सूडान तबाह होने की कगार पर है.
17 महीने के निर्मम गृह युद्ध ने इस देश को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है.
सूडान की आर्मी अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी अर्द्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फ़ोर्सेज (आरएसएफ़) से संघर्ष में बुरी तरह उलझी हुई है.
हाल में उसने राजधानी खार्तूम में अर्द्ध सैनिक बल के ख़िलाफ़ बड़ा जवाबी अभियान शुरू किया है.
सेना उन इलाक़ों पर हमले कर रही है जो रैपिड सपोर्ट फ़ोर्सेज के कब्ज़े में हैं. हालांकि इसका खार्तूम के ज़्यादातर इलाक़ों पर कब्ज़ा है.
( चेतावनी : इस स्टोरी के कुछ अंश पाठकों को विचलित कर सकते हैं.)
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करेंआरएसएफ़ ने इस संघर्ष की शुरुआत में ही खार्तूम के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया था जबकि सेना नील नदी की दूसरी ओर बसे खार्तून से जुड़े शहर ओमडोरमैन पर काबिज है.
लेकिन अब भी कई जगहें हैं, जहाँ से लोग दोनों ओर से आ-जा सकते हैं. आजकल वो इनका इस्तेमाल भी कर रहे हैं.
- सूडान के संघर्ष में क्या विदेशी हथियार मोड़ रहे हैं जंग का रुख़
- गोलीबारी और अपहरण के शिकार होते इस देश के लोग
- सूडान में यौन हिंसा का दंश झेलती महिलाएं
इनमें से एक जगह पर मेरी मुलाक़ात महिलाओं के एक समूह से होती है.
ये महिलाएं ओमडोरमैन के किनारे सेना के नियंत्रण वाले इलाक़े के बाज़ार तक चार घंटे पैदल कर चलकर आई हैं. यहाँ खाना सस्ता है.
ये महिलाएं यहाँ आरएसएफ के नियंत्रण वाले इलाक़े दार-ए-सलाम से आई हैं. इन महिलाओं ने बताया कि उनके पतियों का आजकल घर से निकलना बंद हो गया है.
बाहर निकलते ही इन लोगों को आरएसएफ के लड़ाके पकड़कर पीटते हैं. उनकी कमाई छीन ली जाती है. कई बार उनको पकड़ लिया जाता है और छोड़ने के लिए परिवार से फिरौती मांगी जाती है.
इनमें से एक महिला ने कहा, ''हम इसलिए यहां सब कुछ सह कर आए हैं कि हमें अपने बच्चों का पेट भरना है. हम भूखे हैं. हमें खाना चाहिए.''
मैंने उन औरतों से पूछा- क्या वहाँ महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज़्यादा सुरक्षित हैं? मैंने महिलाओं के रेप के बारे में सुना है.'' सवाल सुनते उन महिलाओं ने चुप्पी साध ली.
लेकिन उनमें से एक महिला ख़ुद को रोक नहीं पाईं. उन्होंने कहा, ''कहाँ हैं ये दुनिया वाले. आप लोग हमारी मदद क्यों नहीं करते.''
ये सब कहते हैं कि उनकी आंखोंं से आंसुओं की धार फूट पड़ी. ‘’
उन्होंने कहा, ''यहाँ कई ऐसी महिलाएं हैं, जिनके साथ यौन दुर्व्यवहार हुआ. लेकिन वो इसका ज़िक्र नहीं करतीं. इससे क्या फ़र्क़ पड़ जाएगा.''
महिलाओं ने कहा, ''आरएसएफ के लोग तो रात में अपने नियंत्रण वाले इलाक़े में लड़कियों को उठा लेते हैं. अगर लड़कियाँ इस बाज़ार से देर से आती दिख जाती हैं तो आरएसएफ उन्हें पाँच से छह दिनों तक अपने पास रख लेती है.''
जब वो ये बात मुझे बता रही थीं तो उनकी मां उनके साथ अपने सिर पर हाथ रख कर पास ही बैठी रहीं. उनका सुबकना जारी था. ये देखकर उनके आसपास की महिलाओं ने रोना शुरू कर दिया.
उस महिला ने मुझसे फिर सवाल किया, ''आप अपने बारे में बताइए. आप जहाँ रहते हैं, वहाँ अगर आपका बच्ची घर से बाहर जाएगी तो आपको उसकी चिंता नहीं होगी? अगर उसे लौटने में देरी हुई तो आप उसे नहीं खोजेंगे? लेकिन आप हमें बताइए हम क्या करें? हमारे हाथ में कुछ नहीं है. हमारी चिंता कोई नहीं करता है. कहाँ है ये दुनिया? आप लोग हमारी मदद क्यों नहीं करते?''
- सूडान संघर्ष: महिलाओं ने सुनाई बलात्कार की डरावनी आपबीती
- आरफ़ा अदौम और उनके नवजात की त्रासद कहानी
- सूडान संघर्षः राजधानी में कई रिहाइशी इलाके बन गए हैं कब्रिस्तान, आंखों देखा हाल
दोनों ओर से आने-जाने वालों के लिए इस्तेमाल होने वाली ये जगह एक ऐसी खिड़की थी, जिससे एक ऐसी दुनिया दिख रही थी जो बेचैनी और निराशा से भरी थी.
