शुक्रवार की रात जोहानसबर्ग के द वॉन्डरर्स स्टेडियम पर संजू सैमसन और तिलक वर्मा प्रोटियाज़ (दक्षिण अफ़्रीकी टीम) गेंदबाज़ों की धज्जियाँ उड़ाने में लगे हुए थे.
अपनी बनावट के कारण ‘बुल-रिंग’ के नाम से मशहूर वॉन्डरर्स में मेज़बान गेंदबाज़ों की हर कोने में धुनाई हो रही थी. 20 ओवर के बाद जब तूफ़ान थमा तो स्कोरबोर्ड पर संजू सैमसन के सामने 109 और तिलक वर्मा के आगे 120 रन लिखे थे.
संजू ने 56 गेंदों पर नाबाद 106 रन बनाए जिसमें छह चौके और नौ छक्के शामिल थे. वहीं तिलक ने सिर्फ़ 47 गेंदों पर नौ चौके और 10 छक्के सहित 120 रन की पारी खेली. कुल जमा स्कोर रहा 283/1.
उसी पिच पर भारतीय गेंदबाज़ों ने प्रोटियाज़ बल्लेबाज़ों की हवा निकाल दी. भारत ने दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ लगभग एकतरफ़ा दिखे मुक़ाबले को 135 रन से जीतकर चार मैचों की टी20 सिरीज़ 3-1 से जीत ली है.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए करेंइस साल भारत ने पाँचवीं द्विपक्षीय सिरीज़ जीती है.
मैच के बाद कप्तान सूर्यकुमार यादव ने कहा, “परिस्थितियों और हालात के अनुकूल ढलना था और इसमें कोई रहस्य नहीं है. हमारी रणनीति बहुत सरल थी. पिछली बार जब हम यहां आए थे तो हमने उसी ब्रांड का क्रिकेट खेला था और इसे जारी रखना चाहते थे. हमने इसके बारे में बात की और सकारात्मक पहलुओं को साथ लेकर चले. परिणाम के बारे में नहीं सोचा और सब अपने आप होता चला गया.”
BBCतिलक वर्मा इस सिरीज़ में आउट ऑफ़ सिलेबस प्रश्न बनकर उभरे. दक्षिण अफ़्रीकी गेंदबाज़ उनका जवाब नहीं ढूँढ पाए. तिलक 'प्लेयर ऑफ़ द मैच' और 'प्लेयर ऑफ़ द सिरीज़' रहे.
उन्होंने सिरीज़ में चार मैचों में 198.58 की स्ट्राइक रेट से 280 रन बनाए. वहीं संजू सैमसन ने 216 और उनका स्ट्राइक रेट रहा 194.59, दोनों ने दो-दो शतक बनाए. वरुण चक्रवर्ती 12 विकेट के साथ सबसे सफल गेंदबाज़ रहे. अर्शदीप सिंह के खाते में आठ विकेट आए.
तिलक वर्मा ने कप्तान का आभार जताते हुए कहा, “पिछले साल जब मैं खेला था तो मैं यहां पहली ही गेंद पर आउट हो गया था. टीम के लिए महत्वपूर्ण पारी थी. मैं खुद पर भरोसा बनाए रखते हुए बुनियादी बातों पर ध्यान केंद्रित कर रहा था. यह एक अविश्वसनीय एहसास है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं दो शतक बनाऊंगा - वह भी दक्षिण अफ़्रीका में…मैं भगवान और अपने कप्तान सूर्यकुमार यादव को धन्यवाद देना चाहता हूं.”
मैच के बाद तिलक वर्मा कप्तान के प्रति इतने शुक्रगुज़ार थे तो इसके पीछे एक बड़ी वजह है. तिलक वर्मा के लिए कप्तान सूर्यकुमार यादव ने नंबर तीन का अपना मनपसंद बल्लेबाज़ी क्रम छोड़ दिया था. दरअसल पिछले मैच में तिलक वर्मा ने नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी करने की ख्वाहिश जताई थी. सूर्यकुमार यादव युवा खिलाड़ी की बात मान गए, तो तिलक ने भी उन्हें निराश नहीं किया.
सूर्यकुमार यादव ने साफ़ कहा कि "यह अचानक लिया गया फ़ैसला नहीं था. गेबेहा में, वह (तिलक) मेरे कमरे में आए और कहा, 'मुझे नंबर 3 पर बल्लेबाज़ी करने का मौका दो. मुझे खुद को साबित करना है."
