Top News
Next Story
NewsPoint

नेपाल का बांग्लादेश को बिजली बेचने वाला समझौता क्या भारत के लिए है मौक़ा?

Send Push
RSS भारत, बांग्लादेश और नेपाल के अधिकारी बिजली समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए

नेपाल, भारत और बांग्लादेश के अधिकारियों ने हाल ही में एक समझौता किया. इसके तहत नेपाल में बनी 40 टन बिजली बांग्लादेश को बेची जाएगी.

इस समझौते के बाद अधिकारियों ने कहा कि इससे दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय ऊर्जा व्यापार का दरवाजा खुल जाएगा. यह समझौता इस साल से लागू होगा.

नेपाल में पिछले सप्ताह के आख़िर में भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से बिजली के बुनियादी ढांचे को व्यापक नुकसान होने की खबरों के बीच तीनों देशों के अधिकारियों ने इस बहुप्रतीक्षित समझौते पर हस्ताक्षर किए.

जिन अधिकारियों ने शुरू में कहा था कि राष्ट्रीय ट्रांसमिशन लाइन में लगभग 1,000 मेगावाट बिजली का नुकसान हुआ है. उन्होंने अब बताया है कि कई परियोजनाओं का संचालन शुरू हो गया है.

image BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ करें

बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल से पहले तीनों देशों के अधिकारी समझौते पर हस्ताक्षर करने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन वहां बदले राजनीतिक हालात से इसमें देरी हुई.

बांग्लादेश की पर्यावरण, वन और जलवायु विभाग की सलाहकार सैयदा रिजवाना हसन ने भी नेपाल के नेपाल विद्युत प्राधिकरण, भारत के एनपीटीसी विद्युत व्यापार निगम और बांग्लादेश के बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड के बीच इस समझौते के हस्ताक्षर समारोह में हिस्सा लिया.

image NEPAL PMO बांग्लादेश की पर्यावरण,वन और जलवायु विभाग की सलाहकार सैयदा रिजवाना हसन नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के साथ एक ऐतिहासिक समझौता

अधिकारी इस आयोजन को एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश कर रहे हैं कि जल संसाधनों के मामले में अपार संभावनाओं वाले देश के रूप में पेश किए जाने वाला नेपाल भारत के अलावा किसी तीसरे देश के साथ बिजली व्यापार के समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला है.

ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव और प्रवक्ता चिरंजीवी चटौतले ने बीबीसी से कहा, ''पहले हम भारत से (बिजली) लेना चाहते थे. लेकिन अब हम दोहरा कारोबार कर रहे हैं. यानी जब चाहें तब लें और जब चाहें तब दें. इस समझौते के कारण हमारी बिजली तीसरे देशों तक भी पहुंचती है. यह एक बड़ी उपलब्धि है.’’

उन्होंने क्षेत्रीय बिजली व्यापार को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धताओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि त्रिपक्षीय समझौते को इसके एक हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए.

वह कहते हैं, ''हम क्षेत्रीय ग्रिड बनाने और क्षेत्रीय कारोबार करने के बारे में बात कर रहे हैं. इसे उस दिशा में एक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए. पहले ये दो देशों के बीच था और अब तीन देशों के बीच हो रहा है.

''उस लिहाज से यह अहम है. हालाँकि अभी इसके नतीजे कम दिखे हैं. लेकिन आने वाले दिनों में हमारा उत्पादन बढ़ने वाला है. ट्रांसमिशन लाइन जोड़ने का काम भी किया जा रहा है.''

बुधवार को नेपाल और बांग्लादेश के ऊर्जा सचिव स्तर की बैठक हुई जिसमें त्रिपक्षीय बिजली व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने का फैसला किया गया.

image RSS बांग्लादेश सरकार की सलाहकार रिजवाना ने नेपाल के ऊर्जा मंत्री से भी मुलाकात की समझौते के फ़ायदे

पांच साल की अवधि के इस समझौते के तहत नेपाल मुख्य रूप से 15 जून से 15 नवंबर की अवधि के दौरान बांग्लादेश को बिजली बेचेगा.

नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व कार्यकारी निदेशक हितेंद्रदेव शाक्यले ने कहा कि हालांकि नेपाल में बिजली उत्पादन की मौजूदा स्थिति बांग्लादेश को बिजली देने लायक नहीं है. लेकिन इस स्थिति को बदला जाना चाहिए. बांग्लादेश को बिजली देना नेपाल की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.

वह कहते हैं, ''पहली बात तो यह कि बांग्लादेश में बिजली दर भारत से ज़्यादा है. दूसरा, विदेशी मुद्रा का मामला भी है. बांग्लादेश हमारा दूसरा बाज़ार बन गया है. भले ही हम भारत को बिजली ना दें लेकिन हमें बांग्लादेश को बिजली देनी चाहिए.''

ये बताते हुए कि इस साल बांग्लादेश को बिजली बेचने के लिए केवल 45 दिन बचे हैं, उन्होंने कहा, "हम केवल नवंबर के अंत तक आपूर्ति कर सकते हैं. उस समय हमें भारत को आपूर्ति की जाने वाली बिजली में कटौती करनी होगी. नवंबर के अंत में तो नेपाल में भी मुश्किल हो जाती है. बांग्लादेश को हम 24 घंटे बिजली देने का समझौता कर रहे हैं. बांग्लादेश को 24 घंटे के लिए भले ही हमें भारत से बिजली खरीदनी पड़े लेकिन हम उसे बिजली देंगे.

नदी प्रणालियों पर आधारित जलविद्युत परियोजनाओं के कारण, शुष्क मौसम के दौरान नेपाल में बिजली उत्पादन बढ़ जाता है.

लेकिन सर्दी शुरू होते ही उत्पादन कम हो जाता है और नेपाल अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत से बिजली खरीदता है.

image K P OLI संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर एक मुलाकात के दौरान नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद युनूस नेपाल को कितनी आय होगी

चिरंजीवी चटौतले के मुताबिक़, भारतीय ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करके नेपाल से बांग्लादेश तक बिजली पहुंचेगी और इसके लिए भारत के एनटीपीटीसी इलेक्ट्रिसिटी ट्रेडिंग कॉरपोरेशन को एक निश्चित शुल्क देना होगा.

उन्होंने कहा, ''दरें निर्धारित कर दी गई हैं. ट्रांसमिशन लाइन के लिए शुल्क देना होगा. हम ढालकेवर से मुज़फ्फ़रपुर (भारत) ट्रांसमिशन लाइन से बिजली भेजते हैं जो बांग्लादेश तक पहुंचती है.

नेपाल द्वारा मुज़फ्फ़रपुर से निर्यात की जाने वाली बिजली बहरामपुर के रास्ते बांग्लादेश पहुंचती है.

इससे पहले नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के प्रवक्ता ने कहा था कि नेपाल जो बिजली बांग्लादेश को बेचने जा रहा है उसकी कीमत 6.4 अमेरिकी सेंट प्रति यूनिट तय की गई है. यानी मौजूदा विनिमय दर के मुताबिक 8 रुपये 62 पैसे प्रति यूनिट.

अधिकारियों ने कहा कि बांग्लादेश को बिजली बेचकर नेपाल हर साल दो अरब रुपये तक कमा सकता है.

पिछले वित्त वर्ष के दौरान नेपाल ने भारत को बिजली बेचकर 16.73 अरब रुपये कमाए थे. उस दौरान नेपाल ने भारत से 17.84 अरब रुपये की बिजली खरीदी थी.

नेपाल सर्दियों के दौरान भारत को बिजली बेचता रहा है. पिछले महीने डेढ़ अरब रुपये की बिजली बेचने वाले नेपाल ने बांग्लादेश से 40 करोड़ रुपये की बिजली खरीदी.

image NEPAL PMO नेपाल पहली बार भारत के अलावा अन्य देशों को बिजली की आपूर्ति करने जा रहा है बिजली का निर्यात कब किया जाएगा?

नेपाल विद्युत प्राधिकरण के प्रवक्ता चंदन कुमार घोष के अनुसार बांग्लादेश को बिजली निर्यात करने में तत्काल कोई बाधा नहीं है.

