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मध्य प्रदेशः बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में इस वजह से हुई थी दस हाथियों की मौत

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ANI लैब रिपोर्ट में हाथियों की मौत का कारण ज़्यादा मात्रा में फंगस लगी कोदो फसल को खाना बताया गया है. (सांकेतिक तस्वीर)

मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में 10 हाथियों की मौत हो गई थी. इस घटना के लगभग एक सप्ताह बाद सरकार को तीन प्रयोगशालाओं की रिपोर्ट मिली है.

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि हाथियों की मौत का कारण ज़्यादा मात्रा में फंगस लगी कोदो फसल को खाना है. इससे पहले हाथियों की मौत सभी के लिए एक पहेली बनी हुई थी.

गुरुवार को स्टेट फॉरेंसिक लैब, सागर से मृत हाथियों के विसरा नमूनों की विषाक्तता रिपोर्ट मिली. इसमें किसी और धातु या कीटनाशक के होने की बात सामने नहीं आई.

इसके अलावा, स्कूल ऑफ़ वाइल्ड लाइफ़ फ़ॉरेंसिक एंड हेल्थ ने भी अपनी रिपोर्ट दी है. इसमें हर्पीज़ वायरस की पुष्टि नहीं हुई है और हाथियों की मौत की वजह विषाक्तता बताई गई है.

विषाक्तता एक हानिकारक प्रभाव है, जो किसी जीव के ज़हरीले तत्व को निगल लेने, सूंघने या फिर जीव के मुंह या नाक की झिल्लियों के उस ज़हरीले तत्व के संपर्क में आने के कारण होता है.

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इससे पहले, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), बरेली ने अपनी पहली जांच रिपोर्ट मंगलवार को प्रदेश के वन-विभाग को सौंपी थी.

इसमें बताया गया था कि हाथियों ने बड़ी मात्रा में ख़राब कोदो फ़सल और बाजरा खा लिया था. इसमें यह भी सामने आया था कि हाथियों के विसरा में माइक्रो टॉक्सिन साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड मौजूद था.

लेकिन, इसके बावजूद अधिकारी निश्चित तौर पर यह नहीं कह पा रहे थे कि हाथियों की मौत की वजह क्या थी. उनका कहना था कि इसके लिये आगे की जांच ज़रूरी है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ? image ANI एसआईटी के प्रमुख एल. कृष्णमूर्ति ने बीबीसी से कहा कि रिपोर्ट से यही पता चलता है कि अत्यधिक कोदो के पौधे और अनाज खाने से हाथियों की यह हालत हुई है. (सांकेतिक तस्वीर)

वन विभाग ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था. उसके प्रमुख एल. कृष्णमूर्ति ने बीबीसी से बातचीत की.

उन्होंने बताया, “इस रिपोर्ट से यही पता चलता है कि अत्यधिक कोदो के पौधे और अनाज खाने से हाथियों की यह हालत हुई है.”

उन्होंने कहा, “अगर हम पीछे जाएं तो पता चलता है कि इस तरह के मामले देखने में आए हैं, जब इसका उपयोग करने की वजह से लोग और जानवर बीमार पड़े हैं.”

उन्होंने कहा, “हाल ही में दो दिन पहले उमरिया में 30 मवेशी कोदो खाने से बीमार पड़ गये, लेकिन वो ठीक हो गए.”

उन्होंने कहा कि सवाल उठता है कि फिर इसे लोग क्यों लगाते हैं?

इसके जवाब में कृष्णमूर्ति कहते हैं कि यह मामला सिर्फ़ मौसम की वजह से हुआ है. बदले मौसम में जो नमीं पैदा हुई, उसने फ़सल में इन सूक्ष्म जीवों को बढ़ने में मदद की.

हालांकि, उन्होंने कहा कि यह विभाग के लिये भी पहेली है कि इतने बड़े स्तर पर यह कैसे हुआ.

इसका पूरी तरह से अध्ययन किया जाना चाहिए. इसलिए विभाग दूसरे राज्यों से भी इनपुट ले रहे हैं, ताकि किसी नतीजे पर पहुंचा जा सके.

