कुछ महीने पहले तक मालदीव और भारत के संबंधों में जैसी कड़वाहट थी, उसे देखकर ऐसा लगता नहीं था कि चीन समर्थक कहे जाने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू इतनी जल्दी भारत के राजकीय दौरे पर होंगे.
मोहम्मद मुइज़्ज़ू भारत के चारदिवसीय दौरे पर हैं और सोमवार को दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते हुए.
मुइज़्ज़ू पिछले साल नंवबर में मालदीव के राष्ट्रपति बने थे और उन्होंने अपने चुनावी कैंपेन में 'इंडिया आउट' का नारा बुलंद किया था.
सत्ता में आते ही मुइज़्ज़ू ने भारत के सैनिकों को मालदीव छोड़ने का आदेश दे दिया था.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए करेंमुइज़्ज़ू ने राष्ट्रपति बनने के बाद पहला विदेशी दौरा तुर्की का किया था और उसके बाद चीन गए थे.
आम तौर पर मालदीव के नए राष्ट्रपति शपथ लेने के बाद भारत का दौरा करते थे. मुइज़्ज़ू ने जिन दो देशों तुर्की और चीन को अपने पहले दौरे के लिए चुना था, उनसे भारत के अच्छे संबंध नहीं हैं.
मुइज़्ज़ू के इस पसंद को भी भारत के लिए चिढ़ाने की तरह देखा गया था.
लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि मुइज़्ज़ू भारत को लेकर नरम पड़ गए?
भारत के जाने-माने सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने ट्वीट कर कहा, ''मालदीव का ख़ज़ाना ख़ाली है. ऐसी स्थिति में भारत ने मालदीव के लिए बड़ी वित्तीय मदद की घोषणा की है. 36 करोड़ डॉलर की तत्काल मदद और 40 करोड़ डॉलर की करेंसी स्वैप डील हुई है.”
“भारत सरकार के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया मालदीव से 10 करोड़ डॉलर का बॉन्ड भी ख़रीदेगा. कुछ लोग कह रहे हैं कि इस्लामिक लाइन वाले राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्जू़ का भारत को लेकर हृदय परिवर्तन हो गया है. लेकिन ऐसा नहीं है.”
“मालदीव क़र्ज़ नहीं चुका पाने के कारण डिफॉल्ट होने की ओर बढ़ रहा था और मुइज़्ज़ू भारत से आग्रह कर रहे थे कि वह इस संकट से निकाले. चीन और आईएमएफ़ की तरह भारत की मदद बिना कठोर शर्तों की होती है.''
थिंक टैंड रैंड कॉर्पोरेशन में इंडो पैसिफिक के विश्लेषक डेरेक ग्रॉसमैन में ने लिखा है, ''मालदीव को अब लग रहा है कि उसने भारत को लेकर ग़लत आकलन किया था. मालदीव ने 180 डिग्री का टर्न लिया है."
हालांकि कई लोग पहले से ही मानकर चल रहे थे कि मुइज़्ज़ू चुनाव जीतने के लिए 'भारत विरोधी' कैंपेन की अगुआई कर रहे थे. ध्रुवीकरण वाले मुद्दे अक्सर चुनाव के बाद अप्रासंगिक हो जाते हैं. मालदीव में भी इंडिया आउट कैंपेन चुनाव के बाद से नरम पड़ता गया.
विदेशी नीति की अपनी ज़रूरतें होती हैं और चुनाव के बाद व्यावहारिकता की ज़मीन पर उतरती है. मुइज़्ज़ू भारत से अलग-थलग होने का जोख़िम नहीं उठा सकते थे.
मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने कहा है, ''मालदीव ऐसा कुछ भी नहीं करेगा, जिससे भारत की सुरक्षा पर नकारात्मक असर पड़े. भारत हमारा दोस्त और अहम साझेदार है. हमारा संबंध पारस्परिक आदर और साझे हितों पर आधारित है. हम अलग-अलग क्षेत्रों में अन्य देशों से भी सहयोग बढ़ाएंगे लेकिन इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि भारत की सुरक्षा के साथ कोई समझौता ना हो.''
पिछले महीने ही वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडी ने मालदीव की क्रेडिट रेटिंग को ये कहते हुए घटा दिया था कि “डिफ़ॉल्ट होने ख़तरा बढ़” गया है.
मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार 44 करोड़ डॉलर तक सिमट कर रह गया है जो कि डेढ़ महीने के आयात बिल भरने से ज़्यादा नहीं है.
भारत ने पहले ही आधारभूत और विकास से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं के लिए मालदीव को 1.4 अरब डॉलर की वित्तीय मदद मुहैया करा रखी है.
मालदीव की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का अहम योगदान है और भारतीय पर्यटकों की हिस्सेदारी अच्छी ख़ासी होती है.
जनवरी में भारतीयों और मालदीव के लोगों के बीच सोशल मीडिया पर हुए विवाद के बाद, भारत में मालदीव के बहिष्कार की आवाज़ें उठी थीं.
यही वजह है कि अपने इस आधिकारिक यात्रा में मुइज़्ज़ू ने “मालदीव में अधिक से अधिक भारतीय पर्यटकों का स्वागत” करने की बात कही.
