बांग्लादेश में शेख़ हसीना के जाने के बाद से कई ऐसी चीज़ें हो रही हैं, जो भारत के लिहाज़ से ठीक नहीं माना जा रहा है.
बीते बुधवार को पाकिस्तान का एक मालवाहक पोत कराची से चलकर बांग्लादेश के दक्षिणपूर्वी तट पर स्थित चटगांव बंदरगाह पर पहुँचा.
1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच यह पहला समुद्री संपर्क हुआ है. इससे पहले दोनों देशों के बीच समुद्री व्यापार सिंगापुर या कोलंबो के ज़रिए होता था.
बांग्लादेश में पाकिस्तान के उच्चायोग ने एक बयान में , “पहली बार है कि पाकिस्तान के कराची से बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर कार्गो पोत सीधे पहुँचा है और यह द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण क़दम की शुरुआत है."
बयान के अनुसार, "यह नया रूट सप्लाई चेन को और आसान बनाएगा, परिवहन के समय में कमी लाएगा और दोनों देशों के लिए व्यवसाय के लिए नए अवसरों के दरवाज़े खोलेगा.”
ANI पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस की बीते सितंबर में न्यूयॉर्क में मुलाक़ात हुई थीअसल में, यह सीधा समुद्री संपर्क पाकिस्तान और बांग्लादेश के पारंपरिक जटिल राजनयिक रिश्तों में एक ऐतिहासिक बदलाव को रेखांकित करता है.
साथ ही भारत के साथ दोस्ताना रही शेख़ हसीना सरकार के सत्ता से बेदख़ल होने के बाद बांग्लादेश में सत्ता में आई मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली नई अंतरिम सरकार में पाकिस्तान से रिश्तों में गर्माहट का भी संकेत है.
लेकिन ताज़ा ख़बर ने भारत में चिंता पैदा कर दी है. हसीना की बेदख़ली के बाद से बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते पहले ही निम्नतम स्तर पर पहुँच गए हैं.
शेख़ हसीना के सत्ता से हटने के बाद इस्लामाबाद और ढाका दोनों ने आपसी रिश्तों में सुधार लाने की बात कही है.
इसी साल सितंबर महीने में न्यूयॉर्क में हुई संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के बीच मुलाक़ात हुई और दोनों देशों के बीच "द्वीपक्षीय सहयोग को फिर से ज़िंदा" करने पर ज़ोर दिया गया.
न्यूयॉर्क में यूनुस ने कहा था, “अपने संबंधों को फिर से ज़िंदा करना बहुत ज़रूरी है.”
साथ ही उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने के लिए दोनों देशों के रिश्ते में “एक नया अध्याय शुरू” करने की बात कही थी.
यह हसीना प्रशासन में जारी नीतियों से उलट एक महत्वपूर्ण बदलाव था.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक ख़बर के अनुसार, अगस्त 2022 में बांग्लादेश सरकार ने चीन निर्मित फ्रिगेट युद्धपोत पीएनएस तैमूर को चटगांव बंदरगाह पर डॉक करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था.
इस युद्धपोत को कंबोडिया और मलेशिया की नेवी के साथ एक नौसेना अभ्यास के बाद आख़िरकार श्रीलंका के बंदरगाह पर डॉक किया गया था.
सैन्य अभ्यास के बाद पाकिस्तान जा रहे इस युद्धपोत को जब बांग्लादेश सरकार ने चटगांव बंदरगाह पर डॉक करने की अनुमति नहीं दी थी तो श्रीलंका ने कोलंबो पोर्ट पर इसके आने की इजाज़त दी.
पाकिस्तान में एक नौसैनिक अभ्यास अमन 2025 होने वाला है और बांग्लादेश ने पहले ही इसमें शामिल होने की पुष्टि कर दी है.
यह दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को भी रेखांकित करता है.
भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने एक पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल से बातचीत में स्वीकार किया कि जब इसी साल पांच अगस्त को बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन हुआ तो यह पाकिस्तान के लिए मौक़ा था क्योंकि शेख हसीना पूरी तरह से भारत के साथ थीं.