तिलक वर्मा का यह लगातार दूसरा शतक था, वहीं डरबन में शतक लगाने के बाद संजू दो मैचों में खाता खोलने में नाकाम रहे थे लेकिन जोहानसबर्ग में करियर का तीसरा और सिरीज़ में दूसरा शतक बनाने में कामयाब रहे.
सैमसन और तिलक ने ऐसी ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी की कि दक्षिण अफ़्रीका के गेंदबाज़ और क्षेत्ररक्षक आसमान ही देखते रह गए. प्रोटियाज़ की हर रणनीति नाकाम रही. जब और जिस दिशा में चाहा, शॉट्स लगाए.
तिलक वर्मा भारत के लिए लगातार दो टी-20 मैचों में शतक लगाने वाले दूसरे बल्लेबाज़ बन गए हैं. इससे पहले संजू सैमसन ने ये कारनामा किया था. वहीं, दुनिया के वह 5वें बल्लेबाज़ बने हैं, जिसने ये रिकॉर्ड बनाया है.
संजू और तिलक ने 86 गेंदों पर 210 रनों की नाबाद साझेदारी की. इसमें संजू के 81 (39) और तिलक के 120 (47) रन शामिल थे. टी-20 में ये भारत के लिए सबसे बड़ी साझेदारी है. इससे पहले इसी साल जनवरी में रोहित शर्मा और रिंकू सिंह ने अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ बेंगलुरु में 190 रन की साझेदारी की थी.
दक्षिण अफ़्रीका के गेंदबाज़ों के बारे में लिखने के लिए बहुत कुछ नहीं है. प्रति ओवर 10.5 रन खर्च कर मार्को जेन्सन सबसे किफ़ायती गेंदबाज़ रहे.
भारतीय गेंदबाज़ों ने उसी पिच पर दक्षिण अफ़्रीकी बल्लेबाज़ी को धाराशाई कर दिया.
अर्शदीप सिंह ने पहले ओवर में रीज़ा हेंड्रिक्स को आउट करके माहौल तैयार किया, इसके तुरंत बाद कप्तान एडन मार्करम और हेनरिक क्लासेन को आउट किया.
पूरी टीम 19वें ओवर में 148 रन पर ऑलआउट हो गई. सात बल्लेबाज़ दहाई के अंक तक नहीं पहुँच सके. ट्रिस्टन स्टब्स ने 43 जबकि डेविड मिलर ने 36 रन बनाए.
हाथ में लगातार दो चोटों के कारण तिलक ज़िंबाब्वे और श्रीलंका के दौरों पर नहीं जा पाए थे. जब चोट से वापसी की तो बांग्लादेश के ख़िलाफ सिरीज़ में उनका नाम नहीं था. मगर क़िस्मत ने उनका साथ दिया.
पीठ की तकलीफ़ की वजह से शिवम दुबे ने अंतिम समय में नाम वापस ले लिया और तिलक को स्क्वॉड में शामिल कर लिया गया. मगर उन्हें एक भी मैच में प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया गया.
दक्षिण अफ़्रीका में उनकी वापसी हुई है. पहले मैच में 18 गेंदों पर 33 रन बनाए जबकि दूसरे मैच में 20 गेंदों पर 20 रन. ज़ाहिर है सेंचुरियन में तीसरे मैच में उन पर ज़बरदस्त दबाव था.
उसी मैच में तिलक वर्मा ने कप्तान सूर्यकुमार यादव से गुज़ारिश की कि उन्हें नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी करने का मौक़ा दिया जाए.
तिलक ने आठ चौके और सात छक्कों से भरी पारी में 56 गेंदों पर नाबाद 107 रन बना डाले. उनकी दोनों शतकीय पारियों में परिपक्वता नज़र आई.
संघर्ष भरा रहा है करियर Getty Images पिछले साल अगस्त में तिलक वर्मा को टी20 और सितंबर में वनडे टीम में शामिल किया गया.तेलंगाना के बाएं हाथ के बल्लेबाज़ और दाएँ हाथ के ऑफ़ ब्रेक गेंदबाज़ तिलक वर्मा का क्रिकेट करियर मुश्किलों से भरा रहा है.
पिता इलेक्ट्रीशियन थे. बेटे की ट्रेनिंग के लिए पैसे भी नहीं थे. तिलक के पहले कोच सलाम बायश ने तिलक की फ़ीस और बैट वग़ैरह उपलब्ध कराए. तब तिलक 11 साल के थे.