इस जगह से गुज़रने वालों ने बताया कि सेना और आरएसएफ के संघर्ष में उन्हें किस कदर अराजकता, लूट और क्रूरता का शिकार होना पड़ा है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ इस संघर्ष की वजह से डेढ़ करोड़ लोगों को अपने घर से भागना पड़ा है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार हाई कमिश्नर वॉल्कर तुर्क ने कहा है, रेप का ‘युद्ध के हथियार’ के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है.
मिशन की एक फैक्ट फाइडिंग टीम ने सेना के सदस्यों की ओर से भी रेप और रेप की धमकियों को रिकॉर्ड पर लिया है.
लेकिन उसने पाया कि आरएसएफ़ और उसकी सहयोगी मिलिशिया बड़े पैमाने पर यौन हिंसा को अंजाम दिया. इन लोगों ने ऐसे अपराधों को अंजाम दिया है जो अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन है.
बीबीसी से बातचीत में एक महिला ने कहा कि आरएसएफ के लोगों ने उनका रेप किया.
हम बाज़ार के एक दोराहे पर उनसे मिले. इस दोराहे का नाम था- शौक अल-हर यानी ‘हिट मार्केट’.
सेना और आरएसएफ के बीच लड़ाई शुरू होने से बाज़ार दूसरी ओर बढ़ कर सामने के ख़ाली रेगिस्तानी ज़मीन तक पहुँच गया है.
ये बाज़ार ओमडरमैन के बाहरी इलाक़े में है. ग़रीब लोगों के लिए ये बाज़ार आकर्षण का केंद्र बन गया है क्योंकि यहां चीज़ें बेहद सस्ती बिकती हैं.
मरियम (बदला हुआ नाम) दार ए सलाम से भाग कर अपने भाई के साथ रह रही हैं. वो अब एक चाय की दुकान में काम करती हैं.
उन्होंने बताया कि लड़ाई की शुरुआत में ही दो हथियारबंद लोग उनके घर में घुस आए और उनकी बेटियों के साथ रेप करने की कोशिश की. उनकी एक बेटी 17 साल की है और दूसरी 10 साल की.
उन्होंने बताया, ''मैंने दोनों बच्चियों को अपने पीछे छिपा लिया और आरएसएफ के उन लोगों से कहा, ''अगर रेप करना है तो मेरा करो. उन्हें छोड़ दो.''
वो बताती गईं, ''उन्होंने मुझे मारा और सारे कपड़े उतारने को कहा. कपड़े उतारने से पहले मैंने अपनी लड़कियों से कहा कि तुरंत भागो. उन्होंने और दूसरे बच्चों को लिया और कूद कर बाहर भाग गईं. तब तक एक शख़्स मेरे ऊपर पड़ा रहा.''
हालांकि आरएसएफ ने अंतरराष्ट्रीय जांचकर्मियों से कहा है कि उसने यौन हिंसा और मानवाधिकार का हनन करने वाली दूसरी तमाम तरह की हिंसाओं को रोकने के लिए ज़रूरी क़दम उठाए हैं.
लेकिन यौन हमले के ऐसे ब्यौरे लगातार आ रहे हैं और इनका घातक असर पड़ा है.
- C-17 ग्लोबमास्टर: भारतीय रेस्क्यू मिशन के लिए संजीवनी कैसे बना?
- सूडान संघर्षः वो तीन संभावनाएं, जिस तरफ़ जा सकता है मुल्क
- सूडान में क्या करते हैं भारतीय और भारत के साथ कैसे हैं रिश्ते
पेड़ों की छाया में एक छोटे स्टूल में बैठी फ़ातिमा (बदला हुआ नाम) ने मुझसे कहा कि वो ओमडरमैन में अपने जुड़वां बच्चों को जन्म देने के लिए आई हैं. उनका यहीं रहने का इरादा है.
उन्होंने बताया कि आरएसएफ़ के चार लड़ाकों की ओर से रेप करने के बाद उनके पड़ोस में रहने वाली एक 15 साल की लड़की गर्भवती हो गई. इन लोगों ने उसकी 17 साल की बहन के साथ भी बलात्कार किया था.
चीख-पुकार और शोर-शराबे से लोग उनकी ओर दौड़े. लेकिन हथियारबंद लोगों ने कहा कि उन्होंने आगे बढ़ने की कोशिश की तो वे गोली मार देंगे.
अगली सुबह लोगों ने दोनों लड़कियों को उनकी दरिंदगी के निशान देखे. 17 वर्षीय बहन ने ख़ुद को कमरे में बंद कर लिया.
फ़ातिमा ने बताया, "युद्ध शुरू होने के बाद आरएसएफ के पहुंचते ही हमें बलात्कार की घटनाएं सुनने की मिलने लगी थीं. लेकिन ये हादसे अब हमारे पड़ोस में होने लगे थे. शुरू में हमें इन घटनाओं पर संदेह होता था लेकिन हमें पता चला कि आरएसएफ के लोग ही लड़कियों का रेप कर रहे हैं.’’
वहाँ मौजूद दूसरी महिलाएं अब आरएसएफ के नियंत्रण वाले इलाक़ों में लौटने की तैयारी करने लगी थीं. उन्होंने कहा कि वो इतनी ग़रीब हैं कि मरियम की तरह दार अस सलाम छोड़ कर नई ज़िंदगी शुरू करने की क्षमता नहीं है.
जब तक युद्ध चलता रहेगा तब तक उनके पास भयावह हालात में लौटने के अलावा और कोई चारा नहीं होगा.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम, और व्हॉट्सऐप पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)