Top News
Next Story
NewsPoint

मध्य प्रदेश: हिंदूवादी संगठनों के विरोध के बाद फ़िरोज़ ख़ान के गरबा पंडाल ना लगाने का पूरा मामला क्या है?

Send Push
BBC फ़िरोज़ ख़ान (दाएं) दुर्गा पूजा के दौरान अपने सहयोगियों के साथ

मध्य प्रदेश के इंदौर में एक इलाक़े में हर साल आयोजित होने वाला एक गरबा महोत्सव इस बार रद्द कर दिया गया है.

ये महोत्सव इंदौर के गणेश नगर में आयोजित होता था और इसके आयोजकों में से एक हैं फ़िरोज़ ख़ान.

फ़िरोज़ का कहना है कि बीते तीन दशक से भी ज़्यादा समय से उनके इलाक़े इंदौर के गणेश नगर में नवरात्रि में गरबा पंडाल आयोजित करवाया जा रहा है और लगभग एक दशक से इस आयोजन की जिम्मेदारी उन्होंने ली थी. लेकिन इस बार उन्हें 'मुस्लिम होने की कीमत चुकानी पड़ रही है'.

इंदौर पुलिस के मुताबिक़, इस आयोजन के ख़िलाफ़ उन्हें स्थानीय संगठनों से शिकायत मिली थी.

image BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए करें

इंदौर पुलिस का दावा है कि गरबा समिति से कोई परमिशन लेने नहीं आया था लेकिन बीबीसी द्वारा हासिल एक दस्तावेज में कार्यालय सहायक पुलिस आयुक्त जूनी इन्दौर, जिला इन्दौर द्वारा लिखित में "शिखर गरबा मण्डल आयोजक दीपक हार्डिया एवं अजय नागर" के नाम से मूर्ति स्थापना और गरबा महोत्सव के आयोजन की अनुमति दी गई है.

हालांकि, इसमें आयोजक के तौर पर फ़िरोज़ ख़ान का नाम नहीं है.

इंदौर पुलिस के क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने स्थानीय पत्रकारों से बातचीत में कहा, "सोशल मीडिया में और स्थानीय इलाके़ में कुछ बैनर और पोस्टर लगाये गए थे जिसको लेकर बजरंग दल द्वारा थाना भंवरकुआं में एक ज्ञापन दिया गया था. इसमें उन्होंने कहा कि कोई मुस्लिम व्यक्ति गरबा पंडाल का आयोजन नहीं करवा सकता, ऐसा होने पर स्थिति वाकई विपरीत होगी.”

हिंदूवादी संगठनों का विरोध

दरअसल, फ़िरोज़ ख़ान और उनके साथी जो कि ''शिखर गरबा समिति'' के नाम से मूर्ति स्थापना और गरबा पंडाल लगाते थे उन्होंने हर साल की तरह इस साल भी पंडाल लगाने के पहले सूचना देकर मूर्ति स्थापना की योजना बनाई थी.

लेकिन इससे पहले ही पंडाल पर विवाद शुरू हो गया.

विश्व हिंदू परिषद की युवा इकाई बजरंग दल के कार्यकर्ता ''शिखर गरबा समिति'' के आयोजन फ़िरोज़ ख़ान के द्वारा किए जाने का विरोध कर रहे थे.

बीबीसी से बातचीत में विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी राजेश बिंजवा कहते हैं,, “इस बार हम लोग नवरात्रि के पहले से ही सचेत थे और हमने गैर-हिंदुओं के गरबा पंडाल में प्रवेश को बैन भी किया है और बाकियों से भी बैन करने की मांग की है. इसी मुहिम के दौरान हमें पता चला कि एक मुस्लिम व्यक्ति गरबा का आयोजन करवा रहा है जो कि सरासर गलत है इसलिए हम लोगों ने उसके ख़िलाफ़ आवेदन दिया और उस पंडाल को बंद करवाया है.”

बजरंग दल ने प्रशासन को दिए शिकायती पत्र में लिखा, “सोशल मीडिया और हिन्दू समाज के माध्यम से यह विदित हुआ है कि खंडवा नाका, गणेश नगर क्षेत्र में एक मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति द्वारा गरबा आयोजन करवाया जा रहा है. यह आयोजन केवल हिंदू मान्यताओं के अपमान तथा हिन्दू मान बिंदुओं के साथ खिलवाड़ करने के उद्देश्य से किया जा रहा है. अतः महोदय से निवेदन है कि इस आयोजन पर तुरंत रोक लगाई जाए तथा इस आयोजन की परमिशन भी रद्द की जाए.”

image BBC फ़िरोज़ ख़ान (दाएं से दूसरे) की लगभग 16 साल पहले की तस्वीर ''इससे पहले हमें धर्म अलग होने की बात महसूस नहीं हुई''

52 साल के दीपक हार्डिया, फ़िरोज़ ख़ान के साथ गरबा पंडाल की आयोजन समिति का हिस्सा थे. बीबीसी से बात करते हुए दीपक हार्डिया कहते हैं कि हमारे पंडाल को बंद करवाने के पीछे सिर्फ एक कारण है वो है फ़िरोज़ का मुस्लिम होना.

