पाकिस्तान में अगले तीन महीने में चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन है लेकिन भारत के जाने को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है.
यह टूर्नामेंट पाकिस्तान में होने वाला है और इसके लिए ट्रॉफ़ी टूर शुरू हो गया है.
पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्ड पीसीबी ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के मुजफ़्फ़राबाद में भी ट्रॉफी टूर ले जाने की घोषणा की थी लेकिन आईसीसी ने इसकी अनुमति नहीं दी थी.
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि भारत के क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बीसीसीआई ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देकर आईसीसी को सूचित कर दिया है कि भारतीय टीम पाकिस्तान दौरे पर नहीं जाएगी. आईसीसी ने यह सूचना पीसीबी तक पहुँचा दी है.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए करेंऐसे में सवाल उठता है कि टीम इंडिया पाकिस्तान नहीं गई तो आईसीसी और पाकिस्तान के पास क्या विकल्प होंगे?
पाकिस्तान में इसे लेकर बहुत चर्चा है. वहाँ के मीडिया में कहा जा रहा है कि एशिया कप की तरह पाकिस्तान को हाइब्रिड मॉडल पर टूर्नामेंट नहीं होने देना चाहिए. यानी कुछ मैच पाकिस्तान में और भारत के साथ होने वाले मैच किसी और देश में. पिछले साल एशिया कप में भी ऐसा ही हुआ था.
पाकिस्तान आयोजक था और भारत ने वहाँ जाने से इनकार कर दिया था. ऐसे में आईसीसी ने भारत के मैच श्रीलंका में कराए थे.
पाकिस्तान में कहा जा रहा है कि पीसीबी इस बार हाइब्रिड मॉडल के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में अब क्या विकल्प बचते हैं?
इस टूर्नामेंट को कराने को लेकर अब सबकी निगाहें आईसीसी पर टिकी हैं, जिस पर इस मुश्किल का हल निकालने का दारोमदार है.
पीसीबी के पूर्व चेयरमैन नजम सेठी का कहना है कि आईसीसी के पास सिर्फ़ तीन विकल्प थे.
पहला कि भारत पाकिस्तान आ जाए, दूसरा हाइब्रिड मॉडल और तीसरा पूरा टूर्नामेंट पाकिस्तान से बाहर कराया जाए.
पाकिस्तान के एक निजी समाचार चैनल से उन्होंने कहा, “भारत ने इस पर कड़ा रुख़ अपनाया है. उनकी टीम नहीं आने जा रही है. उन्होंने कबड्डी टीम और ब्लाइंड क्रिकेट टीम को भी नहीं भेजा. पहले डेविस कप खेलने के लिए टेनिस खिलाड़ी भी आ जाते थे. अब वे भी नहीं आते.”
नजम सेठी कहते हैं, दो विकल्प लगभग ख़ारिज किए जा चुके हैं, ऐसे में तीसरा विकल्प बचता है, टूर्नामेंट को पाकिस्तान के बाहर ले जाने का. लेकिन पाकिस्तान फिर टूर्नामेंट के बहिष्कार का निर्णय ले सकता है.'
नजम सेठी का मानना है, “पाकिस्तान के लिए भी बहुत जटिल स्थिति है. पाकिस्तान अगर भारत की बात मान लेता है तो घर में बहुत आलोचना होगी. ऐसा कहा जाएगा कि पाकिस्तान को झुकमना पड़ा.''
वो कहते हैं, “आईसीसी हमेशा बीसीसीआई का पक्ष लेता है. अगर वो इस टूर्नामेंट को श्रीलंका या दुबई शिफ़्ट करता है और पाकिस्तान इसमें न खेले तो आईसीसी का नुक़सान हो जाएगा, जिसमें भारत और पाकिस्तान दोनों का नुक़सान है क्योंकि मैच की कमाई का एक बड़ा हिस्सा भारत को और एक छोटा हिस्सा पाकिस्तान को मिलता है.”
नजम सेठी के अनुसार, “इससे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को कोई असर नहीं पड़ता है क्योंकि वह बहुत अमीर है लेकिन पाकिस्तान को इससे बड़ा फ़र्क़ पड़ता है. अगर आप बाहर भी नहीं खेलते हैं तो इससे आर्थिक नुक़सान होगा और यह बड़ा मसला बनेगा.”
