आठ घंटे, पांच टेस्ट, चार ब्रेक, एक दिन और एक मौक़ा. कुछ ऐसी ही होती है सुनेउंग. यह वो परीक्षा है, जो दक्षिण कोरिया में रहने वाले युवाओं की ज़िंदगी बदल देती है.
इस परीक्षा के बाद तय होता है कि यहां के युवा किस यूनिवर्सिटी में जाएंगे. इसका असर भविष्य में उनकी नौकरी और होने वाली आय, यहां तक कि रिलेशनशिप्स पर भी पड़ सकता है.
यह वो पल होता है, जब पूरा देश थम सा जाता है. दरअसल, सुनेउंग, एक एबिलिटी टेस्ट (योग्यता परीक्षण) है, जो दक्षिण कोरिया के जाने-माने कॉलेज में प्रवेश दिलवाने का ज़रिया है.
यह परीक्षा साल भर में एक बार नवंबर के महीने में होती है. जैसे इस बार यह 14 नवंबर को हो रही है. इस परीक्षा के ज़रिए स्टूडेंट्स को अपनी योग्यता दिखाने का मौक़ा मिलता है.
हमने कुछ दक्षिण कोरियाई स्टूडेंट्स से बातचीत की, जिन्होंने इस साल सुनेउंग में बैठने की तैयारी की थी. उन्होंने हमें बताया कि इस कठिन परीक्षा को पास करने के लिए क्या तरक़ीबें हो सकती हैं.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए ये भी पढ़ेंसुनेउंग परीक्षा क़रीब आठ घंटे चलती है. इसमें हर विषय की परीक्षा के बीच स्टूडेंट्स को 20 मिनट का ब्रेक मिलता है. इसके अलावा लंच करने के लिए स्टूडेंट्स को 50 मिनट का ब्रेक मिलता है.
हर विषय की परीक्षा लगभग 80 से 107 मिनट तक चलती है, इसके लिए बहुत ज़्यादा एकाग्रता की ज़रूरत होती है.
19 वर्षीय ह्यून-मिन ह्वांग कहती हैं कि उनके कुछ दोस्त हर रोज़ वही खाना खाते हैं, जो वे सुनेउंग के दिन खाने की योजना बनाते हैं.
ऐसा वह इसलिए करते हैं ताकि परीक्षा वाले दिन वह इस खाने को अच्छी तरह से पचा सकें. परीक्षा देने वाले छात्रों के बीच यह आम बात है क्योंकि उन्हें परीक्षा वाले दिन अपना लंच बॉक्स लाना होता है.
छात्रों को मसालेदार और मैदे से बने खाने से बचने की सलाह दी जाती है.
दरअसल, इस तरह की टिप्स पेरेन्ट्स और ऑनलाइन एग्ज़ाम कम्युनिटी के स्टूडेंट्स द्वारा परीक्षा में बैठने वाले स्टूडेंट्स को दी जाती है.
इसमे उन्हें बताया जाता है कि उन्हें क्या खाना चाहिए और क्या खाने से बचना चाहिए.
आमतौर पर स्टूडेंट्स को केले और सेब जैसे फलों का सेवन करने के लिए कहा जाता है. प्रोटीन भी एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है.
वैसे सुनेउंग में बैठने वाले स्टूडेंट्स के लिए लंचबॉक्स में अक्सर चावल, बेक्ड फिश, चिकन ब्रेस्ट, सब्जियां और गर्म सूप जैसी चीज़ें आदर्श मानी जाती हैं.
ह्वांग ने बताया, "मेरे कुछ दोस्त परीक्षा की आदत डालने के लिए एक निश्चित समय पर उठते और सोते हैं. एकाग्रता के लिए आपको शरीर को आराम देने की ज़रूरत होती है."
परीक्षा के दौरान आपके लिए बाथरूम जाना भी मुश्किल हो सकता है. आप नहीं चाहते हैं कि इस बात के लिए आपकी एकाग्रता भंग हो.
ह्वांग का कहना है कि कई मॉक टेस्ट देने के बाद मैंने बाथरूम जाने की आदत को नियंत्रित करना सीख लिया है. इस दौरान मैंने आदत डाली कि 20 मिनट के ब्रेक में सबकुछ हो जाए.
20 वर्षीय कांग जुन-ही दोबारा परीक्षा दे रहे हैं. वे कहते हैं कि उन्होंने ख़ुद को परीक्षा की तैयारी के लिए पूरी तरह से समर्पित कर दिया है.