बांग्लादेश के साथ पाकिस्तान के कड़वे रिश्ते के लिए शेख़ हसीना को ज़िम्मेदार ठहराते हुए बासित ने , “शेख़ हसीना भारत के हाथों में खेल रही थीं. उनका कुछ एजेंडा था, जिसे लेकर वो आगे बढ़ रही थीं.”
पाकिस्तान के कराची से पहला कार्गो बांग्लादेश के चटगाँव पहुँचने को अब्दुल बासित काफ़ी अहम मानते हैं.
बासित ने कहा, ''पहली बार ऐसा हुआ है कि पाकिस्तानी मालवाहक पोत सीधे चटगांव पहुंचा है. इससे पहले दोनों देशों के बीच जो भी व्यापार होता था, वो सिंगापुर और श्रीलंका के रास्ते होता था. इससे भारत में कोहराम मच गया है. बांग्लादेश में जो नेतृत्व है, वो अब बहुत खुले विचारों का है. ऐसा नहीं कि वो भारत से रिश्ते बढ़ाने के ख़िलाफ़ है लेकिन उन्होंने अपने विकल्प खुले रखे हैं और पाकिस्तान के साथ ताल्लुकात क्यों न बढ़ाएं.
उन्होंने कहा, “अब अगला क़दम ये होगा कि व्यापार और उद्योग जगत के संगठन भी एक दूसरे के यहां जाएंगे और हो सकता है कि अगले साल तक विदेश सचिवों के स्तर पर दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हो.”
उन्होंने कहा, “शेख़ हसीना के जाने से पाकिस्तान को एक मौक़ा मिला है क्योंकि पाकिस्तान-बांग्लादेश के रिश्तों को देखने का शेख़ हसीना का जो एक अलग नज़रिया था, उससे हमारी जान छूटी. उनका नज़रिया पाकिस्तान के प्रति पूर्वाग्रह से भरा था. वो अतीत से निकल नहीं पा रही थीं.”
अब्दुल बासित ने कहा, “अब हमारे सामने एक मौक़ा है, जिसका हमें दोनों ही मुल्कों के फ़ायदे के लिए सही तरह से इस्तेमाल करना चाहिए.”
पाकिस्तान ने व्यापार के आलावा भी अन्य क्षेत्रों में सहयोग के लिए भी कदम उठाए हैं.
बांग्लादेश नागरिकों के लिए पाकिस्तान ने तत्काल फ़्री वीज़ा सुविधा की शुरुआत की है.
बांग्लादेश में पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैयद अहम मारूफ़ ने छह नवंबर को था, “बांग्लादेशी नागरिकों के लिए पाकिस्तान में फ़्री वीज़ा दिया जाएगा और 48 घंटों में इस पर फ़ैसला होगा. एक वेबसाइट पर सिर्फ़ जानकारी देनी होगी. वीज़ा की दो श्रेणियां हैं, बिज़नेस और टूरिस्ट वीज़ा. यात्रा करने वालों को सिर्फ़ वापसी का टिकट और जहाँ रुकना चाहते हैं, वहाँ की जानकारी देनी होगी.”
पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच 2023 में द्वीपक्षीय व्यापार 80 करोड़ डॉलर के क़रीब था.
पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों में आए इस ऐतिहासिक बदलाव को लेकर भारत में चिंता जाताई जा रही है.
कोलकाता से प्रकाशित होने वाले अंग्रेज़ी दैनिक द टेलिग्राफ़ से एक एक्सपर्ट ने , “चटगांव और मोंगला बांग्लादेश के दो बड़े बंदरगाह हैं और ये दोनों ही पाकिस्तान के लिए पांच दशक से दूर रहे. इससे पहले दोनों देशों के बीच समुद्री संपर्क वाया कोलंबो और श्रीलंका होता था. अब पाकिस्तानी पोत सीधे चटगांव पहुंचेंगे. प्रतिबंधित सामनों के बांग्लादेश में जाने और भारत में अलगाववादी ग्रुपों के हाथ में पहुंचने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.”
इस एक्सपर्ट ने 2004 में चटगांव में अवैध खेप बरामद किए जाने का ज़िक्र किया.