वो कहते हैं, “पाकिस्तान ऐसा फ़ैसला करके ख़ुद को आईसीसी से बाहर करेगा, तो फिर द्विपक्षीय टूर्नामेंट बचते हैं, जिनकी कमाई बहुत कम यानी अधिकतम एक दो मिलियन डॉलर के क़रीब होती है. अब पाकिस्तान के लिए सोचने की बात है कि बहिष्कार का उसका तर्क क्या है, भारत को तो पता है कि वो ऐसा क्यों कर रहा है.”
अब चैंपियंस ट्रॉफ़ी मुक़ाबलों को शुरू होने में 100 दिनों से कम का वक़्त रह गया है और पीसीबी ने चैंपियंस ट्रॉफ़ी का टूर शुरू कर दिया है.
यह ट्राफ़ी भारत, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ़्रीका, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान समेत आठ देशों में जाएगी.
2017 में लंदन में हुई चैंपियंस ट्रॉफ़ी में पाकिस्तान ने भारत को 180 रनों से हराकर चैंपियन बना था और उसे 2025 के टूर्नामेंट की मेज़बानी सौंपी गई थी और ट्रॉफी का टूर इस्लामाबाद से 16 नवंबर को शुरू हो चुका है.
पाकिस्तान में जब इस ट्रॉफ़ी को पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में ले जाने का शिड्यूल जारी हुआ तो भारत ने आपत्ति दर्ज की थी.
पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर को ट्रॉफ़ी टूर में शामिल किए जाने को लेकर नजम सेठी ने कहा, “ऐसे फ़ैसले पीसीबी खुद नहीं लेता है. उसे ऐसी सलाह मिली होगी. पहले जितनी ट्रॉफ़ी आती रही हैं, उन्हें अधिक से अधिक पाकिस्तान के तीन चार शहरों में ले जाया जाता रहा है.”
उन्होंने कहा, “शिड्यूल देखकर मुझे थोड़ी हैरानी हुई क्योंकि ट्रॉफ़ी टूर में गिलगित, बल्तिस्तान भी शामिल कर लिया गया. मेरे ख़्याल से यह सोचा समझा फ़ैसला था और यह पीसीबी का नहीं था. शायद यह अंदाज़ा लगाने के लिए किया गया.”
उन्होंने कहा, “ये फ़ैसला करते हुए पीसीबी को पता रहा होगा कि ऐसी प्रतिक्रिया आएगी.''
नजम सेठी ने कहा, "पाकिस्तान अंदाज़ा लेना चाहता था लेकिन दांव उल्टा पड़ गया. अब भारत और कड़ा रुख़ अपनाएगा."
इससे पहले उन्होंने कहा कि बैक चैनल कूटनीतिक बातचीत के ज़रिए भारत को मनाए जाने की संभावना तलाशनी चाहिए.
भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने एक पाकिस्तानी टीवी चैनल पर , “अगर इस आईसीसी टूर्नामेंट में भारत या पाकिस्तान या दोनों नहीं खेलते तो दो अरब डॉलर का नुकसान होगा.”
पाकिस्तान में ये भी एक चिंता है कि उसने इस टूर्नामेंट की तैयारियों पर काफ़ी राशि खर्च कर दी है.
अब्दुल बासित कहते हैं, “पाकिस्तान ने नेशनल स्टेडियम कराची और गद्दाफ़ी स्टेडियम लाहौर और रावलपिंडी स्टेडियम के नवीनीकरण और अन्य तैयारियों पर तक़रीबन 15-16 अरब रुपये ख़र्च कर दिए हैं.”
वेबसाइट क्रिकबज़ की एक के अनुसार, आईसीसी ने चैंपियस ट्रॉफ़ी के लिए लगभग 65 मिलियन डॉलर का बजट निर्धारित किया है.
बासित कहते हैं, “अगर आईसीसी ये फ़ैसला करे कि भारत की आपत्तियां सही हैं तो इस टूर्नामेंट को बाहर ले जाया जाएगा, शायद यूएई और दक्षिण अफ़्रीका का नाम लिया जा रहा है. लेकिन एक दूसरी भी चर्चा है कि भारत अपने यहां यह टूर्नामेंट करवाने की कोशिश कर सकता है. वहां क्रिकेट को पूजा जाता है, वहां दर्शक भी बेशुमार पहुंचेंगे और अच्छी रौनक लग जाएगी.”
अब्दुल बासित के अनुसार, “अगर टूर्नामेंट बाहर जाता है तो पाकिस्तान को बॉयकाट करना चाहिए.
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