अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में वोटों की गिनती जारी है.
कई राज्यों में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रोजेक्शन में जीत की ओर हैं.
अमेरिकी मतदाता चुनाव में अपने मतदान से सीधे राष्ट्रपति नहीं चुनते हैं. इसलिए अमेरिका में चुनावी नतीजे स्पष्ट होने में वक़्त लगता है. वो भी तब जब मुक़ाबला क़रीबी का हो.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए ये भी पढ़ें-अमेरिका की वर्तमान उपराष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ा मुक़ाबला है.
इस बार चुनाव काफ़ी नजदीकी हो गया है, इसलिए कई राज्यों में जीत का अंतर बहुत कम हो सकता है, जिसके चलते दोबारा वोटों की गिनती की ज़रूरत पड़ सकती है.
संभावना है कि इस साल कुछ नतीजे अपेक्षाकृत धीमे आएं क्योंकि 2020 के बाद से कई अमेरिकी राज्यों ने चुनाव प्रक्रिया में कई बदलाव किए हैं.
हालांकि, मिशिगन जैसी जगहों पर वोटों की गिनती तेज़ हो गई है. साथ ही, कोविड महामारी के दौरान हुए चुनाव की तुलना में इस बार बहुत कम वोट मेल के ज़रिए डाले गए हैं.
इसका मतलब ये है कि विजेता के नाम की घोषणा चुनाव की रात, अगली सुबह, या फिर हफ्तों बाद भी हो सकती है.
2020 के राष्ट्रपति चुनाव नतीजे कब आए थे2020 का राष्ट्रपति चुनाव तीन नवंबर को हुआ था लेकिन अमेरिका के टीवी चैनलों ने सात नवंबर की देर सुबह तक जो बाइडन को विजेता घोषित नहीं किया था.
मतदान की रात ट्रंप के समर्थकों को जीत की उम्मीद थी लेकिन वास्तव में दोनों उम्मीदवारों के पास राष्ट्रपति बनने के लिए ज़रूरी 270 इलेक्टोरल कॉलेज वोट हासिल करने की संभावना थी.
हालांकि, अधिकतर राज्यों ने 24 घंटे के भीतर ही नतीजों का एलान कर दिया लेकिन पेंसिल्वेनिया और नेवाडा जैसे प्रमुख राज्यों ने नतीजों की घोषणा में देरी की थी.
पेंसिल्वेनिया अपने 19 इलेक्टोरल वोटों के साथ डेमोक्रेट्स की ओर झुका हुआ नज़र आ रहा था. इसके बाद सात नवंबर की सुबह हुए वोटों की गिनती ने टीवी चैनलों को ये भरोसा दिलाया कि बाइडन वहाँ जीत दर्ज करेंगे.
सीएनएन ने सबसे पहले नतीजों का एलान किया और अगले 15 मिनट में बाक़ी टीवी चैनलों ने भी ऐसा ही किया.
जीत की घोषणा कब होती है? Win McNamee/Getty Images 2016 में ट्रंप पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनेआमतौर पर अमेरिका में मतदाताओं को अपने अगले राष्ट्रपति का नाम चुनाव की रात या अगले दिन की सुबह ही मालूम पड़ जाता है.
उदाहरण के लिए, 2016 में जब ट्रंप पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो उन्हें चुनाव के अगले दिन सुबह तीन बजे से पहले ही विजेता घोषित कर दिया गया था.
2012 में, जब बराक ओबामा दूसरी बार राष्ट्रपति बने तब मतदान वाले दिन ही आधी रात से पहले उनकी जीत का अनुमान लगाया जा चुका था.
लेकिन 2000 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश और अलगोर के बीच हुए चुनाव में ऐसा नहीं हुआ.
उस चुनाव में फ्लोरिडा में दोनों उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर थी और 12 दिसंबर तक विजेता का नाम घोषित नहीं किया गया.
इसके बाद अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में दोबारा वोटों की गिनती रोकने के लिए निर्णय सुनाया और बुश को विजेता घोषित किया.
किन प्रमुख राज्यों पर रहेगी नज़र?चुनाव में जीत का फैसला सात स्विंग राज्य करेंगे. इन स्विंग राज्यों के नाम हैं—एरिज़ोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, उत्तरी कैरलाइना, पेंसिल्वेनिया, और विस्कॉन्सिन.
