भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को दिखाने वाले मीडिया संस्थान 'द ऑस्ट्रेलिया टुडे' ने अपने सोशल हैंडल और वेबसाइट को कनाडा में बैन किए जाने पर प्रतिक्रिया दी है.
ने इस मामले पर मिल रहे 'समर्थन' पर आभार जताते हुए कहा है कि वो बाधाओं की परवाह किए गए बगैर अहम कहानियां और आवाज़ लोगों तक पहुंचाता रहेगा.
'द ऑस्ट्रेलिया टुडे' ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है, ''कनाडा सरकार के आदेश पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ हमारे इंटरव्यू और ऑस्ट्रेलिया के साथ उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस को सोशल मीडिया पर दिखाने पर रोक लगा दी गई है. ये फैसला हमारी टीम के लिए काफी मुश्किल भरा साबित हुआ जो आज़ाद पत्रकारिता को काफी अहमियत देती है.''
इस मीडिया प्लेटफॉर्म ने कहा है, ''इन प्रतिबंधों के बावजूद आपका लगातार समर्थन हमें ताक़त देता रहेगा. चाहे हमारे कवरेज को अन्य प्लेटफार्मों पर साझा करना हो या प्रेस की आज़ादी के प्रति हमारी चिंताओं को सामने लाना हो या हमारी कोशिशों को प्रोत्साहन जैसा कदम हो, हर कोशिश का फर्क पड़ता है. इस मामले को लेकर पत्रकार बिरादरी की एकजुटता और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्धता जताने की हम सराहना करते हैं.''
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ करेंइससे पहले भारत के विदेश मंत्रालय ने कनाडा के कदम को गैर ज़रूरी बताया था.
ने गुरुवार को कनाडा के इस कदम पर पूछे गए सवाल पर कहा था, "जी हाँ आपने सही सुना है. हम भी यही समझते हैं कि इस ख़ास मीडिया का सोशल हैंडल और वेबसाइट ब्लॉक कर दिया गया है, जो कि प्रवासियों का महत्वपूर्ण मीडिया प्लेटफ़ॉर्म है और अब यह कनाडा में लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है."
उन्होंने कहा, ''हमें इस बात पर अचरज है. हमें ये अजीब लगता है. फिर भी ये ऐसे काम हैं जो अभिव्यक्ति की स्वतंंत्रता के प्रति कनाडा के पाखंड का पर्दाफाश करती हैं. मीडिया में बातचीत के दौरान विदेश मंत्री ने तीन चीज़ों के बारे में बात की थी. बगैर सुबूत के आरोप लगाने के कनाडा के पैटर्न, भारतीय राजनयिकों की निगरानी जो अस्वीकार्य है और कनाडा में भारत विरोधी तत्वों को मिल रहा राजनीतिक स्पेस. इससे आप निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि 'द ऑस्ट्रेलिया टुडे' को क्यों ब्लॉक किया गया.''
भारत के विदेश मंत्रालय ने कनाडा में आयोजित होने वाले अपने उच्चायोग के कुछ कैंपों को भी रद्द करने का ऐलान किया है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक़ कनाडा के अधिकारियों ने कहा था कि वो इन्हें सुरक्षा नहीं दे सकते.
'द ऑस्ट्रेलिया टुडे' के सोशल मीडिया हैंडल और वेबसाइट को कनाडा की ओर से बैन करने के इस कदम को चौंकाने वाला बताया जा रहा है क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई और कनाडा फाइव आइज़ अलायंस के सदस्य हैं.
फाइव आइज़ अलायंस आपस में खु़फिया जानकारी साझा करने वाले पांच देशों का गठबंधन है. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा और न्यूज़ीलैंड इस गठबंधन के सदस्य हैं.
कनाडा-भारत विवाद से जुड़ीं अहम ख़बरें
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने ऑस्ट्रेलिया दौरे में वहां की विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी.
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनसे कनाडा और भारत के रिश्तों में मौजूदा तनाव के बारे में सवाल किए गए थे.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर से खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत पर लगाए जा रहे कनाडा के आरोप के बारे में पूछा गया था.
कनाडा का कहना है कि निज्जर की हत्या में भारत के एजेंटों का हाथ है.
इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि 'कनाडा ने ये आरोप बगैर किसी सुबूत मुहैया कराए ही लगाए हैं, जो भारत के लिए अस्वीकार्य है. भारत को ये भी नामंज़ूर है कि कनाडा उसके राजनयिकों को निगरानी में रखे.'
कनाडा की ओर से लगाए जा रहे आरोपों के बारे में पूछे गए सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा, ''हम तीन टिप्पणियां करेंगे. पहली ये कि कनाडा ने एक ख़ास पैटर्न विकसित कर लिया है और वो है बगैर किसी पक्के सुबूत के आरोप लगाना."