मालदीव के अख़बार अशाधा के अनुसार, मालदीव को जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में 50,000 की कमी आ गई है, जिससे देश को 15 करोड़ डॉलर का नुक़सान उठाना पड़ा है.
भारतीय पर्यटक, मालदीव पर्यटन व्यवसाय में योगदान देने वाले शीर्ष पांच विदेशी लोगों में से एक हैं.
मालदीव का विदेशी कर्ज़ 2026 तक 1.07 अरब डॉलर बढ़ जाएगा. लेकिन क़र्ज़ अदायगी के लिए मालदीव के पास डॉलर नहीं हैं.
श्रीलंका में जिस तरह वित्तीय और आर्थिक ढांचा ढहा, यह मालदीव के लोगों के लिए एक सांकेतिक चेतावनी थी, जिसे उन्होंने बहुत गहरे दुख के साथ देखा है.
श्रीलंका अब भी संकट से उबर नहीं पाया है.
भारत और चीन के साथ रिश्तों में मालदीव के ऊपर बढ़ता क़र्ज़ का बोझ एक केंद्रीय मुद्दा है.
पिछले एक दशक में मालदीव ने चीनी स्रोतों से क़रीब 1.5 अरब डॉलर कर्ज़ लिया, जो कि इसके कुल सार्वजनिक कर्ज का पांचवां हिस्सा है.
लेकिन जैसे-जैसे क़र्ज़ की अदायगी के दिन क़रीब आ रहे हैं, चीन जो कि मालदीव का सबसे बड़ा द्विपक्षीय क़र्ज़दाता है, उसने महज 5 करोड़ डॉलर को ही माफ़ करने की घोषणा की है.
चीनी राजदूत ने कहा कि क़र्ज़ पुनर्गठन मालदीव की समस्या का हल नहीं है क्योंकि इससे बीजिंग की ओर से भविष्य में मिलने वाली मदद में बाधा पहुंचेगी.
इस बीच भारत ने 50 मिलियन डॉलर की बजटीय मदद दी है और ज़रूरी सामानों के निर्यात कोटे को बढ़ा दिया है.
मालदीव सरकार ने कहा है कि ‘भारत सरकार की ओर से बजटीय मदद के रूप में मालदीव को दी गई उदार मदद की हम बहुत सराहना करते हैं.’
साथ ही उसने आधारभूत परियोजनाओं में भारत की ओर से अच्छी ख़ासी मदद का भी शुक्रिया अदा किया है, जिसमें अधिकांश तो कर्ज़ की बजाय अनुदान के रूप में दिया गया है.
सरकार में आने के बाद मुइज़्ज़ू की अपनी यात्रा के लिए भारत की बजाय चीन को तरजीह देने से उलट विदेश मंत्री मूसा ज़मीर ने अपनी पहली यात्रा के लिए दिल्ली को चुना था.
यहां उन्होंने अपने समकक्ष डॉ. एस. जयशंकर से मुलाक़ात की थी और इस दौरान मालदीव में भारत के समर्थन से चल रही परियोजनाओं पर भी बात हुई थी.
मालदीव एक छोटा सा द्विपीय मुल्क है. क्षेत्रफल महज़ 300 वर्ग किलोमीटर.
अगर क्षेत्रफल के मामले में तुलना करें तो दिल्ली मालदीव से क़रीब पाँच गुनी बड़ी है.
मालदीव छोटे-छोटे क़रीब 1200 द्वीपों का समूह है. मालदीव की कुल आबादी 5.21 लाख है.
कहा जाता है कि मालदीव भौगोलिक रूप से दुनिया का सबसे बिखरा हुआ देश है. लक्षद्वीप से मालदीव क़रीब 700 किलोमीटर दूर है. यानी मालदीव में चीन अपनी मौजूदगी मज़बूत करता है तो वह भारत के लिए रणनीतिक रूप से अच्छा नहीं माना जाएगा.
मालदीव जहाँ स्थित है, वही उसे ख़ास बनाता है. हिन्द महासागर के बड़े समुद्री रास्तों के पास मालदीव स्थित है.
हिन्द महासागर में इन्हीं रास्तों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता है. खाड़ी के देशों से भारत में ऊर्जा की आपूर्ति इसी रास्ते से होती है. ऐसे में भारत का मालदीव से संबंध ख़राब होना किसी भी लिहाज से ठीक नहीं माना जा रहा है.
मालदीव एक इस्लामिक देश है.
मालदीव ब्रिटेन से 1965 में राजनीतिक रूप से पूरी तरह से आज़ाद हुआ था. आज़ादी के तीन साल बाद मालदीव एक संवैधानिक इस्लामिक गणतंत्र बना था.
आज़ादी के बाद से ही मालदीव की सियासत और लोगों की ज़िंदगी में इस्लाम की अहम जगह रही है.
2008 में मालदीव में इस्लाम राजकीय धर्म बन गया था.
मालदीव में ज़मीन का स्वामित्व और नागरिकता सुन्नी मुस्लिमों तक सीमित है.
संविधान में यह अनिवार्य बना दिया गया है कि राष्ट्रपति और कैबिनेट मंत्री कोई सुन्नी मुसलमान ही हो सकता है.
मालदीव के क़ानून के अनुसार, यहाँ इस्लाम की आलोचना को अपराध माना जाता है. मालदीव दुनिया का सबसे छोटा इस्लामिक देश है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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