उन्होंने कहा,''जिन मार्गों से इसे भेजा जाएगा उनमें कोई बाधा नहीं है. बाढ़ और भूस्खलन के कारण क्षतिग्रस्त हुई कई जलविद्युत परियोजनाओं को भी फिर से चालू कर दिया गया है.’’

उन्होंने कहा कि 456 मेगावाट के ऊपरी तमाकोशी और काबेली कॉरिडोर के कुछ बुनियादी ढांचे अभी भी क्षतिग्रस्त हैं.

लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि इससे बांग्लादेश को बिजली की बिक्री में कोई बाधा नहीं आएगी.

उन्होंने कहा,"वाणिज्यिक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद, हम उस तारीख की घोषणा करेंगे, जिससे हम बांग्लादेश को बिजली का निर्यात शुरू करेंगे."

image EPA बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना और पीएम मोदी बांग्लादेश-भारत संबंधों पर हालिया स्थिति का असर

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में तीनों देशों के अधिकारियों ने त्रिपक्षीय बिजली व्यापार के खाके को अंतिम रूप दिया था.

हसीना ने पिछले साल अगस्त में छात्र आंदोलन के हिंसक होने पर अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था और भारत में शरण ले ले थी

पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र की महासभा की बैठक में हिस्सा लेने गए भारत के प्रधानमंत्री और बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद युनूस ने मुलाकात नहीं की थी.

यूनुस और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की मुलाक़ात हुई और फिर मोदी और ओली की भी मुलाक़ात हुई.

बांग्लादेश में कई लोग इस बात से नाखुश हैं कि अतीत में शेख़ हसीना की सरकार के साथ करीबी रिश्ते रखने वाला भारत फिलहाल हसीना को शरण दे रहा है.

कुछ लोगों का मानना है कि भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में उतार-चढ़ाव का असर बिजली व्यापार समझौते के क्रियान्वयन पर पड़ेगा.

image EPA कूटनीतिक लाभ का अवसर

लेकिन नेपाल के ऊर्जा मंत्रालय के चिरंजीवी चटौतले का कहना है कि चूंकि तीनों देशों के अधिकारियों ने समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, इसलिए ये अच्छे तरीके से लागू होगा.

उन्होंने कहा, "एक बार समझौता हो जाने और कुछ औपचारिक प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद इसे लागू किया जाएगा."

नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व कार्यकारी निदेशक शाक्यवले का भी मानना है कि भारत त्रिपक्षीय बिजली व्यापार को एक राजनयिक माध्यम के रूप में उपयोग करेगा लेकिन इसके कार्यान्वयन में कोई बाधा नहीं डालेगा.

उन्होंने कहा, ''वर्ष 2018-2019 में भारत की नीति थी कि जब भारत के बिहार और उत्तर प्रदेश राज्यों के कुछ हिस्सों में लोड शेडिंग हो तब भी नेपाल को उतनी बिजली उपलब्ध कराई जाए जितनी उसे ज़रूरत है. 2015 में जब मैं इलेक्ट्रिकल बिजनेस के लिए गया था, तब भी उन्होंने मुझसे पहले ऐसे निर्देश दिये थे. यह कूटनीति और रणनीति दोनों है.”

इस तथ्य के संबंध में कि नेपाल वर्तमान में भारत को काफी बिजली बेच रहा है, शाक्यवले जैसे कुछ पूर्व अधिकारियों का मानना है कि भारत अपनी बिजली बांग्लादेश को भी बेचने की अनुमति देकर राजनयिक लाभ हासिल करने की कोशिश कर रहा है.

उन्होंने कहा, '' हालांकि भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं, लेकिन मुझे लगता है कि भारत अब नेपाल की बिजली को बांग्लादेश जाने की इजाजत दे रहा है. इसे मुश्किल नहीं बनाया जाना चाहिए और अगर ऐसा किया गया तो यह भारत की गलत नीति होगी.''

इस बीच ये कहा जा रहा है कि नवंबर में होने वाले बिम्सटेक देशों के शिखर सम्मेलन के मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार यूनुस के बीच चर्चा हो सकती है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां कर सकते हैं. आप हमें , , , और पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

image
Explore more on Newspoint
Loving Newspoint? Download the app now