"दूसरी, वो हमारे राजनयिकों पर निगरानी रख रहा है, जो भारत को नामंज़ूर है. तीसरी, वो घटनाएं (कनाडा में मंदिर पर होने वाले हमलों) जो वीडियो में दिख रही हैं. मुझे लगता है कि आपको इससे पता चलेगा कि कैसे कनाडा में अतिवादी ताकतों को राजनीतिक स्पेस दिया जा रहा है.''
जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये भी कहा था कि भारत आज़ादी में विश्वास करता है लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. ऑस्ट्रेलिया ने इस सवाल पर ऑस्ट्रेलिया से भी बात की है.
साल 2023 के जून महीने में 45 साल के हरदीप सिंह निज्जर की वैंकूवर के नज़दीक बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. कनाडा के प्रधानमंत्री ने इस हत्या के पीछे भारत का हाथ होने का आरोप लगाया था.
इसके बाद ही भारत और कनाडा के रिश्तों में तनाव दिख रहा है. हाल के दिनों में भारत और कनाडा के बीच तनाव तब और चरम पर पहुंच गया जब अमेरिकी अख़बार ने सूत्रों के हवाले से लिखा था कि भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कनाडा में सिख अलगाववादियों के ख़िलाफ़ अभियान के ऑर्डर दिए थे.
इस साल 29 अक्टूबर को इस मामले ने फिर तूल पकड़ा जब कनाडा सरकार के उप विदेश मंत्री ने देश की नागरिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा कमेटी को बताया कि भारत सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने कनाडाई नागरिकों को धमकी देने या उनकी हत्या के अभियान को मंजूरी दी थी. और उन्होंने ये जानकारी 'वॉशिंगटन पोस्ट' को मुहैया कराई थी.
कनाडा में ख़ालिस्तान समर्थकों की ओर से भारत विरोधी प्रदर्शनों और खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव लगातार बढ़ा है.
कनाडा का आरोप है कि खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है, जबकि भारत इससे इनकार करता रहा है.
इस मामले में दोनों देशों के बीच तल्ख़ी इतनी बढ़ी कि पिछले दिनों दोनों देशों ने एक दूसरे के कई राजनयिकों को निकाल दिया..
एक-दूसरे के राजनयिकों को निकालने का फ़ैसला तब सामने आया है जब निज्जर हत्या मामले में कनाडा ने भारतीय राजनयिकों और उच्चायोग के दूसरे अधिकारियों को ‘पर्सन्स ऑफ़ इंटरेस्ट’ बताया. इनमें कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रहे संजय कुमार वर्मा प्रमुख रूप से शामिल थे.
कनाडा में 'पर्सन्स ऑफ़ इंटरेस्ट' उसे कहा जाता है जिसको लेकर जांचकर्ता मानते हैं कि उस शख़्स को किसी अपराध की महत्वपूर्ण जानकारी है.
सितंबर 2023 में निज्जर की हत्या के बाद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने देश की संसद में बयान दिया था कि कनाडा के पास इस अपराध में भारतीय अधिकारियों के शामिल होने के 'ठोस सबूत' हैं. हालांकि उस समय भी कनाडा सरकार ने कोई ठोस पेश नहीं किया था.
भारत ने इस दावे को सिरे से ख़ारिज करते हुए कनाडा से सबूत की मांग की थी.
इस बार भी कनाडा के उच्चायुक्त को देश से निकालने की घोषणा के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि ट्रूडो सरकार ने भारतीय अधिकारियों के ख़िलाफ़ अपने आरोपों के समर्थन में भारत को ‘सबूत का एक टुकड़ा’ तक नहीं दिखाया था.
विदेश मंत्रालय ने कनाडा को लेकर ये भी कहा था कि वो ‘राजनीतिक लाभ के लिए भारत को बदनाम कर रहा है.’
भारत को सबूत नहीं भेजे लेकिन कनाडा अपने रुख़ पर कायम Reuters जस्टिस ट्रूडो (फ़ाइल फ़ोटो)कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अब भी इस बात पर कायम हैं कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ है.
लेकिन पिछले पखवाड़े राजनयिकों को निकाले जाने के मामले के तूल पकड़ने के बाद ट्रूडो ने कहा था वो अपने आरोपों पर कायम है.
लेकिन उनके पास 'साक्ष्यपूर्ण सबूत' नहीं हैं. पहली बार जब उन्होंने इस मामले पर सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाए थे उस समय तक उनके पास सिर्फ ख़ुफिया जनाकारी थी.
विदेशी हस्तक्षेप आयोग के समक्ष गवाही देते हुए उन्होंने स्वीकार किया था कि कनाडा ने भारत के साथ कोई सबूत साझा नहीं किया है, बल्कि केवल साथ काम करना चाहता है और भारत सबूत मांगता रहा.
उन्होंने कहा था, ''हमारा जवाब था, ठीक है, यह (सबूत) आपकी सुरक्षा एजेंसियों के पास है.''
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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