जैसे ही गाड़ियों का काफ़िला रैली स्थल पर पहुंचा, होस्ट ने वहां मौजूद भीड़ से जोशीले अंदाज़ में कहा, "ये हैं हमारी प्रिय प्रियंका गांधी. उन्हें आशीर्वाद दें और जीत का तिलक लगाएं."
होस्ट के जोशीले आह्वान का भीड़ की ओर से भी उसी जोश में जवाब आता है, जो वहां प्रियंका गांधी के पहुंचने का डेढ़ घंटे से इंतज़ार कर रही है. यहां आए पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के चेहरे पर उत्साह साफ़ झलक रहा है.
वायनाड लोकसभा क्षेत्र में कुवामान्नम, थाडियोर, कालपेट्टा में छोटी-सी मुख्य सड़क खचाखच भरी हुई है और इसके बीच से काफिला जैसे-जैसे आगे बढ़ता है, लोग अपने फ़ोन से तस्वीर लेने की होड़ में लग जाते हैं.
जैसे ही प्रियंका गांधी मुस्कुराती हुई मंच पर आती हैं, भीड़ में एक किस्म का शोर उठता है. यह शोर, उससे अलग नहीं था, जब 1978 में इंदिरा गांधी चिकमगलूर लोकसभा से उपचुनाव लड़ रही थीं या जब 1999 में सोनिया गांधी बेल्लारी से चुनाव लड़ रही थीं और प्रियंका गांधी अपनी मां के लिए चुनाव प्रचार कर रही थीं.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए करेंप्रियंका गांधी के भाई राहुल गांधी ने मनांथावाडी के गांधी पार्क में एक जनसभा में कहा था, "मेरी बहन ने इन सालों में मेरी मां, मेरे पिता और मेरे लिए चुनाव प्रचार किया है. यह पहली बार है जब वो खुद चुनाव लड़ रही हैं."
चुनावी सफ़र की शुरुआतअपनी दादी और मां की तरह ही प्रियंका गांधी ने लंबा इंतज़ार करने के लिए लोगों का शुक्रिया अदा किया.
लेकिन अपनी दादी और मां से उलट, उन्होंने देर से पहुंचने का कारण भी बताया. उन्होंने कहा कि रास्ते में इंतज़ार कर रहे लोगों से मिलने के लिए उन्हें कई जगह रुकना पड़ा था.
उन्होंने कहा, "मैं अपने भाषण की शुरुआत आपको ये बताते हुए करना चाहती हूं कि मैं आप लोगों का बहुत आभारी हूं क्योंकि आप मेरे भाई के साथ उस समय खड़े हुए जब वो अपनी ज़िंदगी के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे थे."
"चुनाव प्रचार के उस चरम पर अधिकांश लोगों ने मेरे भाई से पीठ फेर लिया, तब आप लोग थे. वायनाड की मेरी बहनें और भाई थे जो उनके साथ खड़े हुए. आपने उन्हें अपना प्यार दिया, अपनी ताक़त दी और इस देश के लिए जो कुछ सही है उसकी लड़ाई में उनका साथ दिया."
उनकी इस बात पर भीड़ ने बहुत उत्साह के साथ प्रतिक्रिया दी.
CV Lenin प्रियंका गांधी वायनाड में हुए भीषण भूस्खलन का ज़िक्र कर मतदाताओं के दिल तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं.प्रियंका गांधी ने वायनाड के लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया. अपने पांच दिवसीय प्रचार अभियान के दौरान हर जनसभा में प्रियंका गांधी ने अपनी इस भावना को अलग-अलग तरह से व्यक्त किया.
साथ ही उन्होंने सीधे शब्दों में लोगों को अपना संदेश दिया. उन्होंने वायनाड के मतदाताओं की तारीफ़ की और बिल्कुल अलग अंदाज़ में.
उन्होंने कहा, "मैं देख सकती हूं कि आप किस चीज़ के साथ खड़े हैं. मैं यहां एक कैथोलिक बहन को देख सकती हूं, उनके पास खड़ी एक मुस्लिम महिला को देख सकती हूं और उनके आगे एक हिंदू महिला हैं. मैं जानती हूं जिस तरह आप मुस्करा रही हैं आप बहनों जैसी हैं. जिस दोस्ताना भाव के साथ आप खड़े हैं, आप सब इस खूबसूरत भारत की तस्वीर को दिखाती हैं."
प्रियंका गांधी ने वायनाड में हुए भयानक भूस्खलन का ज़िक्र करते हुए मतदाताओं के दिल के तार को छुआ. लेकिन उन्होंने बिना नाम लिए राजनीतिक संदेश भी दिया.
उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार ने अभी तक फ़ंड जारी नहीं किया. आप इस तरह की उन लोगों की बेरहम राजनीति के रहम पर नहीं रह सकते... जो मदद करने से पहले ये देखते हैं कि आपकी राजनीति क्या है?"
उन्होंने कहा, "मैं आपके घर आना और आपसे बात करना चाहती हूं.... समझना चाहती हूं कि आपकी क्या ज़रूरतें हैं जिन्हें पूरा किए जाने की ज़रूरत है...." जब तक अनुवादक पूरी बात बताता, तब तक भीड़ का शोर गूंजने लगता है.
कालपेट्टा जनसभा में राहुल गांधी ने प्रियंका के बारे में ज़ोर देकर कहा, "वह आपकी किसी भी समस्या को अनदेखा नहीं रहने देंगी."
प्रियंका गांधी की दादी के प्रति जो लोगों में पसंद थी, उसी तरह लोग प्रियंका के आने तक सड़क के दोनों ओर क़तार लगाकर खड़े रहे.
प्रियंका गांधी ने यहां भी देर से आने के लिए माफ़ी मांगी. वो यहां दो घंटे की देरी से पहुंची थीं. उन्होंने बताया कि वो किसानों के परिवारों से मिलने गई थीं जिन्होंने अपनी समस्याओं के बारे में उन्हें बताया.
अरनाड के अरीकोडे ब्लॉक में किझिसेरी कस्बे में जब प्रियंका गांधी से वायनाड और रायबरेली के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बीबीसी हिंदी से कहा, "इसके बारे में आपको मेरे भाई से पूछना पड़ेगा... हमारे लिए दोनों एक जैसे हैं... हम दोनों चुनाव क्षेत्रों के लोगों से मोहब्बत करते हैं... हम उनके प्रति उतनी ही ज़िम्मेदारी महसूस करते हैं. दोनों क्यों नहीं? इससे कोई नहीं पड़ता. ये एक-दूसरे से अलग नहीं हैं."
मनांथावाडी के गांधी पार्क में राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा, "आख़िरकार वायनाड देश का इकलौता ऐसा चुनाव क्षेत्र बनने जा रहा है, जहाँ के दो सांसद होंगे. एक आधिकारिक सांसद और दूसरा गै़र-आधिकारिक सांसद."
इन शब्दों के साथ समाप्त हुए उनके भाषण के बाद भीड़ देर तक ताली बजाती रही.
लेकिन उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (सीपीआई) के सत्यन मोकेरी और बीजेपी की नव्या हरिदास के पास भाई बहन दोनों की आलोचना के लिए कई सारे मुद्दे हैं.
सत्यन मोकेरी ने सबसे पहले निशाना साधा कि प्रियंका भी वहीं करेंगी जो उनके भाई राहुल ने किया. वो भी इस सीट को खाली कर देंगी.
BBCआरीकोडे ब्लॉक में चुनाव प्रचार के दौरान सत्येन मोकेरी ने बीबीसी से कहा, "हां, मैंने ये कहा था. वे आएंगे और चले जाएंगे. लेकिन में यहां लोगों के साथ रहूंगा."
सीपीआई उम्मीदवार माकेरी को अपना प्रदर्शन 2014 लोकसभा चुनाव के मुक़ाबले बेहतर होने की उम्मीद है. उस वक्त वो कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार से क़रीब 20,000 वोटों से हार गए थे.
एक जनसभा को संबोधित करते हुए वो अपने प्रचार वाहन से बार-बार उतर कर लोगों से मिल रहे थे, वो एक मस्जिद पर भी रुके.
जबकि सॉफ़्टवेयर इंजीनियर का काम छोड़ राजनीति में आई बीजेपी की उम्मीदवार नव्या हरिदास ने क्षेत्र में प्रचार करते हुए एक और मुद्दे को लेकर राहुल गांधी पर निशाना साधा.
उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने इसी साल हुए लोकसभा चुनावों के दौरान राहुल गांधी के ख़िलाफ़ 1.41 लाख वोट हासिल किये था.
नव्या हरिदास ने बीबीसी हिंदी से कहा, "लोगों का विश्वास उनसे उठ चुका है क्योंकि 2024 में राहुल गांधी ने उनसे कई वादे किए थे...उन्होंने कहा था कि पांच साल तक वो लोगों की समस्याओं को सुलझाएंगे और फिर उन्होंने वायनाड के लोगों को धोखा दिया. तो मूड कुछ ऐसा है कि लोग मानते हैं कि अगर प्रियंका गांधी चुनी जाती हैं, तो वैसा ही कुछ होगा."
लेकिन प्रतिद्वंद्वियों की आलोचना पर प्रियंका गांधी ध्यान नहीं देना चाहतीं.