बायश खुद स्कूटर पर 40 किलोमीटर का सफर तय कर तिलक को एकेडमी लेकर जाते थे.
बाद में तिलक का परिवार बेटे की कोचिंग के लिए एकेडमी के पास शिफ़्ट हो गया.
साल 2018-19 से तिलक ने प्रथम श्रेणी का अपना पहला मैच खेला. साल 2020 में अंडर-19 वर्ल्ड कप में खेले. साल 2021-22 की सैय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफ़ी में तिलक दूसरे सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ थे.
सात पारियों में उन्होंने 147.26 के स्ट्राइक रेट से 215 रन बनाए. 2022 के आईपीएल ऑक्शन में मुंबई इंडियंस टीम ने तिलक को 1.70 करोड़ रुपये में खरीदा. पिछले साल अगस्त में उन्हें टी-20 और सितंबर में वनडे टीम में शामिल किया गया.
केरल के इस नौजवान ने अपने करियर में बहुत उतार-चढ़ाव देखा है. क़रीब 4 दशक पहले एक लैटिन कैथोलिक मलियाली परिवार रोजी-रोटी के लिए दिल्ली आ गया.
सैमसन विश्वनाथन को दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी मिल गई. ये परिवार उत्तरी दिल्ली के जीटीबी नगर की पुलिस कॉलोनी में रहता था.
सैमसन विश्वनाथन पूर्व में फ़ुटबॉल खिलाड़ी थे और संतोष ट्रॉफ़ी में दिल्ली की ओर से खेल चुके थे.
11 नवंबर 1994 को परिवार में दूसरे बेटे का आगमन हुआ. पहला बेटा क्रिकेट खेलता था तो छोटे को लत लगनी ही थी. जल्दी ही छोटा बेटा संजू दिल्ली की अंडर-13 में आ गया.
बेटे में संभावना दिखी तो पिता ने नौकरी से वीआरएस ले लिया और परिवार दिल्ली से वापस केरल चला गया.
2011 में उन्होंने केरल की तरफ़ से पहला फ़र्स्ट क्लास मैच खेला. 17 साल के होते-होते संजू सैमसन आईपीएल में खेलने लगे. 2013 में राजस्थान रॉयल्स से आईपीएल करियर की शुरुआत की थी और उसी साल 'बेस्ट यंग प्लेयर ऑफ़ द सीज़न' भी चुने गए.
लेकिन राष्ट्रीय टीम में आने के लिए उन्हें ख़ासा संघर्ष करना पड़ा. 2014 में वनडे टीम में शामिल किए गए लेकिन खेलने का मौक़ा नहीं मिल पाया.
2015 में टी20 से अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की. लेकिन फिर अगले 5 साल तक उन्हें भारतीय टीम में जगह नहीं मिली. इस निराशा का सामना करना उनके लिए आसान नहीं था.
गौरव कपूर के ब्रेकफ़ास्ट विद चैंपियन शो के दौरान संजू ने कहा था, "जब मुझे पहला मौक़ा मिला तब 19 या 20 साल का था. दूसरी बार 25 साल की उम्र में चुना गया. बीच के पांच साल मेरे लिए बेहद मुश्किल भरे रहे. केरल की टीम से भी मुझे बाहर कर दिया गया. आप अपनी काबिलियत पर शक करने लगते हैं. मैं सोचने लगा-संजू क्या तेरी वापसी हो पाएगी. अगर आप यथार्थवादी और ईमानदार हैं तो आपको इस दौर से गुज़रना पड़ता है."
संजू सैमसन पिछले चार सीज़न से राजस्थान रॉयल्स के कप्तान हैं. संजू अपने खेल का सारा श्रेय राहुल द्रविड़ को देते हैं. तब संजू दिल्ली की टीम में थे और द्रविड़ टीम के मेंटॉर थे. उनके साथ तीन-चार साल का समय बिताया.
वो कहते हैं, "मैंने उनसे हर चीज़ पूछी और वापस रूम में जाकर उनकी हर सलाह डायरी में लिख लिया करता था."
इस सिरीज़ की जीत के बाद लग तो यही रहा है कि क्रिकेट के सबसे छोटे स्वरूप में भारत की तमाम परेशानियाँ ख़त्म हो गई हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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