दीपक बताते हैं, “हम लोग बीते 36 वर्षों से पंडाल लगा रहे हैं, प्रतिमा बैठा रहे हैं, पूरी कॉलोनी में फ़िरोज़ का इकलौता मुस्लिम परिवार है लेकिन हमें कभी धर्म अलग होने की बात महसूस ही नहीं हुई. हम लोग साथ में सभी त्योहार मनाते आए हैं और इस बार के कांड के बाद पूरी कॉलोनी के लोग दुखी हैं."

फिरोज़ खान के साथी दीपक हार्डिया का कहना है कि डर की वजह से वे लोग दोबारा पंडाल की अनुमति लेने नहीं गए.

दीपक ने बताया कि वो लोग नवरात्रि के एक शाम पहले जब मूर्ति लेने के लिए निकल रहे थे तभी बजरंग दल और अन्य हिंदूवादी संगठनों के कई लोगों ने वहां दबिश दी और उन्हें कहा कि इस साल वो गरबा पंडाल और मूर्ति स्थापना नहीं कर सकते.

"हिंदूवादी संगठनों ने कहा कि अगर मूर्ति स्थापना और गरबा पंडाल लगाया गया तो स्थिति खराब होगी इसी कारण हम लोग मूर्ति लाने की पूरी तैयारी के बाद भी हमने हाथ पीछे खींच लिए. वहीं पर कुछ स्थानीय पुलिस के लोग भी थे जिन्होंने कहा कि इस वर्ष हमें मूर्ति स्थापना की मनाही है. मन मारकर हम लोग वापस लौट गए."

फिरोज़ खान बताते हैं कि पूरे मोहल्ले में इकलौते मुस्लिम होने के बाद भी उन्हें मोहल्ले के किसी व्यक्ति ने कभी किसी पूजा या त्योहार में शामिल होने से रोका नहीं.

"मेरा तो बचपन यहीं गुजरा, जवानी यहीं गुजरी. मेरे सारे दोस्त यहीं के हैं, इतने वर्षों में हमारे बीच में कभी मज़हब आया ही नहीं था. मोहल्ले के लोगो और मेरे बीच में आज भी नहीं है लेकिन बाहर के कई लोगों को समस्या हो रही है. ऐसा लग रहा है मानों किसी ने देश का नागरिक होने का हक़ छीन लिया हो, मन बहुत आहत है, ऐसा पहली बार हुआ है".

image BBC फ़िरोज़ ख़ान (बीच में) का कहना है कि वो लंबे समय तक एबीवीपी से जुड़े रहे हैं

इसी इलाके के पूर्व निवासी अजय जाट जो अब नौकरी लगने के बाद से गुजरात शिफ्ट हो चुके हैं उन्होंने स्थानीय पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वो गुजरात में रहने के बाद भी हर वर्ष यहां आते हैं और बच्चों की गरबा प्रेक्टिस से लेकर धार्मिक पूरा आयोजन संभालते हैं.

वो कहते हैं, “हम लोग नौकरी लगने के बाद गुजरात जरूर चले गए लेकिन हर साल नियम से अपने यहां नवरात्रि में आते हैं. पहले कोई और संचालन करता था फिर बीते कई वर्षों से फिरोज़ खान ने जिम्मेदारी संभाली थी और कुछ भी गलत नही था. ये एक भक्ति का आयोजन है इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है, जो भी हुआ बहुत गलत हुआ”.

फ़िरोज़ ख़ुद को स्कूल और कॉलेज के दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ा हुआ बताते हैं.

उन्होंने कहा, “मेरे ऊपर ऐसे-ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं, जिहादी बोला जा रहा है जबकि मेरे साथ रहने वाले मेरे पड़ोसियों को ऐसी कोई समस्या नहीं है. हम लोग प्रेम से दशकों से साथ रह रहे हैं कभी धर्म आड़े नहीं आया लेकिन आज कुछ लोगों को समस्या हुई है और अब मैं पंडाल में जाना बंद कर दूंगा.

फ़िरोज़ ने कहा कि वो नहीं चाहते हैं कि उनके कारण बाकी लोगों की खुशियां छिन जाएं और उनके मोहल्ले के बच्चे 9 दिन मायूस रहें.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां कर सकते हैं. आप हमें , , , और पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

image
Explore more on Newspoint
Loving Newspoint? Download the app now