अब वह अपनी दिनचर्या पर ध्यान दे रहे हैं ताकि परीक्षा देते समय उन्हें किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े.
कांग का कहना है कि पिछली बार जब उन्होंने परीक्षा दी थी, तो उन्होंने अपने समय का अच्छे तरह से इस्तेमाल नहीं किया था. वे और ज़्यादा कोशिश कर सकते थे.
वह कहते हैं कि उन्होंने अब ख़ुद को पूरी तरह से इस परीक्षा के लिए "समर्पित" कर दिया है. उनकी दिनचर्या सुनेउंग के हिसाब से ही बन गई है.
इसके लिए वह सुबह 6:30 बजे उठते हैं और सीधे मॉक टेस्ट देने चले जाते हैं ताकि उन्हें सुनेउंग परीक्षा देने की आदत पड़ जाए. यह मॉक टेस्ट वैसे डिज़ाइन किया गया है, जैसे सुनेउंग एग्ज़ाम होती है.
20 वर्षीय कांग पिछले साल मिले अपने नतीज़े से खुश नहीं थे और अपने दोस्तों में से वे अकेले ही हैं, जो दोबारा परीक्षा दे रहे हैं.
उनका कहना है कि उनके दोस्त पहले से यूनिवर्सिटी की ज़िंदगी का मज़ा ले रहे हैं. इसलिए, वह अब भी अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए जुटे हैं.
वे कहते हैं, "सुनेउंग की तैयारी आपको सिखाती है कि आपको अपने सपनों को कैसे हासिल करना है".
ये भी पढ़ेंसुनेउंग परीक्षा देने वालों के लिए मॉक टेस्ट काफी अहम होता है. हर साल देश में तीन नेशनल मॉक टेस्ट होते हैं, जिन्हें छात्र देते हैं. इसके अलावा छात्र प्राइवेट कोचिंग के मॉक टेस्ट भी दे सकते हैं.
यू-जंग कांग का कहना है कि मॉक टेस्ट ने उनकी बहुत मदद की है. शुरुआत में वह लंबे समय तक ध्यान नहीं लगा पाती थी, लेकिन मॉक टेस्ट ने उन्हें लंबे समय तक ध्यान लगाना सीखा दिया है.
वह अपने आपको एक मंत्र दोहराती दिखती हैं कि अभी नर्वस नहीं होना है.
हमारी मुलाक़ात कांग से हुई, जो सोल के गंगनम में एक 'क्रैम स्कूल' में पढ़ाई करती हैं.
ये 'क्रैम स्कूल' दक्षिण कोरिया में काफ़ी लोकप्रिय है, जो नौजवानों को परीक्षा के लिए तैयारी करने में मदद करते हैं.
साथ ही हमें आसपास कुछ ऐसे कैफे भी दिखे, जिनकी खिड़कियों पर गुड लक के साइन लगे हैं और उसमें काफ़ी बच्चे परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं.
कोरिया में बहुत से बच्चे घर में रहकर ही सुनेउंग की तैयारी करते हैं. वह मानती हैं कि “अपने भविष्य को सुरक्षित करने का एकमात्र तरीका अध्ययन ही है.”
वह कहती हैं, "आपके नतीजे आपकी सामाजिक स्थिति और आपको लेकर दूसरों की सोच को भी तय करते हैं. यह आपको अच्छे पार्टनर से मिलवाने में भी कारगर साबित होते हैं क्योंकि तब आपको भी एक योग्य पार्टनर माना जाता है.''
Getty Images कुछ स्टूडेंट्स कहते हैं कि सुनेउंग में बैठने के लिए छात्रों को खुद पर विश्वास बनाए रखने और गति में निरंतरता बनाए रखने की ज़रूरत होती हैसुनेउंग में पांच अनिवार्य विषय होते हैं. कोरियन, गणित, अंग्रेज़ी, कोरिया का इतिहास और सोशल साइंस या साइंस जैसे पांच विषयों में स्टूडेंट्स को परीक्षा देनी होती है.
इसके अलावा उन्हें फ्रेंच, चीनी, जापानी, रूसी या अरबी में किसी एक अतिरिक्त भाषा की भी परीक्षा देनी होती है, लेकिन यह वैकल्पिक होता है.
सांग-वोन ली, जो इस साल हाई स्कूल जूनियर के रूप में भी परीक्षा दे रहे हैं. वह स्टेमिना, खुद पर विश्वास और निरंतरता बनाए रखने की बात पर ज़ोर देते हैं.