फ़ंगस ने बढ़ाई मुश्किल image ANI स्कूल ऑफ़ वाइल्ड लाइफ़ फ़ॉरेंसिक एंड हेल्थ के डायरेक्टर रहे डॉ. एबी श्रीवास्तव का कहना है कि हाथियों की मौत कोदो में एक फ़ंगस पैदा हो जाता है, उसकी विषाक्तता के कारण हुई है. (सांकेतिक तस्वीर)

वहीं, जबलपुर के स्कूल ऑफ़ वाइल्ड लाइफ़ फ़ॉरेंसिक एंड हेल्थ के डायरेक्टर रहे डॉ. एबी श्रीवास्तव का कहना है कि यह मौत कोदो से नहीं हुई, बल्कि कोदो में एक फ़ंगस पैदा हो जाता है, उसकी विषाक्तता के कारण होती है.

उन्होंने बीबीसी को बताया, “यह एक निश्चित समय पर जब मौसम थोड़ा सा गर्म होता है और अचानक बारिश हो जाये तो उस समय यह फ़ंगस बढ़ जाता है. तो मौत कोदो से नहीं बल्कि उसमें पैदा हुये फ़ंगस से होती है.”

उनका कहना है कि इसे उस समय जो भी इस्तेमाल करेगा, उसे नुक़सान का सामना करना पड़ेगा. चाहे वह कोई इंसान ही क्यों न हो.

हालांकि, उनका कहना है कि इतने बड़े स्तर पर उन्होंने इस तरह के मामले नहीं देखे हैं.

लेकिन 1996-97 के समय में उन्होंने दो मामले देखे थे, जिनमें दो हाथी बीमार पड़े थे. उनमें से एक की मौत हो गई थी और एक को बचा लिया गया था.

उनका कहना है कि इस मामले में विस्तृत अध्ययन की ज़रूरत है.

वहीं, बरेली की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि घटनास्थल पर नज़र रखी जानी चाहिए और गांव वालों को ख़राब फ़सल की जानकारी और मवेशियों को वह नहीं खिलाए जाने की जानकारी विभाग को देनी चाहिए.

वहीं, केंद्र सरकार की भेजी गई वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) नई दिल्ली की टीम भी इलाक़े में जांच में जुटी है, लेकिन किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है.

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कब हुई थी हाथियों की मौत? image ANI सांकेतिक तस्वीर

इस बीच, वन विभाग 13 हाथियों में से बचे 3 स्वस्थ हाथियों पर लगातार नज़र बनाए हुए है. इसके लिए 6 विशेष दल बनाए गए हैं.

जिन क्षेत्रों में यह हाथी जा रहे हैं, वहां से लगे गांवों में लोगों को सतर्क रहने के लिये कहा जा रहा है.

दरअसल, बांधवगढ़ में पिछले सप्ताह 10 हाथियों की मौत हो गई थी, यह 13 हाथियों के झुंड का हिस्सा थे.

29 अक्तूबर को बांधवगढ़ में 10 में से 4 की मौत हो गई थी. अगले दिन 4 अन्य ने दम तोड़ दिया था और 31 अक्तूबर को 2 हाथियों की मौत हुई.

इसके बाद राज्य सरकार के साथ पूरा प्रशासन हिल गया था. फ़िर केंद्र और राज्य सरकार सक्रिय हुई.

सरकार ने बांधवगढ़ में स्पेशल टास्क फोर्स, वाइल्ड लाइफ़ क्राइम कंट्रोल, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के डॉक्टर और विशेषज्ञों को जांच के लिये भेजा, ताकि इन हाथियों की मौत के बारे में पता लगाया जा सके.

विपक्ष ने क्या आरोप लगाए? image BBC

वहीं, इसे लेकर विपक्ष भी लगातार सरकार को घेर रहा है. इसी कड़ी में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है.

कमलनाथ ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, “बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 10 हाथियों की मृत्यु को क़रीब एक हफ़्ता बीत चुका है, लेकिन दोषियों को पकड़ना तो दूर मध्य प्रदेश सरकार अब तक हाथियों की मृत्यु के कारण को भी स्पष्ट नहीं कर सकी है. यह अत्यंत चिंता का विषय है.”

उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया है कि इन हाथियों को ज़हर दिया गया था.

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने उस क्षेत्र में मौजूद रिसोर्ट के मालिकों पर सवाल किया है.

वाइल्ड लाइफ़ एक्टिविस्टों ने भी यह आरोप लगाए हैं कि छत्तीसगढ़ से आने वाले हाथियों के झुंड की वजह से लोगों का आना-जाना कम होता जा रहा था, इसलिये यह देखा जाना चाहिए कि कहीं इसके पीछे रिसोर्ट संचालक तो नहीं हैं जो अपने धंधे के चलते इन हाथियों की मौत की वजह हो.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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