जॉर्जिया और अन्य कुछ राज्यों में मतदान समाप्त होने के बाद अमेरिका के टीवी चैनल राज्यों में पहला रुझान दिखाना शुरू कर सकते हैं.
चुनाव के नतीजों में देरी क्यों हो सकती है?अगर चुनाव के नतीजों में कम अंतर होता है, तो मीडिया चैनलों को अनुमान लगाने से पहले लंबा इंतज़ार करना पड़ सकता है. इस कारण दोबारा गिनती और क़ानूनी चुनौतियों का ख़तरा भी बढ़ता है.
उदाहरण के लिए, पेंसिल्वेनिया में अगर विजेता और हारने वाले उम्मीदवार के वोटों में आधा प्रतिशत का अंतर होता है, तो पूरे राज्य में ख़ुद ही वोटों की दोबारा गिनती शुरू हो जाती है. साल 2020 में यहाँ अंतर महज़ 1.1 प्रतिशत का था.
देशभर में चुनाव से पहले ही 100 से ज़्यादा मुक़दमे दायर किए जा चुके हैं, जिनमें रिपब्लिकन पार्टी की तरफ़ से कई चुनाव संबंधी शिकायतें शामिल हैं. इन मामलों में लगातार आ रहे फ़ैसले राष्ट्रपति पद की इस लड़ाई को हर दिन दिलचस्प बना रहे हैं.
इसके अलावा, मतदान केंद्रों पर चुनाव संबंधी हिंसा और वोट की गिनती में बाधाओं के कारण भी नतीजों की घोषणा में देरी हो सकती है, जैसा कि 2020 में जॉर्जिया में एक पोलिंग स्टेशन पर पानी की पाइप फटने के कारण हुआ था.
क्या होगा अगर चुनावी नतीजों को चुनौती दी जाएगी?एक बार जब हर वोट को आख़िरी नतीजों में शामिल कर लिया जाता है और दोबारा गिनती जैसी प्रक्रियाएं पूरी हो जाती हैं, तब चुनाव के नतीजों को पहले स्थानीय न्यायालयों और फिर राज्य स्तर के न्यायालयों से प्रमाणित किया जाता है.
इसके बाद, राज्य कार्यपालिका का प्रतिनिधि, जो आमतौर पर गवर्नर होता है, उन लोगों को प्रमाणित करता है जो इलेक्टोरल कॉलेज में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगे. ये लोग 17 दिसंबर को अपने-अपने राज्यों में मिलकर वोट डालते हैं और उन्हें वॉशिंगटन भेजते हैं.
इसके बाद, महीने की शुरुआत में एक नई अमेरिकी कांग्रेस चुनाव के वोटों की गिनती के लिए बैठक करती है, जिसकी अध्यक्षता मौजूदा उप-राष्ट्रपति करते हैं.
2020 में ट्रंप ने अपनी हार मानने से इनकार कर दिया था. उन्होंने उपराष्ट्रपति माइक पेंस से नतीजों को अस्वीकार करने का आग्रह किया लेकिन पेंस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था.
दंगे शांत होने और कांग्रेस के दोबारा मिलने के बाद भी 147 रिपब्लिकनों ने ट्रंप के पक्ष में वोट डाला, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ.
तब से अमेरिका में कई चुनावी सुधार हुए हैं, जिससे प्रमाणित नतीजों पर आपत्ति करना कठिन हो गया है. इन सुधारों ने ये भी साफ़ किया है कि उपराष्ट्रपति के पास चुनावी वोटों को एकतरफ़ा न मानने का अधिकार नहीं है.
फिर भी चुनाव पर नज़र रखने वालों का मानना है कि स्थानीय और राज्य स्तर पर इस राष्ट्रपति चुनाव को मानने में देरी की कोशिश की जा सकती है. उनका मानना है कि कई समूह चुनावी नतीजों पर संदेह पैदा करने के लिए तैयार हैं.
ट्रंप, उपराष्ट्रपति पद के लिए उनके साथी जेडी वेंस और रिपब्लिकन पार्टी के दिग्गज नेताओं ने कई मौकों पर ये कहने से इनकार किया है कि अगर वो हार जाते हैं तो वो चुनाव के नतीजों को मानेंगे.
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अमेरिका के इतिहास में ये 60वां राष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह होगा. इस समारोह में नए राष्ट्रपति अमेरिका के संविधान को बनाए रखने की शपथ लेंगे और फिर देश के लोगों को संबोधित करेंगे.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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