वे कहते हैं, "मेरा सुझाव है कि छात्र को सुबह जल्दी उठकर मॉक टेस्ट देने चाहिए. वह उसी समय परीक्षा देते हैं, जब टेस्ट शुरू होता है." क्योंकि, उनका मानना है कि बेहतर शुरुआत के लिए यह ज़रूरी है.
वह कहते हैं, "अगर आपको लगता है कि आपने पहले टेस्ट में गड़बड़ी कर दी है, तो इसका असर आगे की परीक्षाओं में आपके प्रदर्शन पर पड़ सकता है".
वह इस बीच लंच के बाद भी फोकस बनाए रखने की बात पर ज़ोर देते हैं क्योंकि “लंच के बाद छात्रों को अंग्रेज़ी की परीक्षा देनी होती है, जिसमें उन्हें कुछ सुनना भी पड़ता है.
ऐसे में यह ज़रूरी है कि आपको नींद न आए और आप सतर्क रहें.”
ये भी पढ़ेंक्रैम स्कूल के एक अध्यापक रोह जोंग-हो कई तरह के बच्चों को परीक्षा के लिए पढ़ाते हैं. इनमें वे बच्चे भी शामिल होते हैं, जो ग्रामीण इलाक़ों से सियोल पढ़ाई के लिए आते हैं.
वह कहते हैं, "परीक्षा देने वाले बच्चों के लिए खुद पर भरोसा रखना बहुत ज़रूरी है. उन्हें उस दिन खुद पर और अपने उत्तरों पर विश्वास करने की ज़रूरत है. क्योंकि, परीक्षा देते समय उनकी कोई मदद नहीं कर सकता".
वह छात्रों को परीक्षा से पहले "रोज़ पढ़ाई करने की आदत" पर टिके रहने की सलाह देते हैं. वह छात्रों को सुबह 8:40 बजे मॉक टेस्ट देने का सुझाव देते हैं, क्योंकि इस समय ही सुनेउंग की परीक्षा शुरू होती है.
यह दिन का सबसे ज़्यादा प्रभावी समय होता है. पूरा देश सुनेउंग की परीक्षा देने वाले छात्रों की मदद के लिए एक साथ आ जाता है.
यहां तक कि पुलिस, फायरब्रिगेड और एम्बुलेंस भी सुबह-सुबह ही परीक्षा के लिए देर से आने वाले किसी भी छात्र की मदद के लिए तैयार रहते हैं.
ट्रैफिक को कम करने के लिए कोरिया में कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को दिन में देरी से आने की सलाह देती हैं, ताकि छात्रों को सेंटर पहुंचने में किसी तरह की परेशानी नहीं हो.
साथ ही, परीक्षा वाले दिन शेयर बाजार भी देरी से खुलता है. जब अंग्रेजी की सुनने वाली परीक्षा होती है, तब विमानों को 35 मिनट के लिए रोक दिया जाता है.
Getty Images सुनेउंग एग्ज़ाम वाले दिन परीक्षा केंद्र के बाहर सीनियर्स का हौसला बढ़ाने के लिए जूनियर्स को ढोल के साथ देखना आम बात है.कुछ स्कूलों को एग्जाम सेंटर में बदल दिया जाता है. जब सीनियर परीक्षा दे रहे होते हैं, तो जूनियर छात्र सेंटर्स के बाहर उनका इंतज़ार करते हैं.
और परीक्षा शुरू होने से पहले वे ड्रम बजाकर सीनियर का हौसला भी बढ़ाते हैं.
रोह, अध्यापक होने के नाते, परेशान छात्रों को सलाह देते हैं कि उन्हें इस 8 घंटे लंबी परीक्षा में अपनी एनर्जी को किस तरह बनाए रखना है. वह छात्रों को तनाव कम करने के लिए टहलने की सलाह देते हैं.
वह कहते हैं, "छात्रों को परीक्षा से पहले जो पढ़ा है, उसे दोहराना बेहद ज़रूरी लगता है. लेकिन, मैं उन्हें एग्जाम सेंटर के अंदर टहलने की सलाह दूंगा. क्योंकि, यह जगाए रहने में मदद करेगा. ऐसा आपको अंग्रेज़ी परीक्षा देने से पहले करना चाहिए, क्योंकि खाना खाने के बाद आपको नींद आ सकती है".
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित
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