साल 2001 से 2006 के बीच ख़ालिदा जिया के नेतृत्व वाली बीएनपी सरकार के बांग्लादेश के सत्ता में रहने के दौरान जिन घटनाओं ने सरकार के लिए परेशानी पैदा की थी, उनमें दस ट्रक हथियारों की बरामदगी सबसे प्रमुख थी.
एक अप्रैल 2004 को बांग्लादेश के इतिहास में हथियारों और गोला-बारूद की सबसे बड़ी खेप जब्त की गई थी.
इन हथियारों को दो बड़े ट्रालरों के ज़रिए समुद्री रास्ते से चटगांव स्थित यूरिया फर्टिलाइजर या सीयूएफएल जेटी पर ले आया गया था.
एक्सपर्ट का मानना है कि हथियारों के विशाल जखीरे की बरामदगी ने भारत के साथ तत्कालीन बीएनपी सरकार के संबंधों में खटास की शुरुआत की थी.
बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ते रिश्ते को भारत आशंका की नज़र से इसलिए भी देख रहा है कि एक लंबे समय बाद यह दक्षिण एशिया में भूराजनीतिक समीकरण पर असर डाल सकता है.
अंग्रेज़ी अख़बार टेलिग्राफ़ को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े एक सूत्र ने कहा, “पिछले साल जब भारत को मोंगला पोर्ट के संचालन का अधिकार मिला तो यह भारत के लिए चीन पर एक रणनीतिक बढ़त थी, लेकिन अब पाकिस्तान की पहुंच चटगांव पोर्ट तक हो गई है. अब दोनों पोर्टों के समुद्री चैनल पाकिस्तानी पोतों को इजाज़त देंगे. इसका क्षेत्रीय भूराजनीति पर असर होना लाज़िमी है क्योंकि चटगांव म्यांमार के पास है.”
असल में भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पूर्वोत्तर के विद्रोही समूहों के म्यांमार में शरण लेने को लेकर सशंकित रही हैं और ये भी आशंका बनी रही है कि उन्हें हथियार इसी रास्ते मिलते हैं.
पहले बांग्लादेश की कट्टरपंथी पार्टी जमात ए इस्लामी से प्रतिबंध हटाए जाने और अब बांग्लादेश के संविधान से धर्मनिरपेक्षता शब्द हटाए जाने की ख़बरों ने भी भारत की चिंता को बढ़ाया है.
भारत के जाने-माने रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में है, “बांग्लादेश में मिलिटरी-मुल्ला शासन के तहत, जिसमें यूनुस नाममात्र के मुखिया की भूमिका निभा रहे हैं, यह देश हिंसक इस्लामवादियों का गढ़ बन गया है. अब अटॉर्नी जनरल ने हाई कोर्ट से कहा है कि संविधान में धर्मनिरपेक्षता शब्द हटाया जाना चाहिए.”
उन्होंने लिखा, “बांग्लादेश की बहुलतावादी और समन्वयवादी परंपराओं को ख़त्म करने के लिए बिना चुने हुए शासन की कोशिशों को देखते हुए अटॉर्नी जनरल ने तर्क दिया कि "धर्मनिरपेक्षता उस देश की वास्तविकताओं से मेल नहीं खाती जहां 90% आबादी मुस्लिम है."
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है कि बांग्लादेश में पाकिस्तान से मधुर संबंध रखने वाली सरकार है.
16 सालों तक सैनिक तानाशाह और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेतृत्व वाली सरकारें भी पाकिस्तान के साथ दोस्ताना रिश्ते रखती थीं.
हालांकि इन सालों में भारत के साथ बांग्लादेश के रिश्ते मज़बूत होते गए, ख़ासकर 1996 से 2001 और फिर 2009 से 2024 के बीच हसीना के प्रधानमंत्री कार्यकाल में.
हसीना के 15 सालों के शासन के दौरान बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते बहुत क़रीबी वाले रहे और द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग में भी काफ़ी उछाल आया. दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में व्यापक सहयोग हुआ.
दक्षिण एशिया में बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और इनके बीच द्वीपक्षीय व्यापार लगभग 16 अरब डॉलर का है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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