उन्होंने बीबीसी के कहा, "अरे...पहले मुझे आने तो दीजिए... पहले मेरा व्यवहार देखिए तब उस पर टिप्पणी करें. जब मैं लोकसभा की सदस्य ही नहीं बनी हूं, अभी तक प्रतिनिधि नहीं बनी तो ये सब बातें करने का क्या फ़ायदा...पहले देखें कि मैं क्या करती हूं."
सबसे बड़ा मुद्दा, जो वायनाड के मतदाताओं को परेशान करता है, वो है ज़िले में किसी बड़े अस्पताल का न होना. यहां एक मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बनाए जाने की मांग बहुत पहले से हो रही है.
थाम्मासेरी माउंटेन पास पर हर आधे घंटे में एंबुलेंस की सायरन सुनाई देती है. गंभीर रूप से बीमार लोगों को विशेष इलाज के लिए कोझिकोड़ ले जाना पड़ता है.
धन्या उन्नीकृष्णन केले के चिप्स बनाने वाली कंपनी में काम करती हैं.
वो कहती हैं, "यह आदिवासी इलाक़ा है. इसीलिए यहां कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है. ढंग की सड़कें भी नहीं हैं और जैसे जैसे हम जंगल के अंदर जाते हैं, वहां मामूली पगडंडी भी नहीं है. सड़कें न होने की वजह से गंभीर रूप से बीमार लोगों को अस्पताल तक ले जाना बहुत कठिन होता है. उम्मीद है कि इस पर प्रियंका ध्यान देंगी. हमें एक मेडिकल कॉलेज की भी उम्मीद है."
कांग्रेस उम्मीदवार प्रियंका गांधी और बीजेपी उम्मीदवार नव्या हरिदास इसके लिए लेफ़्ट फ़्रंट की सरकार पर अंगुली उठाती हैं.
वहीं सीपीआई के सत्येन मोकेरी का कहना है कि राज्य सरकार मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्थापना के लिए फ़ंड बढ़ाएगी. इस ज़रूरत के पूरा न होने के लिए बीजेपी राहुल गांधी को भी दोषी ठहराती है.
तो वायनाड के लोगों के लिए उनकी क्या गारंटी है, खासकर तब जब कांग्रेस ने 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों के बाद से हर चुनाव में बार-बार गारंटी की घोषणा की है?
इस सवाल के जवाब में प्रियंका गांधी ने बीबीसी हिंदी से कहा, "वायनाड के लिए ये गारंटी है कि मैं दिन रात एक कर उनके लिए काम करूंगी. यहां की बड़ी समस्याएं हैं जिनके लिए मेरे भाईसाहब लड़ रहे थे. उका वो संघर्ष मैं जारी रखूंगी और मेरे ख्याल से यहां पर जो कृषि है, फ़ूड प्रोसेसिंग है, उस पर हम ज़ोर देंगे. खेती किसानी को मजबूती देंगे...और दूसरी तरफ़ टूरिज़्म को भी."
BBCलेकिन आलोचना के बावजूद, गांधी परिवार का करिश्मा यहां बरक़रार है. हमें एक सैलून का मालिक मिला जो वायनाड ज़िले मुख्यालय कालपेट्टा में पिछले 12 सालों से रह रहा है. इसी तरह अन्य लोग भी हैं जो ज़िले में मतदाता हैं.
मुबारक अली ने बीबीसी हिंदी से कहा, "हम तो वैसे ही सपोर्ट करते हैं... प्रियंका गांधी को और सपोर्ट करेंगे... राहुल गांधी ने बहुत कुछ किया है... हम यूपी से यहां आए हैं. यहां एकता बहुत है."
लेकिन ऐसा क्या है कि गांधी परिवार के लिए यह एक सुरक्षित सीट है?
राजनीतिक टिप्पणीकार केआर वांचीस्वरन ने बीबीसी हिंदी से कहा, "पहला तो है, नेहरू की विरासत और दूसरा वो इंदिरा गांधी जैसी दिखती हैं. यह करिश्मा अभी भी काम कर रहा है. जीत की संभावना यहां के सामाजिक तानेबाने में है. यह कांग्रेस का गढ़ रहा है. यहां अल्पसंख्यक आबादी की संख्या भी अच्छी ख़ासी है."
2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने सीपीआई के पीपी सनीर पर 4.31 लाख के वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी. बीडीजेएस थुसार वेल्लापल्ली के उम्मीदवार को 78,816 वोट मिले थे. साल 2024 में राहुल गांधी को सीपीआई की एननी राजा के ख़िलाफ़ 3.64 लाख वोट मिले थे. जबकि बीजेपी को 1.41 लाख वोट मिले.
सवाल ये है कि क्या प्रियंका गांधी अपने भाई से बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगी और छह लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज करेंगी जैसा कि कांग्रेस पार्टी के वर्कर अपना लक्ष्य मानते हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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