ड ट्रंप के पास कई तरह की बढ़त होने के बाद भी उन्हें ध्रुवीकरण करने वाले शख्स के तौर पर जाना जाता है.
साल 2020 में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर ट्रंप को रिकॉर्ड संख्या में वोट मिले थे लेकिन वो हार गए. ऐसा इसलिए क्योंकि 70 लाख से अधिक अमेरिकी बाइडन के साथ गए.
इस बार हैरिस ने अपने लिए वोट मांगते हुए ट्रंप को फासीवादी बताया और कहा कि वो लोकतंत्र के लिए ख़तरा हैं.
समाचार एजेंसी के जुलाई में किए सर्वे में सामने आया था कि पांच में से चार अमेरिकी लोगों को लगता है कि स्थिति काबू से बाहर है.
वहीं हैरिस को उम्मीद है कि मतदाता उन्हें देश को स्थिर रखने वाले उम्मीदवार के तौर पर देखेंगे.
2. कमला हैरिस जो बाइडन भी नहीं हैं Anna Moneymaker/Getty Image जो बाइडन के राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ से बाहर होने के बाद कमला हैरिस डेमोक्रेट्स की उम्मीदवार हैंजो बाइडन के चुनावी रेस से बाहर होने पर माना जाने लगा कि डेमोक्रेट्स की हार निश्चित है लेकिन ट्रंप को हराने की चाहत ने डेमोक्रेट्स के लोगों को हैरिस के इर्द-गिर्द ला दिया है.
सर्वे में लगातार सामने आ रहा है कि मतदाता इस बात को लेकर चिंतित थे कि क्या बाइडन राष्ट्रपति बनने के लिए स्वस्थ हैं.
लेकिन अब पासा पलट गया है और ट्रंप राष्ट्रपति बनने की दौड़ में सबसे ज्यादा उम्र के शख्स बन गए हैं.
3. महिला अधिकारों की वकालत करती हैं कमला हैरिससुप्रीम कोर्ट के रो बनाम वेड फ़ैसले और गर्भपात को लेकर संवैधानिक अधिकार के निर्णय को पलटने के बाद ये अमेरिका में पहला राष्ट्रपति चुनाव है.
गर्भपात के मुद्दे को लेकर चिंतित मतदाता हैरिस का समर्थन करते हैं. साल 2022 में हुए मध्यावधि चुनाव से पता लगता है कि ये मुद्दा चुनावी परिणाम को प्रभावित कर सकता है.
हैरिस के पहली महिला राष्ट्रपति बनने की संभावना के कारण भी महिला वोटरों के बीच उनको बढ़त मिल सकती है.
4. हैरिस किसकी पसंदकॉलेज से पढ़े हुए लोग और वृद्ध लोगों के वोट डालने की अधिक संभावना है. ऐसा होता है तो हैरिस को बढ़त मिल सकती है.
वहीं ट्रंप को युवा पुरुष और बिना कॉलेज की डिग्री वाले लोगों से लाभ होता है जो कि बड़ी संख्या में वोट नहीं डालते.
न्यूयॉर्क टाइम्स /सिएना पोल के मुताबिक़ उदाहरण के तौर पर देखें तो साल 2020 में ट्रंप को उन लोगों के बीच में बढ़त मिली जो कि वोट करने के योग्य हैं लेकिन किया नहीं.
ऐसे में सवाल है कि क्या इस बार ये लोग वोट डालने के लिए आएंगे या नहीं.
5. कमला हैरिस अधिक खर्च कर रहींये कोई छिपी हुई बात नहीं है कि अमेरिकी चुनाव महंगा होता है. 2024 का चुनाव अब तक का सबसे महंगा चुनाव हो सकता है.
फाइनेंशियल टाइम्स के हाल के विश्लेषण के अनुसार, हैरिस चुनाव में खर्च करने में शीर्ष पर हैं. हैरिस के चुनावी प्रचार में ट्रंप के चुनावी प्रचार से दोगुना ख़र्च हुआ है.
ये करीबी चुनावी मुकाबले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. स्विंग स्टेट्स के वोटर चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं. स्विंग स्टेट्स में राजनीतिक विज्ञापन की भरमार है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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